मंगलवार, 19 अक्तूबर 2021

अम्मा की जुबां ते, ब्रज की लोकोक्तियां

अम्मा की जुबां ते, ब्रज की लोकोक्तियाँ___
पुराने समय तेई दैनिक जीवन ते जुरी लोकोक्तियां या बातें, प्रयोग में लात रहे हैं। मुहावरेन में ही ऐसी गूढ़ बात कह दई जाएं, कि बिने यदि दैनिक प्रयोग में लायौ जाय तो कई बात झट समझ आ जाएं। घर में बड़े बुजुर्ग आपस की बोलचाल में लोकोक्तियांंन (कविताई ढंग) के माध्यम ते बताय दियौ करते।
* पेट ए रखो नरम, पामन् कूं रखो गरम।।
* आगे नाथ न, पीछे पगहा, सबते भलौ कुमार को गदहा।।
अर्थात् _ जिन पर परिवार का कोई बंधन नहीं है।
* बैल पूंछ उठाएगो तो गोबर ही करेगो, संगीत तो सुनाबे ते रहयो।।
* सदा दिवाली साज की, जो घर गेहूं होय।
* गोबर कौ चोथ, ज्हां गिरेगौ कछु न कछु लै कें ही उठेगौ।।
* आज के थपे, आज नांए जरें।
अर्थात_ किसी काम के फल मिलने में धैर्य रखना चाहिए, उतावलापन नहीं।
* नाम धर्यौ गणपत, म्हौं मांऊ देखौ जे गत।।
* आंख के अंधे, नाम नैन सुख।।
* आ बैल मोए मार।।
* अपने मरे बिना स्वर्ग नांए दीसे।।
* न्होरौ न्होरौ का फिरै, कहा लगावै घात।
तो तें पहलें मैं फिरूं, लहैं तराजू - बाट।।
* भाग्य कूं दुर्भाग्य बनाइवे में, मुरारी माहिर है।
* पैसे की महिमा__
* दुनिया में दो ही बड़े, दामोदर ओरु दाम।
दामोदर बैठे रहें, दाम करें सब काम।
* अमीरी तेरे तीन नाम, परसा परसू परसराम।
गरीबी तेरे तीन नाम,लुच्चा भड़ुआ बेईमान।।
* अमीर ने पादौ, तौ सेहत भई।
गरीब ने पादौ, तौ बेअदबी।।
* जो गुड़ खाएगौ, वो ही कान छिदवाएगौ।
* बई ससुर की देहरी, बई ससुर कौ गाम।
बहुअल बहुअल टेरते,सो परौ डोकरी नाम।। ( वक्त बदलते देर नहीं लगती )
* सात मामान को भांजो, भूखों ही रह जाए।।
* घर के जोगी जोगना, आन गाम के संत।।
* आज मरे कल दूसरो दिनां।।
* देवी दिनां काट रई है, पंडा कह रह्यौ है पर्चो ( परिचय ) दै।।
* आधी छोड़ पूरी कूं धावै, आधी मिलै न पूरी पावै।।
* ऐसौ बखत पर्यौ ऐ नंदेऊ, है गये बंद कलेऊ।।
* चट्टो बिगारै एक घर, बत्तो बिगारै चार घर।।
* न्यारे घर कूं बल बल जाऊं,
सेर को दरिया नौ दिन खाऊं।। 
( दूसरे के सिर पर मौज और अपनी बार को कंजूसी वाली बचत )
* बेगि (जल्दी) कर बेगि कर, दोऊ छाक ( समय ) की एक कर।।
* कौमरी न पापरी, गद्द बहू आ परी।।
( बिना मेहनत, आसानी से काम होना )
* आई बहू आयौ काम, गई बहू गयौ काम।।
* अंटी में नांए धेला, देखन चली मेला।।
* अपने पूत कुंवारे फिरें, पड़ौसीन के फेरा।।
अर्थात_ घर की समस्या सुलझा नहीं पाते, दूसरों के लिए परोपकारी बने फिरते हैं।
* सात वार, नौ त्यौहार।। 
ब्रज क्षेत्र में आए दिन मनाए जाने वाले तीज त्यौहारों के लिए कहा जाता है।
* अपनी लगी तो देह में, औरन के लगी तो भीत में।।
* स्वास्थ्य संबंधी__
* *सौंठ, मिच्च (काली), पीपर, जाय खाय कें जी पर।।
* आंत भारी, तो माथ भारी।
* आंख में अंजन, दांत में मंजन 
नित कर, नित कर, नित कर।
नाक में अंगुली, कान में तिनका
मत कर मत कर मत कर।।
* भूखे भजन न होई गोपाला,
धरि लेओ अपनी कंठी माला।।
* अन्न ही नाचै, अन्न ही कूदै, अन्न ही तोड़े तान।।
अर्थात् पेट भरा होने पर ही मस्ती/ आनंद सब कुछ सूझता है।
* रोग की जड़ खांसी, झगड़े की जड़ हांसी।
* एक बेर खाय योगी, दो बेर खाय भोगी,
और बेर बेर खाये रोगी।।
* अन्न ही तारे,अन्न ही मारे।
कभी घी घना, कभी मुट्ठी चना,
और कभी वह भी मना।
* खाये चना, रहे बना।
* जाके गलुआ चीकने, बाके मलुआ यार।
अर्थात, जिसके गाल चिकने (जो सौंदर्य युक्त है) होते हैं, उसके गालों को मलने वाले ( स्नेह / प्रेम करने वाले ) बहुत होते हैं।
ग्रहण_____
*एक पखवारे परे दो ग्रहना, राजा मरे या  मरेगी सेना।।
बारिश_____
* सांझें धनुष सकारें मोरा, जे दोनों पानी के बौरा।।
अर्थ__ शाम को इन्द्रधनुष व प्रातः मोर नाचता दिखाई दे, तो पानी बरसने का संकेत है।
* पहली पवन पूर्व ते आवे, बरसे मेघ अन्न भर लावै।।
अर्थ__ यदि मानसून की पहली हवा पूर्व से चले तो समझना चाहिए कि खूब बारिश होगी एवं खूब अन्न पैदा होगा।
* सोम, शुक्र, गुरुवार कूं फूस अमावस होय।
घर घर बजें बधाइयां, दुखी न दीसे कोय।।
अर्थ__ यदि पौष माह की अमावस्या सोम, शुक्र या गुरुवार को हो तो, अच्छा समय आएगा। घर घर बधाई बजेंगी, कोई दुखी नहीं होगा।
* कै मारै सीरी (साझेदारी) कौ काम।
या फिर मारै भादों की घाम (धूप)।।
अर्थ__ साझे के कार्य में लापरवाही बरतने (नुकसान) की संभावना रहती है। और भादौं महीने में ऊमस के साथ तीखी धूप बीमारियों का घर है।
* जाति आधारित__
* आम, नींबू, बनिया, ज्यों ज्यों दाबौ रस देत।
कायस्थ, कौआ, किरकिटा, मुर्दा हूं ते लेत।। ( सबकी प्रकृति / आदत बताई है )
* आय कनागत बंधी आस, बामन उछरें नौ नौ बांस।  
गए कनागत गई आस, बामन रोवै चूल्हे के पास।
* अनपढ़ जाट पढ़े बराबर, पढ़ौ जाट खुदा बराबर। ( चालक व्यक्ति )
* ठाकुर, भंगी और मुसलमान।
संग सोवें, भोंके कटार।।( विश्वासघाती )
* बामन, कुत्ता, नाई, जात देख गुर्राई।
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