✍️हैलो पैरेंट्स!
गलतियों पर पर्दा न डालें__
बेटियों पर तो सबने बहुत ज्ञान दिया है, अब कुछ ज्ञान बेटों पर भी दिया जाए। बेटा पढ़ाओ, साथ ही उन्हें #संस्कार भी सिखाओ! प्राथमिक शिक्षा के साथ बच्चे को निश्चित ही एक #जिम्मेदार नागरिक बनाने की शिक्षा जारी रहनी चाहिए। वर्तमान युग में बेहद आवश्यक तथा देश की तरक्की में भी सहयोगी है।
भारत देश में लड़कों के लिए, इसकी शादी कर दो सुधर जाएगा। लड़कियां शादी के बाद मायके से वास्ता नहीं रखें, अन्यथा बिगड़ जाएंगी। दूसरी ओर, केवल बेटियां ही बुजुर्गों का ध्यान रखती हैं, बहुएं नहीं। ये किस मानसिकता में जी रहे हैं। ऐसा कुछ नहीं होता, यह सब आप (पैरेंट्स) की परवरिश पर निर्भर करता है। इसलिए पेरेंट्स! अपनी गलतियों, आचरण पर भी ध्यान देने की जरूरत है। अपने व्यवहार को चेक करें, बच्चे सबसे ज्यादा अपने मातापिता से ही सीखते हैं, उपदेशों से नहीं।
आए दिन पुरुषों को शराब पीने के बाद सड़क पर, नालियों में गिरे देखती हूं तो बहुत दुख होता है। ऐसा ही कृत्य अगर महिलाएं करें तो, कैसा लगेगा। क्या घर संभालने की जिम्मेदारी केवल महिला की है। वैसे आजकल महिलाएं भी इस दिशा (नशे) में निरंतर बढ़ रही हैं, वो भी पीछे नहीं हैं। अब तो अक्सर लड़कियां, आंटिया भी खुलेआम पब, पार्टियों में नशे में लड़खड़ाती देखी जा सकती हैं।
लोग पीने का बहाना ढूंढ लेते हैं। सुरक्षा तंत्र, प्रहरी, न्याय तंत्र, चिकित्सा जगत, आइटी सेक्टर, पत्रकारिता, जातिवाद, चालक, नौकरी पेशा, व्यवसाई, मार्केटिंग, मॉडलिंग, नेता, अभिनेता, अमीर, गरीब, गुंडे, शरीफ, खुशी, गम, ऊंचे स्तर का दिखावा, प्रेम में छलावा, लाचारी, बेरोजगारी, तनाव, भटकाव, जुआरी, भिखारी, आदिवासी, या भोग विलासी #नाजाने ऐसे कितने #बहाने हैं, जो पीने वाले अक्सर खोजते रहते हैं। बेरोजगारी भी एक बहाना ही है, लेकिन उस बेरोजगारी में भी पीने के लिए, पैसे पता नहीं कहां से पैसे आ जाते हैं। स्वयं को पाक साफ दिखने के लिए इन बहानों (excuses) से बचना छोड़िए।
क्या आपने वह कहानी सुनी है जिसमें एक बच्चा शुरू में चोरी करता है तो माता उसको कभी नहीं टोकती, और एक दिन वह बड़ा चोर बन जाता है। पकड़े जाने, सजा मिलने पर वह अपने मां से मिलने की इजाजत मांगता है। उसके हाथ बंधे होते हैं, और वह अपने मां से कान में कुछ कहना चाहता है। पास जाने पर वह मां का कान काट खा जाता है, सब आश्चर्यचकित होते हैं। तब वह कहता है कि जब मैंने पहली बार चोरी की थी, तब ही शायद मेरी मां ने डांट दिया होता, तो मैं आज इतना बड़ा चोर नहीं होता। इसलिए पेरेंट्स यह आपकी जिम्मेदारी है, कि आपका बच्चा पहली बार कोई गलती करे तो उस पर ध्यान दें, उसको छुपाए नहीं। उसको समझाएं प्यार से, डांट से, हर तरह से। नशे की आदत, दीमक की तरह मनुष्य के शरीर को खा जाता है। नशा वह जहर है, जिसे लोग बड़े स्वाद और शान के साथ गटकते हैं, इस तरह बच्चों की गलतियों के लिए जिम्मेदार और इसका दोषी कौन है????? शायद पैरेंट्स!! अगर पहली बार नशा करने पर मांतापिता ने गाल पर दो चांटे जड़े होते, बजाय गलती छुपाने के, पूछा होता तो यह नौबत ही नहीं आती। नशा अपराध की जड़ है। बच्चों को अच्छे संस्कार, परवरिश देना तो #पैरेंट्स का फर्ज है। पत्नी से पति को सुधारने की अपेक्षा कितनी सही है?? इसके विपरीत, पैरेंट्स! खुद सब चलता है, कह कर #सपोर्ट करते हैं, तो क्या किया जाए?? या बेटों के लिए सब #जायज है, चाहे वो कुछ भी करे। सीखता तो बच्चा घर से ही है। अक्सर बेटियों को शादी के बाद मायके से बातें करने या संपर्क में रहने से रोका जाता है, कि माएं बेटियों का घर बर्बाद कर देती हैं। लेकिन ये बात अभी तक समझ से परे है, उन बेटों का घर भी तो माएं ही बर्बाद करती हैं, जो बेटों को अपनी बहू के साथ स्वीकार ही नहीं कर पातीं, उल्टा उन्हें केवल एक नौकरानी से ज्यादा कुछ नहीं समझती। शराब पीने पर अगर बहू लड़े, तो पिता माता उन बेटों को अपने पास बिठा कर सपोर्ट करते हैं कि ये सब चलता है, या तुम्हारी वजह से पी रहा है। ऐसे में लड़कों को मां बहुत प्यारी लगती है। लेकिन कुछ #स्वार्थों से ऊपर उठकर सोचें, कि ये बच्चे! देश या परिवार का तो छोड़िए, समय आने पर जरूरत पड़ने पर आपके पास आने लायक भी बचेंगे?? हो सकता है, ये बच्चे आपके सामने ही पूरा जीवन भी ढंग से ना जी पाएं। इसलिए समय रहते संभल जाइए, झूठे अहम, दिखावटी प्यार को छोड़ बच्चों को सुधारने की कुछ तो कोशिश कीजिए। परिवार हित, देश, समाज के लिए यह भी आपके द्वारा एक योगदान ही है।
गलतियों पर पर्दा न डालें__
बेटियों पर तो सबने बहुत ज्ञान दिया है, अब कुछ ज्ञान बेटों पर भी दिया जाए। बेटा पढ़ाओ, साथ ही उन्हें #संस्कार भी सिखाओ! प्राथमिक शिक्षा के साथ बच्चे को निश्चित ही एक #जिम्मेदार नागरिक बनाने की शिक्षा जारी रहनी चाहिए। वर्तमान युग में बेहद आवश्यक तथा देश की तरक्की में भी सहयोगी है।
भारत देश में लड़कों के लिए, इसकी शादी कर दो सुधर जाएगा। लड़कियां शादी के बाद मायके से वास्ता नहीं रखें, अन्यथा बिगड़ जाएंगी। दूसरी ओर, केवल बेटियां ही बुजुर्गों का ध्यान रखती हैं, बहुएं नहीं। ये किस मानसिकता में जी रहे हैं। ऐसा कुछ नहीं होता, यह सब आप (पैरेंट्स) की परवरिश पर निर्भर करता है। इसलिए पेरेंट्स! अपनी गलतियों, आचरण पर भी ध्यान देने की जरूरत है। अपने व्यवहार को चेक करें, बच्चे सबसे ज्यादा अपने मातापिता से ही सीखते हैं, उपदेशों से नहीं।
आए दिन पुरुषों को शराब पीने के बाद सड़क पर, नालियों में गिरे देखती हूं तो बहुत दुख होता है। ऐसा ही कृत्य अगर महिलाएं करें तो, कैसा लगेगा। क्या घर संभालने की जिम्मेदारी केवल महिला की है। वैसे आजकल महिलाएं भी इस दिशा (नशे) में निरंतर बढ़ रही हैं, वो भी पीछे नहीं हैं। अब तो अक्सर लड़कियां, आंटिया भी खुलेआम पब, पार्टियों में नशे में लड़खड़ाती देखी जा सकती हैं।
लोग पीने का बहाना ढूंढ लेते हैं। सुरक्षा तंत्र, प्रहरी, न्याय तंत्र, चिकित्सा जगत, आइटी सेक्टर, पत्रकारिता, जातिवाद, चालक, नौकरी पेशा, व्यवसाई, मार्केटिंग, मॉडलिंग, नेता, अभिनेता, अमीर, गरीब, गुंडे, शरीफ, खुशी, गम, ऊंचे स्तर का दिखावा, प्रेम में छलावा, लाचारी, बेरोजगारी, तनाव, भटकाव, जुआरी, भिखारी, आदिवासी, या भोग विलासी #नाजाने ऐसे कितने #बहाने हैं, जो पीने वाले अक्सर खोजते रहते हैं। बेरोजगारी भी एक बहाना ही है, लेकिन उस बेरोजगारी में भी पीने के लिए, पैसे पता नहीं कहां से पैसे आ जाते हैं। स्वयं को पाक साफ दिखने के लिए इन बहानों (excuses) से बचना छोड़िए।
क्या आपने वह कहानी सुनी है जिसमें एक बच्चा शुरू में चोरी करता है तो माता उसको कभी नहीं टोकती, और एक दिन वह बड़ा चोर बन जाता है। पकड़े जाने, सजा मिलने पर वह अपने मां से मिलने की इजाजत मांगता है। उसके हाथ बंधे होते हैं, और वह अपने मां से कान में कुछ कहना चाहता है। पास जाने पर वह मां का कान काट खा जाता है, सब आश्चर्यचकित होते हैं। तब वह कहता है कि जब मैंने पहली बार चोरी की थी, तब ही शायद मेरी मां ने डांट दिया होता, तो मैं आज इतना बड़ा चोर नहीं होता। इसलिए पेरेंट्स यह आपकी जिम्मेदारी है, कि आपका बच्चा पहली बार कोई गलती करे तो उस पर ध्यान दें, उसको छुपाए नहीं। उसको समझाएं प्यार से, डांट से, हर तरह से। नशे की आदत, दीमक की तरह मनुष्य के शरीर को खा जाता है। नशा वह जहर है, जिसे लोग बड़े स्वाद और शान के साथ गटकते हैं, इस तरह बच्चों की गलतियों के लिए जिम्मेदार और इसका दोषी कौन है????? शायद पैरेंट्स!! अगर पहली बार नशा करने पर मांतापिता ने गाल पर दो चांटे जड़े होते, बजाय गलती छुपाने के, पूछा होता तो यह नौबत ही नहीं आती। नशा अपराध की जड़ है। बच्चों को अच्छे संस्कार, परवरिश देना तो #पैरेंट्स का फर्ज है। पत्नी से पति को सुधारने की अपेक्षा कितनी सही है?? इसके विपरीत, पैरेंट्स! खुद सब चलता है, कह कर #सपोर्ट करते हैं, तो क्या किया जाए?? या बेटों के लिए सब #जायज है, चाहे वो कुछ भी करे। सीखता तो बच्चा घर से ही है। अक्सर बेटियों को शादी के बाद मायके से बातें करने या संपर्क में रहने से रोका जाता है, कि माएं बेटियों का घर बर्बाद कर देती हैं। लेकिन ये बात अभी तक समझ से परे है, उन बेटों का घर भी तो माएं ही बर्बाद करती हैं, जो बेटों को अपनी बहू के साथ स्वीकार ही नहीं कर पातीं, उल्टा उन्हें केवल एक नौकरानी से ज्यादा कुछ नहीं समझती। शराब पीने पर अगर बहू लड़े, तो पिता माता उन बेटों को अपने पास बिठा कर सपोर्ट करते हैं कि ये सब चलता है, या तुम्हारी वजह से पी रहा है। ऐसे में लड़कों को मां बहुत प्यारी लगती है। लेकिन कुछ #स्वार्थों से ऊपर उठकर सोचें, कि ये बच्चे! देश या परिवार का तो छोड़िए, समय आने पर जरूरत पड़ने पर आपके पास आने लायक भी बचेंगे?? हो सकता है, ये बच्चे आपके सामने ही पूरा जीवन भी ढंग से ना जी पाएं। इसलिए समय रहते संभल जाइए, झूठे अहम, दिखावटी प्यार को छोड़ बच्चों को सुधारने की कुछ तो कोशिश कीजिए। परिवार हित, देश, समाज के लिए यह भी आपके द्वारा एक योगदान ही है।
अच्छी परवरिश माता पिता की सबसे बड़ी चिंता है उनका बच्चा पढ़ाई, लिखाई ,खेलकूद, हर क्षेत्र में अग्रणी रहे यह उनकी चिंता है। बच्चों को उनकी गलती के अनुसार कभी-कभी दंड देना भी आवश्यक है, उनकी गलती के अनुसार अगर ज्यादा सजा दी जाए तो भी सही नहीं है। बस बच्चे पर उसका असर सही हो, यह आवश्यक है।