(पेरेंटिंग)एक पत्र, हेलीकॉप्टर पेरेंट्स के लिए__
परवरिश को लेकर लिखना,मुझे बहुत अच्छा लगता है। सभी पैरेंट्स अपने बच्चों की बेहतर परवरिश करने की कोशिश करते हैं। लेकिन फिर भी कुछ ऐसा हो जाता है, कि उनकी परवरिश ही बच्चों के व्यक्तित्व निर्माण में #बाधक बनने लगती है। आजकल के माता-पिता व बच्चों के हालात देखकर, शायद किसी की कुछ समझ में आ सके। पैरेंट्स, अति #नियंत्रण से बचें। यह बच्चों के और मुख्यत उनके अभिभावकों की प्रेरणा के लिए है, ताकि वह अपनी आदतों से बाज आ सकें। #अनावश्यक पकड़, बच्चों के व्यक्तित्व विकास पर बुरा असर डालती है। कई बार बच्चे social phobia के शिकार भी हो सकते हैं। जीवन में किसी भी तरह का दबाव आने पर, उनके अंदर डर और घबराहट बढ़ जाती है। और ऐसे बच्चे झूठ बोलने की और बातों को छुपाने की आदत बन जाती है। एक उम्र के बाद, बच्चों को अपने #इमोशनल #चंगुल से रिहा कीजिए। अपनी पकड़ ढीली कर, उन्हें भी अपनी जिंदगी जीने, निर्णय लेने का अधिकार दीजिए। स्वतंत्रता के बिना जीवन ऐसे है, जैसे आत्मा के बिना शरीर। निर्णय लेने की #क्षमता ही उनकी #उन्नति का मार्ग प्रशस्त करेगी। स्वतंत्रता, आजादी, खुली सांस लेकर ही उन्नति संभव है। कहीं ऐसा ना हो,आपकी अनावश्यक #दबाव से बच्चे अपना आत्मविश्वास ही खोने लगें। जरूरत के अनुसार बच्चों की मदद करें, लेकिन अनावश्यक हस्तक्षेप नहीं।
लेबनानी कवि खलील जिब्रान की एक खूबसूरत कविता है:-
तुम्हारे बच्चे, तुम्हारे नहीं हैं।
वह खुद जीवन की लालसा के बेटे और बेटियां हैं।
वह आए हैं तुम्हारे जरिए,
लेकिन तुममें से नहीं आये,
और, हालांकि वह हैं तुम्हारे साथ,
लेकिन वह नहीं है तुम्हारे!!!!!!
लेबनानी कवि खलील जिब्रान की एक खूबसूरत कविता है:-
तुम्हारे बच्चे, तुम्हारे नहीं हैं।
वह खुद जीवन की लालसा के बेटे और बेटियां हैं।
वह आए हैं तुम्हारे जरिए,
लेकिन तुममें से नहीं आये,
और, हालांकि वह हैं तुम्हारे साथ,
लेकिन वह नहीं है तुम्हारे!!!!!!
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