शनिवार, 8 दिसंबर 2018

मिलन

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जिस दिन पैदा हुआ,
उसी दिन से आतुर है,
जिससे मिलन के लिए,
देख उसे सामने,
घबराता क्यों है।
मिलन की इस घड़ी को
बेमजा बनाता क्यों है।
शुक्रिया कर प्रभु का,
उसने तुझे याद किया,
फिर भी इस नश्वर जहां से,
दिल लगाता क्यों है।

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