Manu's word
सोमवार, 4 फ़रवरी 2019
ना घर तेरा, ना ही मेरा
✍️
माटी चुन चुन महल बनाया,
लोग कहे घर मेरा है।।
ना घर तेरा ना घर मेरा,
चिड़िया रैन बसेरा।।
कौड़ी कौड़ी माया जोड़ी,
जोड़ भर लिया थैला।।
कहते कबीर सुनो भाई साधु,
संग चले ना थैला।।
उड़ जाएगा हंस अकेला,
जग दो दिन का मेला।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
मोबाइल वर्शन देखें
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें