सोमवार, 6 मई 2024

स्त्रियां

प्रकृति में समाया परिवार __ 
स्त्रियां! 💃
रोप दी जाती हैं धान सी
उखाड़ दी जाती हैं,
खरपतवार सी
पीपल सी कहीं भी उग आती हैं।
स्त्रियां!💃
जीवन दायी अमृता सी,
महके लंबे समय तक,
रजनीगंधा सी
कभी ना हारें,अपराजिता बन छाई हैं
स्त्रियां!💃
रजनीगन्धा, लिली 
जैसे यौवन ने ली अंगड़ाई है 
सप्तपर्णी के फूल से 
प्रेम माधुर्य की खुशबू आई है।
स्त्रियां!💃
आंसुओं को पी, 
बिखेरती खुशबू पारिजात सी
पुनर्नवा सी, 
ईश्वर की वरदान बन आई है।
स्त्रियां!💃
दिल दिमाग की शांति,  
शंखपुष्पी, ब्राह्मी सी
तुलसी सी पावन
आंगन की शोभा बढ़ाई है।
स्त्रियां!💃
सौम्यता मनभावन
चंपा,चमेली,मोगरा,मालती सी
भरदेती सुखसौभाग्य,अमलतास(स्वर्ण वृक्ष) सी
घर आंगन में मानो,परी उतर आई है।
स्त्रियां!💃

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