सोमवार, 31 दिसंबर 2018

स्वागत नए साल का


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*नया साल, नई आदतें , नया अंदाज़, नई सोच, आओ एक सकारात्मकता के साथ करें, गए साल को विदा, और नए साल 2019 का स्वागत !!! नई *शताब्दी शुरू हुए पूरे 18 साल गुजर चुके हैं। और यह  सदी भी अब 18 साल की हो चुकी है, पूर्ण युवा जोश से लबरेज। कभी सोचा है आपने, पूरा वर्ष महज एक कैलेंडर है, जिसके हर महीने पन्ने फाड़ते जाइए, या इससे कुछ इतर। तारीख, दिन, महीने, साल गुजरते जाएंगे, बस कुछ तस्वीरें हैं जो छाप छोड़ जाती हैं।
*एक शायर अमीरुल्लाह तस्लीम की यह पंक्तियां सोचने पर विवश करती हैं।
सुबह होती है,शाम होती है/ उम्र यूं ही तमाम होती है। *वक्त का पहिया अपनी चाल से चलता ही रहता है, कब एक साल निकल जाता है पता भी नहीं चलता, पर उनका मूल्यांकन करना, हमने क्या खोया, क्या पाया  महत्वपूर्ण है। जीवन में देखा जाए तो बहुत कुछ अनचाहा भी हो जाता है, उसके लिए अपने दिमाग की सफाई जरूरी है। हम सब में बस यही कमी है, अगर कोई बात हो गई है तो बस उसे गांठ बांध कर रखेंगे बीती ताहि बिसार दे आगे की सुध ले, रात गई बात गई! यह सोच बहुत अच्छी है, जब हम नकारात्मकता को अपने दिमाग से निकाल देंगे, तभी शायद हम कुछ सकारात्मक या नया कर पाएंगे। बीत गए उस भूल जाना, नए साल को गले लगाना। बीते हुए लम्हों की कसक को लेकर कब तक जिएंगे, आशावादी रहिए कभी मुलाकात तो होगी, चाहे ख्वाबों में ही सही। एक और बात, सच को कहने, स्वीकारने से कभी मत डरिए। लोगों से डरडर कर क्या जीना, डरना है, तो गलत कामों और उसके अंजाम से डरिए।
*कवि दुष्यंत की ये पंक्तियां बहुत कुछ बयां कर रही हैं।
हिम्मत से सच कहो तो बुरा मानते हैं लोग
रो रोकर कहने की आदत नहीं रही कभी।
*आपकी बोल्डनेस, जीने का अंदाज़ शायद कई लोगों को पसंद ना आए,क्योंकि दुनिया तरस तो खा सकती है लेकिन, सच्चाई, साफ गोई को बर्दाश्त नहीं कर सकती। क्यों रहें गिड़गिड़ाते हुए। नई सदी के बाली उमर के युवाओं को भी आगे बढ़ते रहने के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएं। अपने जोश और जज्बे के साथ होश ना खोएं। क्योंकि युवा पीढ़ी होश खोने की अंधीदौड़ में प्रवेश करने को बेताब रहती है। ये जो जीवन मिला है, उसमें से एक और वर्ष कम हो गया।आओ कुछ तो ऐसा कर जाएं, कि हस्ती कोई मिटा नहीं पाए। कम से कम कुछ काम ऐसे होने चाहिए, जिनसे आप साल का अंत या साल का शुभारम्भ बहुत ही सुंदर,अच्छी भावनाओं के साथ कर सकें।
*अपने लिए जिए तो क्या जिए,
तू जी,ए दिल ! जमाने के लिए!

रविवार, 16 दिसंबर 2018

स्वास्थ्य के लिए आवश्यक नींद

#स्वास्थ्य के लिए आवश्यक #नींद----------

अगर #नींद आ जाय तो सो लिया करो।
रातों को जागने से #मोहब्बत लौटा नहीं करती।।

क्या आप #पर्याप्त #नींद लेते हैं? यह एक #रिस्क लेना ही है, या यूं कहें आग से खेलने जैसा।अगर आप तनाव में रहते हैं, तथा एक गहरी अच्छी नींद नहीं लेते तो आप स्वयं कई #साइलेंट खतरनाक बीमारियों को आमंत्रित कर रहे हैं।
#निद्रा शारीरिक एवं मानसिक आराम के लिए बेहद जरूरी  है, और यह जीवन का एक प्राकृतिक कर्म है।इसे टालना नहीं चाहिए, कितनों को मिलती है सुकून भरी नींद,  #स्वस्थ रहने के लिए नींद सर्वप्रथम है।दिनभर की थकान की पूर्ति रात्रि निद्रा से हो जाती है। जो रात को सो नहीं पाते या सोते नहीं हैं, उनके स्वास्थ्य में परेशानी रहती है।
Early to bed and early to rise,
Makes a man healthy wealthy and wise.
#रात्रि की एक गहरी अच्छी नींद आपको अगले दिन के लिए अधिक ऊर्जावान बनाती है।
#स्पर्धा के इस दौर ने लोगों की #दिनचर्या को अव्यवस्थित कर दिया है।नौकरियां भी 24×7की होने लगी हैं, इस वजह से तथा रहन सहन में बदलाव के कारण भी #अनिद्रा की समस्या बढ़ती जा रही है।अनियमित दिनचर्या,व्यस्तजिंदगी, कैरियर की चिंता, पढ़ाई, सामाजिक दबाव, बढ़ती उम्र, एंग्जाइटी, असंतुलित खानपान, देर रात पार्टी आदि कई कारण हैं जो अनिद्रा की वजह बनते हैं।
हालांकि इन सब में अव्यवस्थित होने #मुख्य #कारण #व्यक्ति स्वयं ही है।स्वयं को बदलिये, अपनी दिनचर्या का रूटीन बनाकर हम अनिद्रा से छुटकारा भी पा सकते हैं, तथा दवाओं पर निर्भरता भी कम कर सकते हैं। But first step is yours.
एक #अच्छी नींद आपकी याददाश्त को बेहतर बनाती है, वहीं नींद की कमी शरीर में तनाव एवं #अवसाद पैदा करने वाले कारणों की वजह बनती है।(उत्पन्न करती है) अच्छी नींद से आप स्वयं को शांत महसूस करते हैं, क्योंकि अच्छी नींद से तनाव पैदा करने वाले #हार्मोन्स का स्तर कम होता है, नियंत्रित होता है। इन सबसे बचने के लिए  नींद परम आवश्यक है। अच्छी नींद न आने से #पाचनतंत्र भी गड़बड़ा जाता है, गैस, अपच की समस्या होने लगती है।फिर एक चक्र सा बन जाता है।अच्छी नींद नहीं तो पेट की समस्या और पेट की गड़बड़ तो नींद की गड़बड़(#correlated)। पर्याप्त #नींद से रक्तचाप भी नियंत्रित रहता है।अच्छी नींद से आंखों के नीचे काले घेरे तथा चेहरे पर झुर्रियाँ भी नहीं होती। जिस भी रोगी व्यक्ति को अच्छी गहरी नींद आती है, वह जल्दी ठीक होता है।और #स्वस्थ है तो प्रसन्नचित्त रहता है। क्योंकि नींद में कई आरोग्यदायक गुण होते हैं। #निद्रा को समस्त रोगों की #प्राकृतिकचिकित्सा कहा जाता है। रोगी के लिए तो नींद आहार ही नहीं #दवा भी है।
कम से कम 6-8 घंटे की नींद जरूरी है एक युवा को।कोई 4 घंटे में भी अच्छा महसूस करता है, कोई 7-8 घंटे सोकर भी तरोताजा नहीं हो पाते।ये अपने अपने शरीर की मांग है।उम्र के अनुसार भी नींद कम ज्यादा होती है। #नवजात शिशु जहां 20-22घंटे सोते हैं, वहीं #वृद्धावस्था में नींद बहुत कम हो जाती है, इसे अनिद्रा न माना जाय।#योगियों की भी नींद कम होती है।
नींद की भरपाई करना मुश्किल है, एसा नहीं है कि कुछ दिन नींद #अवॉइड करके फिर एक साथ सोया जाय।यह संभव नहीं है। लेकिन आजकल की नौकरियों में कई बार युवा सोमवार से शुक्रवार तक जम कर कार्य करने एवं व्यस्तता के कारण नींद पूरी नहीं कर पाते,और सोचते हैं इसकी पूर्ति शनिवार को कर लेंगे। जो #न तो #उचित है और न ही संभव। इससे आपकी कार्यक्षमता भी प्रभावित होती है।
नींद की आवश्यकता को #गम्भीरता से समझें। ताकि तन और मन स्वस्थ रहे।
वैज्ञानिकों और उपासकों के मतानुसार(if possible)     #पृथ्वी पर सीधे सोना सर्वोत्तम है, क्योंकि पृथ्वी के संपर्क से पृथ्वी पर रहने वाले सभी प्राणियों को #जीवनीशक्ति उपलब्ध होती है। कोमल गद्दों विशेष कर बढ़ते बच्चों के लिए तो #कोमल नर्म बिस्तर पर सोना स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक है। सोते समय मनुष्य का सिर किस दिशा में हो इसका भी शास्त्रीय विधान है। मार्कण्डेय स्मृति में उल्लेख है कि रात्रि को #पूर्व या #दक्षिण की ओर डर करके सोने से धन, आयुष्य  की वृद्धि होती है।#पश्चिम की तरफ चिंता तथा #उत्तर की ओर सिर करके सोने से #प्राणतत्व का क्षय होता है। आम घरों में भी बुजुर्ग दक्षिण की ओर पैर तथा उत्तर की ओर सिर करके सोने की मना करते हैं। इस अवस्था में केवल #मृतशरीर को ही रखा जाता है।
#They can do most who sleep best.
अर्थात जो अच्छी तरह सोते हैं, या सोना जानते हैं वे बहुत कुछ कर सकते हैं।निद्रा के गुणों के बारे में #आयुर्वेद में भी कहा गया है---
निद्रा तु सेविता काले धातु साम्यमतिंद्रताम।
पुष्टिवर्ण बलोत्साहं बह्निदिपतिं करोतिहि ।।
अर्थात दिन में व्यर्थ न सोकर जो रात के दूसरे पहर से निद्रा आरंभ कर रात के चौथे पहर जग जाते हैं,  उनकी शरीर की सभी धातुएँ सम अवस्था मे रहती हैं। आलस्य नहीं रहता तथा शरीर पुष्ट होता है।
#गहरी,अच्छी नींद के लिए-----रात्रि को भारी भोजन से बचें,हल्का  #सुपाच्य भोजन ही करें। सोने से दो तीन घंटे पूर्व ही करें तो बेहतर है।  चाय कॉफी तो बिल्कुल नहीं। एक शोध के  अनुसार ऐसा भोजन, जिसमें #ट्रिप्टोफैन, #सेरोटोनिन या #कार्बोहाइड्रेटे वाली खुराक शामिल करते हैं, तो नींद अच्छी आती है।#नींद से शरीर की #अनावश्यक गंदगी, गर्मी दूर होकर शरीर पुष्ट होता है।
#ट्रिप्टोफेन --के लिए नट्स, बीन्स, चीज़ आदि।(प्रा.चि.)में शाकाहार को ही महत्व देते हैं, अन्यथा मछली और अंडे में भी।
#कार्बोहाइड्रेट-- के लिए ब्राउन राइस, आलू, शकरकंद आदि।
#सेरोटोनिन -- के लिए केला दूध सहायक हैं, नींद लाने में। अच्छी नींद के लिए सोने के कमरे को व्यवस्थित रखें, अंधेरा भी उचित है। #टीवी को कमरे में न रखें और न ही देखते देखते सोने की आदत बना लें।इनके नुकसान शुरू में पता नहीं चलते, लॉग टर्म में बाद में पता चलते हैं।#शवासन बेहतर उपाय है अच्छी नींद के लिए,  किसी योग गुरु से सीख सकते हैं।सोने से पहले #नहाना भी अच्छा उपाय है, नहीं तो  भलीभांति हाथपैर ही धो लें। रात्रि सोते समय पढ़ने की आदत भी अच्छी है।हो सके तो #तलवों पर तथा #सिर की #मालिश से भी गहरी नींद आती है।
#अल्कोहल,#नींद की गोलियां बिलकुल न लें।हो सकता है  इनसे नींद तो आ जाय लेकिन स्लीपिंग क्वालिटी कम हो जायेगी, आधी रात में ही नींद खुल जायेगी।इस तरह की #नींद #प्राकृतिक नींद न होकर एक #नशा  है। इसमें प्राकृतिक नींद के फायदे नहीं मिल पाते। #नेचुरोपैथी में तो खाने (#अन्न)का नशा ही काफी है, मद्यपान का नहीं भूखे न सोएं।अतः पूर्ण शांति के साथ मन को उथल पुथल से दूर कर सोएं, और आरोग्य लाभ उठाएं। अगर केवल काम ही करते रहें और नींद न लें तो शरीर तथा दिमाग दोनों कार्य करने लायक नही रहेंगे। आप इसमें worst स्थिति के बारे में सोच सकते हैं, इसी से समझ लीजिए गहरी,  अच्छी नींद कितनी आवश्यक है।

शनिवार, 15 दिसंबर 2018

चश्मा बदलिए, जैसी दृष्टि, वैसी सृष्टि

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#चश्मा बदलिए, जैसी दृष्टि, वैसी सृष्टि!!
पास का चश्मा, दूर का चश्मा का, धूप का चश्मा बाइफोकल, ट्राइ फोकल, मल्टी फोकल इन्हें स्पेक्स भी कहते हैं, फैशन के लिए भी गॉगल्स होते हैं। और इनके अलावा एक होता है, अपने #नजरिए से देखने का #चश्मा।
हम सभी को दुनिया , व्यक्तियों को अपने अपने #चश्मे से देखने की आदत पड़ चुकी है। अगर दुनिया को सही तरीके से देखना है तो सबसे पहले अपने चश्मे (सोच, #दृष्टिकोण) को #बदलना जरूरी है। जैसे ही चश्मा बदलते हैं, आप की और लोगों के प्रति #धारणा भी बदल जाती है। अन्यथा हम #पूर्वाग्रह से बंधे हुए होते हैं। परिस्थितियों, लोगों को देखने का नजरिया बदलने, या कहें चश्मे (दृष्टिकोण, सोच) को बदलकर देखने से, दुनिया ज्यादा सुंदर और सुलझी हुई प्रतीत होती है। जब आप अपने #पूर्वाग्रहों के साथ चलते हैं, उसी नजरिए से दूसरे को #देखते हैं, तो आप जिस सोच के साथ हैं, उन्हीं परिस्थितियों को देखते हैं, वह उसी पर निर्भर करेगा, और वही दिखेगा। अपनी सोच, नजरिए, चश्मे को बदलें....... अनुभव के साथ उसका रिजल्ट भी बदल जाएगा, परिणाम भी बदल जाएगा। हर समय गुस्से में बोलना, या क्रोध में स्वयं को नुकसान, से कुछ नहीं होने वाला। बहुत सी शिकायतें, धैर्य के साथ बहुत बुरा देख, सुन, बोल लिया, पर अब नहीं, हरगिज नहीं। अगर बदलना है वह, जो अच्छा नहीं है, वह बदलिए। नजरिए के साथ-साथ पहले खुद को बदलना जरूरी है। फिर अपने नजरिए, अपनी सोच को बदलो। हर चीज में अच्छा देखने की कोशिश करो। हर मुश्किल में कुछ सीखने की कोशिश करो, जिस दिन आप अपने देखने का चश्मा (नजरिया,दृष्टिकोण) बदल लेंगे, उस दिन पूरी दुनिया बदलती हुई दिखाई देगी।
कई बार आपने देखा होगा, किसी के लिए भी हम एक इमेज बना लेते हैं, और उसके बारे में वैसा ही सोचते हैं। आप अपनी मां, पिता, पति, पत्नी, बच्चों, मित्र या परिवार के बारे में कुछ भी गलत सुनने को तैयार नहीं होते हैं, क्योंकि आप उनको अपने चश्मे से देखने के आदी हैं, अन्यथा गलती तो  कोई भी कर सकता है....... सुपर पावर तो कोई है नहीं। इसलिए सबके लिए अपना ही चश्मा लगाने के बजाय चश्मा #बदलकर कर #विवेक के साथ देखने की कोशिश करें। जैसे ही हम चश्मा बदलते हैं, दुनिया ज्यादा सुंदर और #सुलझी हुई, हसीन महसूस होती है।
आप अपनी सोच का दायरा विस्तृत कर आगे बढ़ते रहिए। चलेंगे तो ठोकर भी लगेगी, गिरेंगे भी.....तो भी डर कैसा?? गिर कर उठने में भी एक आनंद है। जब सब तुम्हारे गिरने का इंतजार कर रहे हों, कि बस अब रुक गया सब समाप्त!!!! आप एक बार फिर से उठ खड़े होते हैं........, तो आपके प्रतिद्वंदी अपने आप शांत हो चुप बैठ जाएंगे। आपके एक #कदम उठाते ही बाकी के #निन्यानवे भी साथ हो लेंगे। और यही तुम्हारी जीत होगी!!!!!!!! स्वामी विवेकानंद का यह कथन बहुत ही सटीक है
उठो, जागो, और तब तक नहीं रुको, जब तक कि आपको अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं हो जाए। सृष्टि नहीं दृष्टि बदलने की कोशिश करें, दुनिया बहुत हसीन लगेगी।
जैसी दृष्टि, वैसी सृष्टि!!


बुधवार, 12 दिसंबर 2018

स्वास्थ्य के लिए नींद

#स्वास्थ्य के लिए आवश्यक #नींद----------
अगर नींद आ जाय तो सो लिया करो।
रातों को जागने से मोहब्बत लौटा नहीं करती।।
क्या आप #पर्याप्त #नींद लेते हैं? यह एक #रिस्क लेना ही है, या यूं कहें आग से खेलने जैसा।अगर आप तनाव में रहते हैं, तथा एक गहरी अच्छी नींद नहीं लेते तो आप स्वयं कई #साइलेंट खतरनाक बीमारियों को आमंत्रित कर रहे हैं।
#निद्रा शारीरिक एवं मानसिक आराम के लिए बेहद जरूरी  है, और यह जीवन का एक प्राकृतिक कर्म है।इसे टालना नहीं चाहिए, कितनों को मिलती है सुकून भरी नींद,  #स्वस्थ रहने के लिए नींद सर्वप्रथम है।दिनभर की थकान की पूर्ति रात्रि निद्रा से हो जाती है। जो रात को सो नहीं पाते या सोते नहीं हैं, उनके स्वास्थ्य में परेशानी रहती है।
Early to bed and early to rise,
Makes a man healthy wealthy and wise.
#रात्रि की एक गहरी अच्छी नींद आपको अगले दिन के लिए अधिक ऊर्जावान बनाती है।
#स्पर्धा के इस दौर ने लोगों की #दिनचर्या को अव्यवस्थित कर दिया है।नौकरियां भी 24×7की होने लगी हैं, इस वजह से तथा रहन सहन में बदलाव के कारण भी #अनिद्रा की समस्या बढ़ती जा रही है।अनियमित दिनचर्या,व्यस्तजिंदगी, कैरियर की चिंता, पढ़ाई, सामाजिक दबाव, बढ़ती उम्र, एंग्जाइटी, असंतुलित खानपान, देर रात पार्टी आदि कई कारण हैं जो अनिद्रा की वजह बनते हैं।
हालांकि इन सब में अव्यवस्थित होने #मुख्य #कारण #व्यक्ति स्वयं ही है।स्वयं को बदलिये, अपनी दिनचर्या का रूटीन बनाकर हम अनिद्रा से छुटकारा भी पा सकते हैं, तथा दवाओं पर निर्भरता भी कम कर सकते हैं। But first step is yours.
एक #अच्छी नींद आपकी याददाश्त को बेहतर बनाती है, वहीं नींद की कमी शरीर में तनाव एवं #अवसाद पैदा करने वाले कारणों की वजह बनती है।(उत्पन्न करती है) अच्छी नींद से आप स्वयं को शांत महसूस करते हैं, क्योंकि अच्छी नींद से तनाव पैदा करने वाले #हार्मोन्स का स्तर कम होता है, नियंत्रित होता है। इन सबसे बचने के लिए  नींद परम आवश्यक है। अच्छी नींद न आने से #पाचनतंत्र भी गड़बड़ा जाता है, गैस, अपच की समस्या होने लगती है।फिर एक चक्र सा बन जाता है।अच्छी नींद नहीं तो पेट की समस्या और पेट की गड़बड़ तो नींद की गड़बड़(#correlated)। पर्याप्त #नींद से रक्तचाप भी नियंत्रित रहता है।अच्छी नींद से आंखों के नीचे काले घेरे तथा चेहरे पर झुर्रियाँ भी नहीं होती। जिस भी रोगी व्यक्ति को अच्छी गहरी नींद आती है, वह जल्दी ठीक होता है।और #स्वस्थ है तो प्रसन्नचित्त रहता है। क्योंकि नींद में कई आरोग्यदायक गुण होते हैं। #निद्रा को समस्त रोगों की #प्राकृतिकचिकित्सा कहा जाता है। रोगी के लिए तो नींद आहार ही नहीं #दवा भी है।
कम से कम 6-8 घंटे की नींद जरूरी है एक युवा को।कोई 4 घंटे में भी अच्छा महसूस करता है, कोई 7-8 घंटे सोकर भी तरोताजा नहीं हो पाते।ये अपने अपने शरीर की मांग है।उम्र के अनुसार भी नींद कम ज्यादा होती है। #नवजात शिशु जहां 20-22घंटे सोते हैं, वहीं #वृद्धावस्था में नींद बहुत कम हो जाती है, इसे अनिद्रा न माना जाय।#योगियों की भी नींद कम होती है।
नींद की भरपाई करना मुश्किल है, एसा नहीं है कि कुछ दिन नींद #अवॉइड करके फिर एक साथ सोया जाय।यह संभव नहीं है। लेकिन आजकल की नौकरियों में कई बार युवा सोमवार से शुक्रवार तक जम कर कार्य करने एवं व्यस्तता के कारण नींद पूरी नहीं कर पाते,और सोचते हैं इसकी पूर्ति शनिवार को कर लेंगे। जो #न तो #उचित है और न ही संभव। इससे आपकी कार्यक्षमता भी प्रभावित होती है।
नींद की आवश्यकता को #गम्भीरता से समझें। ताकि तन और मन स्वस्थ रहे।
वैज्ञानिकों और उपासकों के मतानुसार(if possible)     #पृथ्वी पर सीधे सोना सर्वोत्तम है, क्योंकि पृथ्वी के संपर्क से पृथ्वी पर रहने वाले सभी प्राणियों को #जीवनीशक्ति उपलब्ध होती है। कोमल गद्दों विशेष कर बढ़ते बच्चों के लिए तो #कोमल नर्म बिस्तर पर सोना स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक है। सोते समय मनुष्य का सिर किस दिशा में हो इसका भी शास्त्रीय विधान है। मार्कण्डेय स्मृति में उल्लेख है कि रात्रि को #पूर्व या #दक्षिण की ओर डर करके सोने से धन, आयुष्य  की वृद्धि होती है।#पश्चिम की तरफ चिंता तथा #उत्तर की ओर सिर करके सोने से #प्राणतत्व का क्षय होता है। आम घरों में भी बुजुर्ग दक्षिण की ओर पैर तथा उत्तर की ओर सिर करके सोने की मना करते हैं। इस अवस्था में केवल #मृतशरीर को ही रखा जाता है।
#They can do most who sleep best.
अर्थात जो अच्छी तरह सोते हैं, या सोना जानते हैं वे बहुत कुछ कर सकते हैं।निद्रा के गुणों के बारे में #आयुर्वेद में भी कहा गया है---
निद्रा तु सेविता काले धातु साम्यमतिंद्रताम।
पुष्टिवर्ण बलोत्साहं बह्निदिपतिं करोतिहि ।।
अर्थात दिन में व्यर्थ न सोकर जो रात के दूसरे पहर से निद्रा आरंभ कर रात के चौथे पहर जग जाते हैं,  उनकी शरीर की सभी धातुएँ सम अवस्था मे रहती हैं। आलस्य नहीं रहता तथा शरीर पुष्ट होता है।
#गहरी,अच्छी नींद के लिए-----रात्रि को भारी भोजन से बचें,हल्का  #सुपाच्य भोजन ही करें। सोने से दो तीन घंटे पूर्व ही करें तो बेहतर है।  चाय कॉफी तो बिल्कुल नहीं। एक शोध के  अनुसार ऐसा भोजन, जिसमें #ट्रिप्टोफैन, #सेरोटोनिन या #कार्बोहाइड्रेटे वाली खुराक शामिल करते हैं, तो नींद अच्छी आती है।#नींद से शरीर की #अनावश्यक गंदगी, गर्मी दूर होकर शरीर पुष्ट होता है।
#ट्रिप्टोफेन --के लिए नट्स, बीन्स, चीज़ आदि।(प्रा.चि.)में शाकाहार को ही महत्व देते हैं, अन्यथा मछली और अंडे में भी।
#कार्बोहाइड्रेट-- के लिए ब्राउन राइस, आलू, शकरकंद आदि।
#सेरोटोनिन -- के लिए केला दूध सहायक हैं, नींद लाने में। अच्छी नींद के लिए सोने के कमरे को व्यवस्थित रखें, अंधेरा भी उचित है। #टीवी को कमरे में न रखें और न ही देखते देखते सोने की आदत बना लें।इनके नुकसान शुरू में पता नहीं चलते, लॉग टर्म में बाद में पता चलते हैं।#शवासन बेहतर उपाय है अच्छी नींद के लिए,  किसी योग गुरु से सीख सकते हैं।सोने से पहले #नहाना भी अच्छा उपाय है, नहीं तो  भलीभांति हाथपैर ही धो लें। रात्रि सोते समय पढ़ने की आदत भी अच्छी है।हो सके तो #तलवों पर तथा #सिर की #मालिश से भी गहरी नींद आती है।
#अल्कोहल,#नींद की गोलियां बिलकुल न लें।हो सकता है  इनसे नींद तो आ जाय लेकिन स्लीपिंग क्वालिटी कम हो जायेगी, आधी रात में ही नींद खुल जायेगी।इस तरह की #नींद #प्राकृतिक नींद न होकर एक #नशा  है। इसमें प्राकृतिक नींद के फायदे नहीं मिल पाते। #नेचुरोपैथी में तो खाने (#अन्न)का नशा ही काफी है, मद्यपान का नहीं भूखे न सोएं।अतः पूर्ण शांति के साथ मन को उथल पुथल से दूर कर सोएं, और आरोग्य लाभ उठाएं। अगर केवल काम ही करते रहें और नींद न लें तो शरीर तथा दिमाग दोनों कार्य करने लायक नही रहेंगे। आप इसमें worst स्थिति के बारे में सोच सकते हैं, इसी से समझ लीजिए गहरी,  अच्छी नींद कितनी आवश्यक है।

शनिवार, 8 दिसंबर 2018

मिलन

✍️
जिस दिन पैदा हुआ,
उसी दिन से आतुर है,
जिससे मिलन के लिए,
देख उसे सामने,
घबराता क्यों है।
मिलन की इस घड़ी को
बेमजा बनाता क्यों है।
शुक्रिया कर प्रभु का,
उसने तुझे याद किया,
फिर भी इस नश्वर जहां से,
दिल लगाता क्यों है।

शुक्रवार, 7 दिसंबर 2018

फ्लैट संस्कृति

✍️
#बड़े शहरों में फ्लैट संस्कृति!!!!
#अब घरों में #देहरी नहीं होती!!

#जिसे देख समझाया था, कभी
देहरी पार करने का मतलब,
अब घुटनों चलते बच्चे भी,
पार कर, हो जाते हैं घर से बाहर।

#परिंदों की तो क्या कहें,
मनुष्यों के बोल, सुनाई नहीं देते,
मिलें किस तरह??घरों के दरवाजे
खुले दिखाई नहीं देते।

#अब कोई आंगन नहीं होता
जहां शादी ब्याहों में गाया जाता था
हम तो रे बाबुल,
तोरे अंगना की गैया,चिरैया

#फिर भी कई बार
कैद कर दी जाती हैं
बिना खूंटे, पिंजरे के भी
संस्कारों की दुहाई देकर।

गुरुवार, 6 दिसंबर 2018

सुना है!


✍️
सुना है,
चुनाव का मौसम है,
गरीबों के भी चूल्हे सुलगने लगे हैं!
____________________________
सुना है,
तारीफ़ों के पुल के नीचे,
अक्सर मतलब की नदी बहती है!
____________________________
सुना है,
झूठ के पांव नहीं होते,
फिर भी जिंदगी रफ्तार पकड़ती है!
_____________________________
सुना है,
घर एक मन्दिर है,
जहां लालच की खिचड़ी पकती है!
______________________________
सुना है,
सबका तारणहार एक है,
लेकिन धर्म के ठेकेदार तो हजार हैं!
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रविवार, 25 नवंबर 2018

यूं ही नहीं फलते फूलते रिश्ते

✍️
🌹🌺यूं ही नहीं फलते फूलते रिश्ते🌺🌹
÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷   
आसान नहीं होता, रिश्तों को बचाए रखना
रिश्तों** को भी चाहिए,
जीवित** रहने के लिए                   
प्रेम** रूपी खाद,
और आपसी संवाद**,
संवेदनाओं का अहसास**,
दिल भी हो आसपास**,
कर्तव्यों** को लेकर हाथ,
धैर्य** का न छोड़ो साथ।
और बचना होगा🌹🌺🌷.......
अधिकारों** की चाहत से,
गलतफहमियों के जहर** से,
बिखर सकते हैं अहंकार** से,
और मर** भी सकते हैं,
अधैर्य,क्रोध की तपन** से
या शीतयुद्ध(चुप्पी) के कहर** से।
क्योंकि रिश्ते भी परवाह (देखभाल) चाहते हैं।
prevention is better than cure.

ओ मां ! तुम धुरी हो, घर की

✍️
#ओ #मां, तुम #धुरी हो #घर की!!!!
#मुझे आज भी याद है चोट लगने पर मां का हलके से फूंक मारना और कहना, बस अभी ठीक हो जाएगा। सच में वैसा मरहम आज तक नहीं बना।
#वेदों में #मां को पूज्य, स्तुति योग्य और आव्हान करने योग्य कहा गया है। महर्षि मनु कहते हैं 10 उपाध्यायों के बराबर एक आचार्य होता है,सौ आचार्य के बराबर एक पिता और पिता से 10 गुना अधिक माता का महत्व होता है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम कहते हैं, #जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी अर्थात #जननी(मां) और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर होते हैं। इस संसार में 3 उत्तम शिक्षक अर्थात माता, पिता, और गुरु हों, तभी मनुष्य सही अर्थ में मानव बनता है
या देवी सर्वभूतेषु मातृ रूपेण संस्थिता।।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नमः।।
मां को कलयुग में अवतार कह सकते हैं। मां कभी मरती नहीं है, उसने तो अपना अस्तित्व (यौवन) संतान के लिए अर्पित कर दिया, संतान के शरीर का निर्माण (सृजन) किया। आज भौतिक चकाचौंध, शिक्षा, कैरियर, नौकरी आदि ने विश्व को सब कुछ दिया बदले में मां को #छीन लिया। किसी भी घर में स्त्री पत्नी, नारी, बहू, बेटी, बहन,भाभी, सास, मिल जाएगी, परंतु मां को ढूंढ पाना कठिन हो गया।आज स्वयं स्त्री अपने व्यक्तित्व निर्माण में कहीं खो सी गई है।
#नारी देह का नाम है।
#स्त्री संकल्पशील पत्नी है।
#मां किसी शरीर का नाम नहीं, अपितु
#मां- पोषणकर्ता की #अवधारणा है।
#अहसास है जिम्मेदारी का।
#मां- #आत्मीयता का #भावनात्मक #भाव है। मां #अभिव्यक्ति है निश्छल प्रेम, दया, सेवा, ममता की। मां के लिए कोई पराया नहीं। बच्चों की मां, पति बीमार हो तो उसके लिए भी मां, सास ससुर या बुजुर्ग मातापिता की सेवा करते हुए भी एक #मां। इस सब क्रियाकलापों में #मातृ भाव, और #स्त्री #स्वभाव की मिठास है। मां शब्द अपने आप में एक अनूठा और भावनात्मक #एहसास है। यह एहसास है #सृजन का, #नवनिर्माण का। स्त्री कितनी भी आधुनिक हो लेकिन मां बनने के गौरव से वह वंचित नहीं होना चाहती।
जब तक स्त्री का शरीर  दिखाई देगा, मां दिखाई नहीं देगी। उसके बनाए खाने में प्यार, जीवन के संदेश महसूस नहीं होंगे। महरी या बाहर के खाने में कोई संदेश महसूस नहीं होता। ऐसा खाना आपको स्पंदित, आनंदित ही नहीं करेगा। क्योंकि उनमें भावनाओं का अभाव होता है। कहते हैं ना जैसा खाओ अन्न, वैसा होगा मन। मां के हाथ का खाना भक्तिभाव, निर्मलता देता है। स्वास्थ के लिए हितकर होता है, क्योंकि उसमें होता है मां का प्यार, दुलार, मातृ भाव, आध्यात्मिक मार्ग भी प्रशस्त करता है। भाईबहिनों को एक करने की शक्ति है मातृ प्रेम।
#केवल #पशुवत जन्म देने भर से कोई मां नहीं हो सकती। ऐसी मां  को अपने बच्चे के बारे में न तो कोई जानकारी ही होती है, और न ही वे कोई संस्कार दे पाती हैं। आजकल ममता और कैरियर, अर्थ लोभ के द्वंद्व के बीच फंसी मां की स्थति डांवाडोल होती रहती है। अनावश्यक सामाजिक हस्तक्षेप भी मां की स्थति को और बदतर कर देता है। कई बार लड़की मां का दायित्व, परवरिश अच्छी तरह निभाना चाहती है, लेकिन उसकी सराऊंडिग्स के लोग उसको हीनभाव महसूस करवाए बिना नहीं चूकते कि, क्या घर के काम में लगी हो, ये काम तो कोई भी कर सकता है। ऐसे समय में माताएं अपना धैर्य बनाएं। बच्चे देश का भविष्य हैं, उनकी #जिम्मेदारी माताओं पर ही है।
#इंसान वैसे ही होते हैं,जैसा #मांएं उन्हें #बनाती हैं। भरत को निडर भरत बनाने में शकुन्तला जैसी मां का ही हाथ था,जो शेर के दांत भी गिन लेता था। हमेशा मां के दूध को ही ललकारा गया होगा। परवरिश को लेकर कहा गया होगा, और किसी को नहीं। आप भाग्यशाली हैं जो, प्रभु ने इस महत्वपूर्ण दायित्व के लिए आपको चुना है। मां बनना एक चुनौती से कम नहीं है। एक गरिमा, गौरवपूर्ण शब्द है #मां। इस दायित्व का निर्वहन भलीभांति करने से ही देशहित, समाजहित संभव होगा।

शुक्रवार, 16 नवंबर 2018

पेरेंटिंग,

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बच्चों,Learn to say #No,without explaining yourself.  _____
#हमेशा याद रखिए, #हां कहने की अपेक्षा #नहीं कहना ज्यादा #मुश्किल कार्य है। थोड़ा #निडर बनिए। यदि आप किसी कार्य के लिए ना कहते हैं, तो हो सकता है आपको आलोचना, उपेक्षा या अपमान सहना पड़े। लेकिन भविष्य में होने वाले बुरे परिणामों से ऐसी आलोचना या अपमान ही ज्यादा अच्छा है। केवल इस वजह से हां मत करिए, कि वह आपका मित्र, प्रियजन है। दूसरों को खुश करने के चक्कर में आप अपने निजी जीवन की #जिम्मेदारियों, कैरियर सबको #दांव पर लगा देते हैं। इस तरह हर बात पर सहमत हो कर आप अपनी पहचान ही नहीं, आत्म विश्वास भी कम करते हैं। अपनी #आत्मसम्मान बनाए रखिए। लेकिन कई बार, आप सही #मायने में #मनुष्य होते हो। हां ऐसे ही हो तुम सब। दूसरों को दुख ना पहुंचे, कोई नाराज ना हो जाए, इस चक्कर में किसी को भी #ना नहीं बोल पाते हो। कुछ लोग क्या, अधिकतर लोग तुम्हारे इस व्यवहार का फायदा भी उठाते हैं। किसी की भी आलोचना नहीं करते, हालांकि कुछ कहना भी हो तो मीठा मीठा ही बोलोगे, या फिर एक लम्बी चुप्पी। नतीजा.... सब आपके ऊपर हावी ही नहीं होते, अपितु आपके निजी जीवन में भी कड़वाहट भर देते हैं। मैं कई बार खूब गुस्सा भी होती हूं, हमेशा दूसरों की परवाह, कभी अपने लिए भी जीना सीखो। सबको एक ही जिंदगी मिली है, कभी सच भी बोल दो, कड़वा लगता है तो लगे, किसीको कुछ फर्क नहीं पड़ता। सब मतलबी दुनिया के वाशिंदे हैं, पर नहीं तुमको तो सबके दिल दुखने की चिंता है। काश!!! तुम बच्चों जैसा ही #सब समझ पाते, निर्मल रह सकते। साहस के साथ सत्य कहो उससे किसी को कष्ट होता है या नहीं इस ओर ध्यान मत दो।

बुधवार, 14 नवंबर 2018

खुशी की अभिव्यक्ति

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#खुशी की #अभिव्यक्ति #वैयक्तिक है। चाहे हम #खुशी में डूबे हों, या #दुख के अथाह सागर में डूबे हों, इसकी #गहराई को समझना #महत्वपूर्ण है। भवानी प्रसाद मिश्र कहते हैं_हंसो तो बच्चों की तरह #खिलखिलाकर, रोओ तो #तिलमिलाकर, #खालिस सुख #खालिस दुख। #मध्य का कुछ भी, कोई बात नहीं। #चयन आपका है दुखों कष्टों को #अवरोध मान लिया जाए, या रास्ते का #दिशासूचक!! यह #आपकी #सोच पर निर्भर करता है कष्टों, दुखों की कसौटी पर स्वयं को घिसकर  #निखारना चाहते हैं या #अवसाद के अंधेरे में डूबे रहना।
सुप्रभात!Have a good day.....

Find your Happiness!

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प्रकृति में खुशी महसूस करें _____
आप और हम खुश क्यों नहीं रह पाते, प्रकृति तो हर रोज़ तुम्हें खुश करने के नाजाने कितने #प्रयास करती है। इसे महसूस करने के लिए हमें स्वयं को भी प्रयास  करना होगा, तभी बात बनेगी। प्रकृति ने तो हमें खुशियां ही खुशियां दी हैं, दुःख हमारी खोज हैं। खुशी और आनंद के झरने लगातार बहते रहते हैं, कहीं चिड़िया चहचहा रही है, तो कहीं मोर अपने पंख फैलाए नाच रहा है। कभी कोयल की कूहुक का आपने जवाब दिया है, शायद बचपन में तो जरूर किया होगा, फिर अब क्यों नहीं?...करिए, वो जवाब देगी, और फिर जब एकदम चुप होजाए तो आपको हंसने पर मजबूर कर देगी ... खिलखिला कर हंसिए... कई चिड़ियाओं के सुंदर चटक रंग, तो कहीं फूलों के सुंदर रंग बिखेर रहे हैं। कभी जान पड़ता है, जैसे शांत खड़े पेड़ हवा के साथ फुसफुसा कर आपसे बातें कर रहे हैं।... कभी पक्षियों को गौर से देखें, उनके साथ समय बिताएं, ... कुछ ही दिनों में आप उनको समझने लगेंगे। लगेगा जैसे वो आप से अपनी अनकही कहना चाहते हो। क्या किया है कभी ऐसा?? नहीं, तो अब करके देखिए। कहीं नर्म घास ने पूरा कालीन बिछा रखा है, ... चलिए, नहीं तो दौड़िए उस पर ... कोरे मिट्टी के मटके के पानी मिठास, खुशबू, जैसे पहली बारिश की महक ... हर ओर सुंदरता, प्रेम, शांति, आनंद... जब भी मन उदास हो किसी छोटे बच्चे से बातें करने का आनंद, महसूस कीजिए, उतरने दो भीतर तक, अंदर आने दो उन खुशी के पलों को ... उसकी तुतलाती भाषा, निश्छल प्रेम आपको निश्चित ही गुदगुदाने पर मजबूर कर देगा ... किसी बुजुर्ग की लाठी बनने का आनंद, स्वागत कीजिए ... सब बाधाएं, निराशाएं हटा, सारी नकारात्मकता को सकारात्मक विचारों की शक्ति से शून्य करदो। ज़ोर से हंसो, बार बार मुस्कुराओ, सुंदर कल्पनायें कर अपने दिमाग को अच्छा भोजन (मानसिक टॉनिक) दो, शांति के लिए अपनी साँसों की गति देखो, उनका रास्ता नापो, पूरा ध्यान खुद पर... बाहर कुछ नहीं, केवल भीतर। सांसों को महसूस करें। इतनी शांति कि सांस की आवाजाही को भी सुन सको। और फिर प्राणायाम ... ध्यान ... से बेहतर  क्या हो सकता है ... ये सारी चीजें आपके खुश रहने के लिए, नई ऊर्जा देने के लिए मानसिक खुराक है। खुशी बाहर से खरीदी जाने वाली वस्तु नहीं है... इसे तो अपने अंदर ही खोजना पड़ेगा।
सुप्रभात! Have a pleasant day!