रविवार, 25 नवंबर 2018

यूं ही नहीं फलते फूलते रिश्ते

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🌹🌺यूं ही नहीं फलते फूलते रिश्ते🌺🌹
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आसान नहीं होता, रिश्तों को बचाए रखना
रिश्तों** को भी चाहिए,
जीवित** रहने के लिए                   
प्रेम** रूपी खाद,
और आपसी संवाद**,
संवेदनाओं का अहसास**,
दिल भी हो आसपास**,
कर्तव्यों** को लेकर हाथ,
धैर्य** का न छोड़ो साथ।
और बचना होगा🌹🌺🌷.......
अधिकारों** की चाहत से,
गलतफहमियों के जहर** से,
बिखर सकते हैं अहंकार** से,
और मर** भी सकते हैं,
अधैर्य,क्रोध की तपन** से
या शीतयुद्ध(चुप्पी) के कहर** से।
क्योंकि रिश्ते भी परवाह (देखभाल) चाहते हैं।
prevention is better than cure.

ओ मां ! तुम धुरी हो, घर की

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#ओ #मां, तुम #धुरी हो #घर की!!!!
#मुझे आज भी याद है चोट लगने पर मां का हलके से फूंक मारना और कहना, बस अभी ठीक हो जाएगा। सच में वैसा मरहम आज तक नहीं बना।
#वेदों में #मां को पूज्य, स्तुति योग्य और आव्हान करने योग्य कहा गया है। महर्षि मनु कहते हैं 10 उपाध्यायों के बराबर एक आचार्य होता है,सौ आचार्य के बराबर एक पिता और पिता से 10 गुना अधिक माता का महत्व होता है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम कहते हैं, #जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी अर्थात #जननी(मां) और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर होते हैं। इस संसार में 3 उत्तम शिक्षक अर्थात माता, पिता, और गुरु हों, तभी मनुष्य सही अर्थ में मानव बनता है
या देवी सर्वभूतेषु मातृ रूपेण संस्थिता।।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नमः।।
मां को कलयुग में अवतार कह सकते हैं। मां कभी मरती नहीं है, उसने तो अपना अस्तित्व (यौवन) संतान के लिए अर्पित कर दिया, संतान के शरीर का निर्माण (सृजन) किया। आज भौतिक चकाचौंध, शिक्षा, कैरियर, नौकरी आदि ने विश्व को सब कुछ दिया बदले में मां को #छीन लिया। किसी भी घर में स्त्री पत्नी, नारी, बहू, बेटी, बहन,भाभी, सास, मिल जाएगी, परंतु मां को ढूंढ पाना कठिन हो गया।आज स्वयं स्त्री अपने व्यक्तित्व निर्माण में कहीं खो सी गई है।
#नारी देह का नाम है।
#स्त्री संकल्पशील पत्नी है।
#मां किसी शरीर का नाम नहीं, अपितु
#मां- पोषणकर्ता की #अवधारणा है।
#अहसास है जिम्मेदारी का।
#मां- #आत्मीयता का #भावनात्मक #भाव है। मां #अभिव्यक्ति है निश्छल प्रेम, दया, सेवा, ममता की। मां के लिए कोई पराया नहीं। बच्चों की मां, पति बीमार हो तो उसके लिए भी मां, सास ससुर या बुजुर्ग मातापिता की सेवा करते हुए भी एक #मां। इस सब क्रियाकलापों में #मातृ भाव, और #स्त्री #स्वभाव की मिठास है। मां शब्द अपने आप में एक अनूठा और भावनात्मक #एहसास है। यह एहसास है #सृजन का, #नवनिर्माण का। स्त्री कितनी भी आधुनिक हो लेकिन मां बनने के गौरव से वह वंचित नहीं होना चाहती।
जब तक स्त्री का शरीर  दिखाई देगा, मां दिखाई नहीं देगी। उसके बनाए खाने में प्यार, जीवन के संदेश महसूस नहीं होंगे। महरी या बाहर के खाने में कोई संदेश महसूस नहीं होता। ऐसा खाना आपको स्पंदित, आनंदित ही नहीं करेगा। क्योंकि उनमें भावनाओं का अभाव होता है। कहते हैं ना जैसा खाओ अन्न, वैसा होगा मन। मां के हाथ का खाना भक्तिभाव, निर्मलता देता है। स्वास्थ के लिए हितकर होता है, क्योंकि उसमें होता है मां का प्यार, दुलार, मातृ भाव, आध्यात्मिक मार्ग भी प्रशस्त करता है। भाईबहिनों को एक करने की शक्ति है मातृ प्रेम।
#केवल #पशुवत जन्म देने भर से कोई मां नहीं हो सकती। ऐसी मां  को अपने बच्चे के बारे में न तो कोई जानकारी ही होती है, और न ही वे कोई संस्कार दे पाती हैं। आजकल ममता और कैरियर, अर्थ लोभ के द्वंद्व के बीच फंसी मां की स्थति डांवाडोल होती रहती है। अनावश्यक सामाजिक हस्तक्षेप भी मां की स्थति को और बदतर कर देता है। कई बार लड़की मां का दायित्व, परवरिश अच्छी तरह निभाना चाहती है, लेकिन उसकी सराऊंडिग्स के लोग उसको हीनभाव महसूस करवाए बिना नहीं चूकते कि, क्या घर के काम में लगी हो, ये काम तो कोई भी कर सकता है। ऐसे समय में माताएं अपना धैर्य बनाएं। बच्चे देश का भविष्य हैं, उनकी #जिम्मेदारी माताओं पर ही है।
#इंसान वैसे ही होते हैं,जैसा #मांएं उन्हें #बनाती हैं। भरत को निडर भरत बनाने में शकुन्तला जैसी मां का ही हाथ था,जो शेर के दांत भी गिन लेता था। हमेशा मां के दूध को ही ललकारा गया होगा। परवरिश को लेकर कहा गया होगा, और किसी को नहीं। आप भाग्यशाली हैं जो, प्रभु ने इस महत्वपूर्ण दायित्व के लिए आपको चुना है। मां बनना एक चुनौती से कम नहीं है। एक गरिमा, गौरवपूर्ण शब्द है #मां। इस दायित्व का निर्वहन भलीभांति करने से ही देशहित, समाजहित संभव होगा।

शुक्रवार, 16 नवंबर 2018

पेरेंटिंग,

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बच्चों,Learn to say #No,without explaining yourself.  _____
#हमेशा याद रखिए, #हां कहने की अपेक्षा #नहीं कहना ज्यादा #मुश्किल कार्य है। थोड़ा #निडर बनिए। यदि आप किसी कार्य के लिए ना कहते हैं, तो हो सकता है आपको आलोचना, उपेक्षा या अपमान सहना पड़े। लेकिन भविष्य में होने वाले बुरे परिणामों से ऐसी आलोचना या अपमान ही ज्यादा अच्छा है। केवल इस वजह से हां मत करिए, कि वह आपका मित्र, प्रियजन है। दूसरों को खुश करने के चक्कर में आप अपने निजी जीवन की #जिम्मेदारियों, कैरियर सबको #दांव पर लगा देते हैं। इस तरह हर बात पर सहमत हो कर आप अपनी पहचान ही नहीं, आत्म विश्वास भी कम करते हैं। अपनी #आत्मसम्मान बनाए रखिए। लेकिन कई बार, आप सही #मायने में #मनुष्य होते हो। हां ऐसे ही हो तुम सब। दूसरों को दुख ना पहुंचे, कोई नाराज ना हो जाए, इस चक्कर में किसी को भी #ना नहीं बोल पाते हो। कुछ लोग क्या, अधिकतर लोग तुम्हारे इस व्यवहार का फायदा भी उठाते हैं। किसी की भी आलोचना नहीं करते, हालांकि कुछ कहना भी हो तो मीठा मीठा ही बोलोगे, या फिर एक लम्बी चुप्पी। नतीजा.... सब आपके ऊपर हावी ही नहीं होते, अपितु आपके निजी जीवन में भी कड़वाहट भर देते हैं। मैं कई बार खूब गुस्सा भी होती हूं, हमेशा दूसरों की परवाह, कभी अपने लिए भी जीना सीखो। सबको एक ही जिंदगी मिली है, कभी सच भी बोल दो, कड़वा लगता है तो लगे, किसीको कुछ फर्क नहीं पड़ता। सब मतलबी दुनिया के वाशिंदे हैं, पर नहीं तुमको तो सबके दिल दुखने की चिंता है। काश!!! तुम बच्चों जैसा ही #सब समझ पाते, निर्मल रह सकते। साहस के साथ सत्य कहो उससे किसी को कष्ट होता है या नहीं इस ओर ध्यान मत दो।

बुधवार, 14 नवंबर 2018

खुशी की अभिव्यक्ति

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#खुशी की #अभिव्यक्ति #वैयक्तिक है। चाहे हम #खुशी में डूबे हों, या #दुख के अथाह सागर में डूबे हों, इसकी #गहराई को समझना #महत्वपूर्ण है। भवानी प्रसाद मिश्र कहते हैं_हंसो तो बच्चों की तरह #खिलखिलाकर, रोओ तो #तिलमिलाकर, #खालिस सुख #खालिस दुख। #मध्य का कुछ भी, कोई बात नहीं। #चयन आपका है दुखों कष्टों को #अवरोध मान लिया जाए, या रास्ते का #दिशासूचक!! यह #आपकी #सोच पर निर्भर करता है कष्टों, दुखों की कसौटी पर स्वयं को घिसकर  #निखारना चाहते हैं या #अवसाद के अंधेरे में डूबे रहना।
सुप्रभात!Have a good day.....

Find your Happiness!

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प्रकृति में खुशी महसूस करें _____
आप और हम खुश क्यों नहीं रह पाते, प्रकृति तो हर रोज़ तुम्हें खुश करने के नाजाने कितने #प्रयास करती है। इसे महसूस करने के लिए हमें स्वयं को भी प्रयास  करना होगा, तभी बात बनेगी। प्रकृति ने तो हमें खुशियां ही खुशियां दी हैं, दुःख हमारी खोज हैं। खुशी और आनंद के झरने लगातार बहते रहते हैं, कहीं चिड़िया चहचहा रही है, तो कहीं मोर अपने पंख फैलाए नाच रहा है। कभी कोयल की कूहुक का आपने जवाब दिया है, शायद बचपन में तो जरूर किया होगा, फिर अब क्यों नहीं?...करिए, वो जवाब देगी, और फिर जब एकदम चुप होजाए तो आपको हंसने पर मजबूर कर देगी ... खिलखिला कर हंसिए... कई चिड़ियाओं के सुंदर चटक रंग, तो कहीं फूलों के सुंदर रंग बिखेर रहे हैं। कभी जान पड़ता है, जैसे शांत खड़े पेड़ हवा के साथ फुसफुसा कर आपसे बातें कर रहे हैं।... कभी पक्षियों को गौर से देखें, उनके साथ समय बिताएं, ... कुछ ही दिनों में आप उनको समझने लगेंगे। लगेगा जैसे वो आप से अपनी अनकही कहना चाहते हो। क्या किया है कभी ऐसा?? नहीं, तो अब करके देखिए। कहीं नर्म घास ने पूरा कालीन बिछा रखा है, ... चलिए, नहीं तो दौड़िए उस पर ... कोरे मिट्टी के मटके के पानी मिठास, खुशबू, जैसे पहली बारिश की महक ... हर ओर सुंदरता, प्रेम, शांति, आनंद... जब भी मन उदास हो किसी छोटे बच्चे से बातें करने का आनंद, महसूस कीजिए, उतरने दो भीतर तक, अंदर आने दो उन खुशी के पलों को ... उसकी तुतलाती भाषा, निश्छल प्रेम आपको निश्चित ही गुदगुदाने पर मजबूर कर देगा ... किसी बुजुर्ग की लाठी बनने का आनंद, स्वागत कीजिए ... सब बाधाएं, निराशाएं हटा, सारी नकारात्मकता को सकारात्मक विचारों की शक्ति से शून्य करदो। ज़ोर से हंसो, बार बार मुस्कुराओ, सुंदर कल्पनायें कर अपने दिमाग को अच्छा भोजन (मानसिक टॉनिक) दो, शांति के लिए अपनी साँसों की गति देखो, उनका रास्ता नापो, पूरा ध्यान खुद पर... बाहर कुछ नहीं, केवल भीतर। सांसों को महसूस करें। इतनी शांति कि सांस की आवाजाही को भी सुन सको। और फिर प्राणायाम ... ध्यान ... से बेहतर  क्या हो सकता है ... ये सारी चीजें आपके खुश रहने के लिए, नई ऊर्जा देने के लिए मानसिक खुराक है। खुशी बाहर से खरीदी जाने वाली वस्तु नहीं है... इसे तो अपने अंदर ही खोजना पड़ेगा।
सुप्रभात! Have a pleasant day!