बुधवार, 14 नवंबर 2018

Find your Happiness!

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प्रकृति में खुशी महसूस करें _____
आप और हम खुश क्यों नहीं रह पाते, प्रकृति तो हर रोज़ तुम्हें खुश करने के नाजाने कितने #प्रयास करती है। इसे महसूस करने के लिए हमें स्वयं को भी प्रयास  करना होगा, तभी बात बनेगी। प्रकृति ने तो हमें खुशियां ही खुशियां दी हैं, दुःख हमारी खोज हैं। खुशी और आनंद के झरने लगातार बहते रहते हैं, कहीं चिड़िया चहचहा रही है, तो कहीं मोर अपने पंख फैलाए नाच रहा है। कभी कोयल की कूहुक का आपने जवाब दिया है, शायद बचपन में तो जरूर किया होगा, फिर अब क्यों नहीं?...करिए, वो जवाब देगी, और फिर जब एकदम चुप होजाए तो आपको हंसने पर मजबूर कर देगी ... खिलखिला कर हंसिए... कई चिड़ियाओं के सुंदर चटक रंग, तो कहीं फूलों के सुंदर रंग बिखेर रहे हैं। कभी जान पड़ता है, जैसे शांत खड़े पेड़ हवा के साथ फुसफुसा कर आपसे बातें कर रहे हैं।... कभी पक्षियों को गौर से देखें, उनके साथ समय बिताएं, ... कुछ ही दिनों में आप उनको समझने लगेंगे। लगेगा जैसे वो आप से अपनी अनकही कहना चाहते हो। क्या किया है कभी ऐसा?? नहीं, तो अब करके देखिए। कहीं नर्म घास ने पूरा कालीन बिछा रखा है, ... चलिए, नहीं तो दौड़िए उस पर ... कोरे मिट्टी के मटके के पानी मिठास, खुशबू, जैसे पहली बारिश की महक ... हर ओर सुंदरता, प्रेम, शांति, आनंद... जब भी मन उदास हो किसी छोटे बच्चे से बातें करने का आनंद, महसूस कीजिए, उतरने दो भीतर तक, अंदर आने दो उन खुशी के पलों को ... उसकी तुतलाती भाषा, निश्छल प्रेम आपको निश्चित ही गुदगुदाने पर मजबूर कर देगा ... किसी बुजुर्ग की लाठी बनने का आनंद, स्वागत कीजिए ... सब बाधाएं, निराशाएं हटा, सारी नकारात्मकता को सकारात्मक विचारों की शक्ति से शून्य करदो। ज़ोर से हंसो, बार बार मुस्कुराओ, सुंदर कल्पनायें कर अपने दिमाग को अच्छा भोजन (मानसिक टॉनिक) दो, शांति के लिए अपनी साँसों की गति देखो, उनका रास्ता नापो, पूरा ध्यान खुद पर... बाहर कुछ नहीं, केवल भीतर। सांसों को महसूस करें। इतनी शांति कि सांस की आवाजाही को भी सुन सको। और फिर प्राणायाम ... ध्यान ... से बेहतर  क्या हो सकता है ... ये सारी चीजें आपके खुश रहने के लिए, नई ऊर्जा देने के लिए मानसिक खुराक है। खुशी बाहर से खरीदी जाने वाली वस्तु नहीं है... इसे तो अपने अंदर ही खोजना पड़ेगा।
सुप्रभात! Have a pleasant day!

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