मंगलवार, 25 मई 2021

स्त्रियां

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प्रकृति में समाया परिवार

स्त्रियां! 💃
रोप दी जाती हैं धान सी
उखाड़ दी जाती हैं,
खरपतवार सी
पीपल सी कहीं भी उग आती हैं।
स्त्रियां!💃
जीवन दायी अमृता सी,
महके लंबे समय तक,
रजनीगंधा सी
कभी ना हारें,अपराजिता बन छाई हैं
स्त्रियां!💃
रजनीगन्धा, लिली
जैसे यौवन ने ली अंगड़ाई है
सप्तपर्णी के फूल से
प्रेम माधुर्य की खुशबू आई है।
स्त्रियां!💃
आंसुओं को पी,
बिखेरती खुशबू पारिजात सी
पुनर्नवा सी,
ईश्वर की वरदान बन आई है।
स्त्रियां!💃
दिल दिमाग की शांति, 
शंखपुष्पी, ब्राह्मी सी
तुलसी सी पावन
आंगन की शोभा बढ़ाई है।
स्त्रियां!💃
सौम्यता मनभावन
चंपा, चमेली, मोगरा सी
भरदेती सुखसौभाग्य,अमलतास(स्वर्ण वृक्ष) सी
घर आंगन में मानो,परी उतर आई है।

शुक्रवार, 21 मई 2021

पिता, हाइकु

पिता____
1_💕
जनक सुता
पाए राम से वर
खुश हैं पिता!
2_💕
सुनहुं तात!
जग पसारे हाथ
पुरी का भात
3_💕
नभ में रवि
हम बच्चों के लिए
पिता की छवि
4_💕
पिता के कांधे
था महफूज स्थान
विराजमान
5_💕
नहीं अमीर
मांगें पूरी करते
मेरे पिताजी!
6_💕
मार्ग दर्शक
जीना है सिखलाते
खूब पिताजी!
7_💕
हिमालय से
पिता! भी टूट जाते
ग्लेशियर से
8_💕
उठे हिलोर
चला बुद्ध बनने
देखे मुड़ के
9_💕
पिता आकाश
दूर क्षितिज मां से
मिलते गले
10_💕
बड़े बुजुर्ग! 👳
घर के कल्प वृक्ष,
चाहो सो पाओ

मां, हाइकु

मां___
1_💕
है अनपढ़
फिर भी पढ़ लेती
मेरे दर्द, मां!
2_💕
वरदान सी
मेरे झुके सिर पे
दे असीस, मां!
3_💕
नींद गंवाई
ना करती आराम
अनोखी है, मां!
4_💕
पीड़ा हरती
टीस पे मल्हम सी
धन्वंतरि मां!
5_💕
उम्र की सांझ
पाया था मन्नतों से
मां बनी बांझ
6_💕
मेरे नन्हे! है
तुमसे प्यार, जब
तुम थे नहीं
7_💕
जब हों निराश
मां की दुआ, है आस
पूर्ण विश्वास
8_💕
धुरी घर की
मां! जीवन दायिनी
ऑक्सीजन सी
9_💕
मां का प्यार
अभी-अभी समझा
वो चल भी दीं