सोमवार, 5 अगस्त 2019

मित्रता


✍️मित्रता!
बचपन में गुल्ली डंडे
नदी के तीर या मैदान में
बुढ़ापे की सांझ ढले
लाठी बन साथ खड़े
जिस पर हो भरोसा
मित्रता!
वह खुशनुमा अंदाज है......
दिल का सुकून
सांसों की धड़कन
दोस्ती के लिए
बने संजीवनी
कंधे पर धरा हाथ
मित्रता!
जिंदगी की रूह, हर सांस है..........
उत्सव, हर्ष और विनोद में
विपदा, संकट, द्रोह में
साया बन, साथ रहे
पढ़ ले आंखों की भाषा
दूर होकर भी, बिन कहे
मित्रता!
वह सुखद अहसास है........
सुख दुख के रंग में
भरने जीवन में खुशियां
हार जीत के खेल में
कभी कृष्ण,
कभी सुदामा के वेष में
मित्रता!
बजे नेह (प्रीत) की बांसुरी है......
अंधेरे में सूर्य की उजास
देता कोई अगर आघात
शीतल चांदनी
करे शुष्क हृदय तृप्त
है जज्बातों की बरसात
मित्रता!
उड़ते परिंदों, का खुला आसमान है.......


2 टिप्‍पणियां:

  1. मित्रता की परिभाषा बहुत सुंदर लिखी आपने।मित्र भी आप उतनी ही प्यारी है।सरल साधारण सा दिखने वाला आपका व्यक्तित्व आपके गुणों की जानकारी देकर हमे अचंभित करता है।शुभकामनाये

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    1. धन्यवाद महोदय, प्रशंसा सभी को आकर्षित करती है, मुझे भी,एक बार पुनः आभार। बस कुछ भावनाएं, जो उकेर देती हूं कागज पर।🙏🙏🙏

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