बुधवार, 9 जनवरी 2019

खिचड़ी

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संक्रांति और #खिचड़ी (जिसके रूप अनेक)______
#खिचड़ी का इतिहास बहुत पुराना है।प्राचीन काल से तथा मुगलों के समय में भी यह रसोई की शोभा बढ़ाती रही है। आयुर्वेद में तो इसे बहुत ही पोषक आहार माना गया है। बच्चों का शुरुआती भोजन भी खिचड़ी ही है। गरीबी की आहार (आन), बीमारी में #जान, छोटे बच्चों और बुढ़ापे में #जहान और अब तो भारत की #राष्ट्रीय भोजन की पहचान बन चुकी है, #खिचड़ी। पेट को अति प्यारी सुपाच्यता की आधार, व्याधि को भगाने वाली खिचड़ी, पूरे देश भर में सामूहिक रूप से खाई, बनाई, परोसी व पसंद की जाती है। मुख्य रूप से उत्तर भारत की डिश है, लेकिन अलग अलग दालों के प्रयोग से दक्षिण भारत तक खाई जाती है। दाल,चावल और कुछ मसालों से ही,कम समय व कम खर्च में बन जाती है। कई लोगों के दिमाग में खिचड़ी पकती रहती है, उन्हें इस खाने से शायद परहेज होता हो तभी तो, रसोई में नहीं पकाते.... खिचड़ी इतनी सेहतमंद है, फिर भी कई लोग इसे खाने के नाम पर नाक भौंह सिकोड़ते हैं। इसमें मौसम की सब्जियां डाल कर पकाएं, सामान्य हींग जीरे का छौंक लगाएं या चटपटी गरम मसाले से युक्त, स्पाइसी खिचड़ी का आनंद लें। संपूर्ण आहार है खिचड़ी। सादी सी खिचड़ी अनेक प्रकार से बनाई जाती है। सबके अपने अलग तरह का आचार, #विचार, स्थान, मौसम के अनुसार बनती है खिचड़ी। मकर संक्रांति पर खाने वाली, दान वाली, दहेज में आने वाली, रस्म अदायगी में बहू द्वारा बनने वाली खिचड़ी, सबके अपने स्वाद हैं खिचड़ी को खाने, बनाने के भी अपने कई तरीके हैं। कहते हैं ______
घी बनावै खिचड़ी,नाम बहू का होए।
खिचड़ी के हैं चार यार,
घी,पापड़, दही, अचार।
#छत्तीस व्यंजन खाकर जब पेट खराब हो जाए,और जीभ का स्वाद देह पर भारी पड़े, तब खिचड़ी ही है जो भूख भी तृप्त करती है, तथा रोग से भी #राहत देती है। इस तरह यह हर तरह से आन बान शान से युक्त अमीर, गरीब सबके लिए मनभावन व्यंजन है। जब पेट में भारीपन, एसिडिटी, या तलाभुना खाने से अपच हो गई हो तो मूंग की दाल की खिचड़ी इन वाले रोगों का सटीक #प्राकृतिकउपचार है।
#मकर संक्रांति पर खिचड़ी साबुत कच्ची व पकी हुई ,दोनों तरह की खिचड़ी #दान करने की परंपरा है।वृंदावन में बिहारी जी के मन्दिर में खिचड़ी महोत्सव में भी इन दिनों खिचड़ी का ही भोग लगाया जाता है। #साईं बाबा की खिचड़ी भी खूब प्रसिद्ध है। राजस्थान में खीचड़ा भी बनने में आता है। पोंगल पर बनने वाला पकवान भी खिचड़ी से मिलता जुलता ही है। व्रत में खाई जाने वाली साबूदाने की खिचड़ी भी कम लाजवाब नहीं है। अपनी पसंद अनुसार सब्जियां, मसाले, मूंगफली, दालें, घी का प्रयोग कर स्वादिष्ट बनाया जा सकता है। इस तरह की #खिचड़ी को यू.पी. में #तहरी नाम दिया गया है। महाराष्ट्र में इसे (खिचड़ी) पूर्णान्न (यानि पोषक तत्वों से भरपूर) भी कहा जाता है। सर्दियों में बनने वाली #बाजरे की खिचड़ी भी बहुत ही स्वादिष्ट व स्वासथ्यवर्ध्दक है। इसे गर्म गर्म दूध के साथ मिलाकर गुड़, चीनी से खाएं या फिर गाय के घी के साथ आनंद लें। खिचड़ी पर बने मुहावरों पर भी गौर फरमाएं _____
घी गयो खिचड़ी में,
क्या खिचड़ी पक रही है,
समरसता की खिचड़ी,
सियासी राजनीति की दलगत खिचड़ी,
घी खिचड़ी होना,
बीरबल की खिचड़ी होना।
#हर देश का अपना एक खास #कुजीन होता है। सभी देशों में वहां के लोगों की पसंद के अनुसार ही किसी व्यंजन को नेशनल #कुजीन में लिया जाता है।इससे उस डिश की पहचान या महत्व पर कोई फर्क नहीं पड़ता। खिचड़ी के साथ भी ऐसा ही है। खिचड़ी को,भारतीय कुजीन का दर्जा महज #गुडफूड मानकर ही दिया जा गया है।

शुक्रवार, 4 जनवरी 2019

मैं सूत्रधार


✍️मैं #सूत्रधार🤔!कविता
जैसा कि कहा जाता है, जहां ना पहुंचे रवि, वहां पहुंचे कवि। मैं भी पहुंच गया हूं, कवियों के बीच, टटोल रहा हूं सबकी नब्ज। जैसे चिकित्सक, राजनेता, अभिनेता, न्यायप्रणाली, रक्षातंत्र, अच्छी बुरे सब तरह के होते हैं, ऐसे ही #कवि भी हैं। एक फैशन सा चल पड़ा है। अपने नेमप्लेट या फेसबुक स्टेटस पर #समाजसेवी, #कवि #साहित्यकार लिखने का!
कवि क्या है?......
शब्दों का जादूगर!
या!
वाहवाही लूटने के लिए,
#मजमा लगाकर तालियां,
बटोर अपना रोजगार,
चलाने वाला एक,
#पेशेवर कामगार।।.....
कई बार कवि,
#संविदा पर भी,
नियुक्ति पाते हैं,
और #आयोजकों के अनुसार
चाटुकारिता के गीत गाते हैं।।.....
देश, दुनिया,
घर, समाज और
रीति, रिवाज पर
प्रहार, कटाक्ष
करने वाले,
#खुद ही, अपनों के बीच
सबसे पहले
#अमर्यादित हो जाते हैं।।.....
मैं सूत्रधार🤔......
ढूंढ़ रहा हूं उस,
रहीम,रसखान, तुलसी,कबीर,
रैदास,गुप्त, पंत,दिनकर,
जिन्होंने,
अलख जगाई #धर्म की,
जलाई मशाल #चेतना की,
और नई #दिशा दी,
गुलामी, दासता की मुक्ति से,
#आजादी की!!.....
अगर कहीं मिले आपको,
ऐसा कवि,
तो बताना!!
नहीं तो इन सभी,
शब्दों के जादूगरों,
को मेरा अभिवादन!!.....
कल फिर मिलेंगे,
किसी #मजमे में,
कवि, #गाल बजाएंगे,
और दर्शक बजाएंगे #ताली,
किसी की जेब होगी ढीली,
तो कोई,
आयोजकों को मन ही मन देगा गाली।।.....
आजकल,
बूढ़ी काकियां भी,
बनी हुई हैं, साहित्यकार,
लेकर शब्द उधार,
गा रही हैं,
साहित्य के मल्हार.....
बच्चों से मतलब नहीं,
जो दादी को रहे पुकार,
चूल्हा,लकड़ी, हाथ की रोटी
और चटनी, साग की क्या कहें,
स्विगी (खाने मंगाने का एप) से,
खाना मंगवा कर,
दे रहीं दुलार,संस्कार........
जो चर्चा (याद) करें गांव की,
खरंजे,छप्पर, सौंधी मिट्टी की
जो एक दिन भी रह ना सकी,
कुआं,पनघट की छोड़ो,
एक गिलास पानी,
तो दे ना सकीं,
फेसबुक पर सारा समय,
बिताएं छुट्टियां यूरोप की,
करें?? बातें किस समाज की?....

सोमवार, 31 दिसंबर 2018

स्वागत नए साल का


✍️*****************
*नया साल, नई आदतें , नया अंदाज़, नई सोच, आओ एक सकारात्मकता के साथ करें, गए साल को विदा, और नए साल 2019 का स्वागत !!! नई *शताब्दी शुरू हुए पूरे 18 साल गुजर चुके हैं। और यह  सदी भी अब 18 साल की हो चुकी है, पूर्ण युवा जोश से लबरेज। कभी सोचा है आपने, पूरा वर्ष महज एक कैलेंडर है, जिसके हर महीने पन्ने फाड़ते जाइए, या इससे कुछ इतर। तारीख, दिन, महीने, साल गुजरते जाएंगे, बस कुछ तस्वीरें हैं जो छाप छोड़ जाती हैं।
*एक शायर अमीरुल्लाह तस्लीम की यह पंक्तियां सोचने पर विवश करती हैं।
सुबह होती है,शाम होती है/ उम्र यूं ही तमाम होती है। *वक्त का पहिया अपनी चाल से चलता ही रहता है, कब एक साल निकल जाता है पता भी नहीं चलता, पर उनका मूल्यांकन करना, हमने क्या खोया, क्या पाया  महत्वपूर्ण है। जीवन में देखा जाए तो बहुत कुछ अनचाहा भी हो जाता है, उसके लिए अपने दिमाग की सफाई जरूरी है। हम सब में बस यही कमी है, अगर कोई बात हो गई है तो बस उसे गांठ बांध कर रखेंगे बीती ताहि बिसार दे आगे की सुध ले, रात गई बात गई! यह सोच बहुत अच्छी है, जब हम नकारात्मकता को अपने दिमाग से निकाल देंगे, तभी शायद हम कुछ सकारात्मक या नया कर पाएंगे। बीत गए उस भूल जाना, नए साल को गले लगाना। बीते हुए लम्हों की कसक को लेकर कब तक जिएंगे, आशावादी रहिए कभी मुलाकात तो होगी, चाहे ख्वाबों में ही सही। एक और बात, सच को कहने, स्वीकारने से कभी मत डरिए। लोगों से डरडर कर क्या जीना, डरना है, तो गलत कामों और उसके अंजाम से डरिए।
*कवि दुष्यंत की ये पंक्तियां बहुत कुछ बयां कर रही हैं।
हिम्मत से सच कहो तो बुरा मानते हैं लोग
रो रोकर कहने की आदत नहीं रही कभी।
*आपकी बोल्डनेस, जीने का अंदाज़ शायद कई लोगों को पसंद ना आए,क्योंकि दुनिया तरस तो खा सकती है लेकिन, सच्चाई, साफ गोई को बर्दाश्त नहीं कर सकती। क्यों रहें गिड़गिड़ाते हुए। नई सदी के बाली उमर के युवाओं को भी आगे बढ़ते रहने के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएं। अपने जोश और जज्बे के साथ होश ना खोएं। क्योंकि युवा पीढ़ी होश खोने की अंधीदौड़ में प्रवेश करने को बेताब रहती है। ये जो जीवन मिला है, उसमें से एक और वर्ष कम हो गया।आओ कुछ तो ऐसा कर जाएं, कि हस्ती कोई मिटा नहीं पाए। कम से कम कुछ काम ऐसे होने चाहिए, जिनसे आप साल का अंत या साल का शुभारम्भ बहुत ही सुंदर,अच्छी भावनाओं के साथ कर सकें।
*अपने लिए जिए तो क्या जिए,
तू जी,ए दिल ! जमाने के लिए!

रविवार, 16 दिसंबर 2018

स्वास्थ्य के लिए आवश्यक नींद

#स्वास्थ्य के लिए आवश्यक #नींद----------

अगर #नींद आ जाय तो सो लिया करो।
रातों को जागने से #मोहब्बत लौटा नहीं करती।।

क्या आप #पर्याप्त #नींद लेते हैं? यह एक #रिस्क लेना ही है, या यूं कहें आग से खेलने जैसा।अगर आप तनाव में रहते हैं, तथा एक गहरी अच्छी नींद नहीं लेते तो आप स्वयं कई #साइलेंट खतरनाक बीमारियों को आमंत्रित कर रहे हैं।
#निद्रा शारीरिक एवं मानसिक आराम के लिए बेहद जरूरी  है, और यह जीवन का एक प्राकृतिक कर्म है।इसे टालना नहीं चाहिए, कितनों को मिलती है सुकून भरी नींद,  #स्वस्थ रहने के लिए नींद सर्वप्रथम है।दिनभर की थकान की पूर्ति रात्रि निद्रा से हो जाती है। जो रात को सो नहीं पाते या सोते नहीं हैं, उनके स्वास्थ्य में परेशानी रहती है।
Early to bed and early to rise,
Makes a man healthy wealthy and wise.
#रात्रि की एक गहरी अच्छी नींद आपको अगले दिन के लिए अधिक ऊर्जावान बनाती है।
#स्पर्धा के इस दौर ने लोगों की #दिनचर्या को अव्यवस्थित कर दिया है।नौकरियां भी 24×7की होने लगी हैं, इस वजह से तथा रहन सहन में बदलाव के कारण भी #अनिद्रा की समस्या बढ़ती जा रही है।अनियमित दिनचर्या,व्यस्तजिंदगी, कैरियर की चिंता, पढ़ाई, सामाजिक दबाव, बढ़ती उम्र, एंग्जाइटी, असंतुलित खानपान, देर रात पार्टी आदि कई कारण हैं जो अनिद्रा की वजह बनते हैं।
हालांकि इन सब में अव्यवस्थित होने #मुख्य #कारण #व्यक्ति स्वयं ही है।स्वयं को बदलिये, अपनी दिनचर्या का रूटीन बनाकर हम अनिद्रा से छुटकारा भी पा सकते हैं, तथा दवाओं पर निर्भरता भी कम कर सकते हैं। But first step is yours.
एक #अच्छी नींद आपकी याददाश्त को बेहतर बनाती है, वहीं नींद की कमी शरीर में तनाव एवं #अवसाद पैदा करने वाले कारणों की वजह बनती है।(उत्पन्न करती है) अच्छी नींद से आप स्वयं को शांत महसूस करते हैं, क्योंकि अच्छी नींद से तनाव पैदा करने वाले #हार्मोन्स का स्तर कम होता है, नियंत्रित होता है। इन सबसे बचने के लिए  नींद परम आवश्यक है। अच्छी नींद न आने से #पाचनतंत्र भी गड़बड़ा जाता है, गैस, अपच की समस्या होने लगती है।फिर एक चक्र सा बन जाता है।अच्छी नींद नहीं तो पेट की समस्या और पेट की गड़बड़ तो नींद की गड़बड़(#correlated)। पर्याप्त #नींद से रक्तचाप भी नियंत्रित रहता है।अच्छी नींद से आंखों के नीचे काले घेरे तथा चेहरे पर झुर्रियाँ भी नहीं होती। जिस भी रोगी व्यक्ति को अच्छी गहरी नींद आती है, वह जल्दी ठीक होता है।और #स्वस्थ है तो प्रसन्नचित्त रहता है। क्योंकि नींद में कई आरोग्यदायक गुण होते हैं। #निद्रा को समस्त रोगों की #प्राकृतिकचिकित्सा कहा जाता है। रोगी के लिए तो नींद आहार ही नहीं #दवा भी है।
कम से कम 6-8 घंटे की नींद जरूरी है एक युवा को।कोई 4 घंटे में भी अच्छा महसूस करता है, कोई 7-8 घंटे सोकर भी तरोताजा नहीं हो पाते।ये अपने अपने शरीर की मांग है।उम्र के अनुसार भी नींद कम ज्यादा होती है। #नवजात शिशु जहां 20-22घंटे सोते हैं, वहीं #वृद्धावस्था में नींद बहुत कम हो जाती है, इसे अनिद्रा न माना जाय।#योगियों की भी नींद कम होती है।
नींद की भरपाई करना मुश्किल है, एसा नहीं है कि कुछ दिन नींद #अवॉइड करके फिर एक साथ सोया जाय।यह संभव नहीं है। लेकिन आजकल की नौकरियों में कई बार युवा सोमवार से शुक्रवार तक जम कर कार्य करने एवं व्यस्तता के कारण नींद पूरी नहीं कर पाते,और सोचते हैं इसकी पूर्ति शनिवार को कर लेंगे। जो #न तो #उचित है और न ही संभव। इससे आपकी कार्यक्षमता भी प्रभावित होती है।
नींद की आवश्यकता को #गम्भीरता से समझें। ताकि तन और मन स्वस्थ रहे।
वैज्ञानिकों और उपासकों के मतानुसार(if possible)     #पृथ्वी पर सीधे सोना सर्वोत्तम है, क्योंकि पृथ्वी के संपर्क से पृथ्वी पर रहने वाले सभी प्राणियों को #जीवनीशक्ति उपलब्ध होती है। कोमल गद्दों विशेष कर बढ़ते बच्चों के लिए तो #कोमल नर्म बिस्तर पर सोना स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक है। सोते समय मनुष्य का सिर किस दिशा में हो इसका भी शास्त्रीय विधान है। मार्कण्डेय स्मृति में उल्लेख है कि रात्रि को #पूर्व या #दक्षिण की ओर डर करके सोने से धन, आयुष्य  की वृद्धि होती है।#पश्चिम की तरफ चिंता तथा #उत्तर की ओर सिर करके सोने से #प्राणतत्व का क्षय होता है। आम घरों में भी बुजुर्ग दक्षिण की ओर पैर तथा उत्तर की ओर सिर करके सोने की मना करते हैं। इस अवस्था में केवल #मृतशरीर को ही रखा जाता है।
#They can do most who sleep best.
अर्थात जो अच्छी तरह सोते हैं, या सोना जानते हैं वे बहुत कुछ कर सकते हैं।निद्रा के गुणों के बारे में #आयुर्वेद में भी कहा गया है---
निद्रा तु सेविता काले धातु साम्यमतिंद्रताम।
पुष्टिवर्ण बलोत्साहं बह्निदिपतिं करोतिहि ।।
अर्थात दिन में व्यर्थ न सोकर जो रात के दूसरे पहर से निद्रा आरंभ कर रात के चौथे पहर जग जाते हैं,  उनकी शरीर की सभी धातुएँ सम अवस्था मे रहती हैं। आलस्य नहीं रहता तथा शरीर पुष्ट होता है।
#गहरी,अच्छी नींद के लिए-----रात्रि को भारी भोजन से बचें,हल्का  #सुपाच्य भोजन ही करें। सोने से दो तीन घंटे पूर्व ही करें तो बेहतर है।  चाय कॉफी तो बिल्कुल नहीं। एक शोध के  अनुसार ऐसा भोजन, जिसमें #ट्रिप्टोफैन, #सेरोटोनिन या #कार्बोहाइड्रेटे वाली खुराक शामिल करते हैं, तो नींद अच्छी आती है।#नींद से शरीर की #अनावश्यक गंदगी, गर्मी दूर होकर शरीर पुष्ट होता है।
#ट्रिप्टोफेन --के लिए नट्स, बीन्स, चीज़ आदि।(प्रा.चि.)में शाकाहार को ही महत्व देते हैं, अन्यथा मछली और अंडे में भी।
#कार्बोहाइड्रेट-- के लिए ब्राउन राइस, आलू, शकरकंद आदि।
#सेरोटोनिन -- के लिए केला दूध सहायक हैं, नींद लाने में। अच्छी नींद के लिए सोने के कमरे को व्यवस्थित रखें, अंधेरा भी उचित है। #टीवी को कमरे में न रखें और न ही देखते देखते सोने की आदत बना लें।इनके नुकसान शुरू में पता नहीं चलते, लॉग टर्म में बाद में पता चलते हैं।#शवासन बेहतर उपाय है अच्छी नींद के लिए,  किसी योग गुरु से सीख सकते हैं।सोने से पहले #नहाना भी अच्छा उपाय है, नहीं तो  भलीभांति हाथपैर ही धो लें। रात्रि सोते समय पढ़ने की आदत भी अच्छी है।हो सके तो #तलवों पर तथा #सिर की #मालिश से भी गहरी नींद आती है।
#अल्कोहल,#नींद की गोलियां बिलकुल न लें।हो सकता है  इनसे नींद तो आ जाय लेकिन स्लीपिंग क्वालिटी कम हो जायेगी, आधी रात में ही नींद खुल जायेगी।इस तरह की #नींद #प्राकृतिक नींद न होकर एक #नशा  है। इसमें प्राकृतिक नींद के फायदे नहीं मिल पाते। #नेचुरोपैथी में तो खाने (#अन्न)का नशा ही काफी है, मद्यपान का नहीं भूखे न सोएं।अतः पूर्ण शांति के साथ मन को उथल पुथल से दूर कर सोएं, और आरोग्य लाभ उठाएं। अगर केवल काम ही करते रहें और नींद न लें तो शरीर तथा दिमाग दोनों कार्य करने लायक नही रहेंगे। आप इसमें worst स्थिति के बारे में सोच सकते हैं, इसी से समझ लीजिए गहरी,  अच्छी नींद कितनी आवश्यक है।

शनिवार, 15 दिसंबर 2018

चश्मा बदलिए, जैसी दृष्टि, वैसी सृष्टि

✍️
#चश्मा बदलिए, जैसी दृष्टि, वैसी सृष्टि!!
पास का चश्मा, दूर का चश्मा का, धूप का चश्मा बाइफोकल, ट्राइ फोकल, मल्टी फोकल इन्हें स्पेक्स भी कहते हैं, फैशन के लिए भी गॉगल्स होते हैं। और इनके अलावा एक होता है, अपने #नजरिए से देखने का #चश्मा।
हम सभी को दुनिया , व्यक्तियों को अपने अपने #चश्मे से देखने की आदत पड़ चुकी है। अगर दुनिया को सही तरीके से देखना है तो सबसे पहले अपने चश्मे (सोच, #दृष्टिकोण) को #बदलना जरूरी है। जैसे ही चश्मा बदलते हैं, आप की और लोगों के प्रति #धारणा भी बदल जाती है। अन्यथा हम #पूर्वाग्रह से बंधे हुए होते हैं। परिस्थितियों, लोगों को देखने का नजरिया बदलने, या कहें चश्मे (दृष्टिकोण, सोच) को बदलकर देखने से, दुनिया ज्यादा सुंदर और सुलझी हुई प्रतीत होती है। जब आप अपने #पूर्वाग्रहों के साथ चलते हैं, उसी नजरिए से दूसरे को #देखते हैं, तो आप जिस सोच के साथ हैं, उन्हीं परिस्थितियों को देखते हैं, वह उसी पर निर्भर करेगा, और वही दिखेगा। अपनी सोच, नजरिए, चश्मे को बदलें....... अनुभव के साथ उसका रिजल्ट भी बदल जाएगा, परिणाम भी बदल जाएगा। हर समय गुस्से में बोलना, या क्रोध में स्वयं को नुकसान, से कुछ नहीं होने वाला। बहुत सी शिकायतें, धैर्य के साथ बहुत बुरा देख, सुन, बोल लिया, पर अब नहीं, हरगिज नहीं। अगर बदलना है वह, जो अच्छा नहीं है, वह बदलिए। नजरिए के साथ-साथ पहले खुद को बदलना जरूरी है। फिर अपने नजरिए, अपनी सोच को बदलो। हर चीज में अच्छा देखने की कोशिश करो। हर मुश्किल में कुछ सीखने की कोशिश करो, जिस दिन आप अपने देखने का चश्मा (नजरिया,दृष्टिकोण) बदल लेंगे, उस दिन पूरी दुनिया बदलती हुई दिखाई देगी।
कई बार आपने देखा होगा, किसी के लिए भी हम एक इमेज बना लेते हैं, और उसके बारे में वैसा ही सोचते हैं। आप अपनी मां, पिता, पति, पत्नी, बच्चों, मित्र या परिवार के बारे में कुछ भी गलत सुनने को तैयार नहीं होते हैं, क्योंकि आप उनको अपने चश्मे से देखने के आदी हैं, अन्यथा गलती तो  कोई भी कर सकता है....... सुपर पावर तो कोई है नहीं। इसलिए सबके लिए अपना ही चश्मा लगाने के बजाय चश्मा #बदलकर कर #विवेक के साथ देखने की कोशिश करें। जैसे ही हम चश्मा बदलते हैं, दुनिया ज्यादा सुंदर और #सुलझी हुई, हसीन महसूस होती है।
आप अपनी सोच का दायरा विस्तृत कर आगे बढ़ते रहिए। चलेंगे तो ठोकर भी लगेगी, गिरेंगे भी.....तो भी डर कैसा?? गिर कर उठने में भी एक आनंद है। जब सब तुम्हारे गिरने का इंतजार कर रहे हों, कि बस अब रुक गया सब समाप्त!!!! आप एक बार फिर से उठ खड़े होते हैं........, तो आपके प्रतिद्वंदी अपने आप शांत हो चुप बैठ जाएंगे। आपके एक #कदम उठाते ही बाकी के #निन्यानवे भी साथ हो लेंगे। और यही तुम्हारी जीत होगी!!!!!!!! स्वामी विवेकानंद का यह कथन बहुत ही सटीक है
उठो, जागो, और तब तक नहीं रुको, जब तक कि आपको अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं हो जाए। सृष्टि नहीं दृष्टि बदलने की कोशिश करें, दुनिया बहुत हसीन लगेगी।
जैसी दृष्टि, वैसी सृष्टि!!


बुधवार, 12 दिसंबर 2018

स्वास्थ्य के लिए नींद

#स्वास्थ्य के लिए आवश्यक #नींद----------
अगर नींद आ जाय तो सो लिया करो।
रातों को जागने से मोहब्बत लौटा नहीं करती।।
क्या आप #पर्याप्त #नींद लेते हैं? यह एक #रिस्क लेना ही है, या यूं कहें आग से खेलने जैसा।अगर आप तनाव में रहते हैं, तथा एक गहरी अच्छी नींद नहीं लेते तो आप स्वयं कई #साइलेंट खतरनाक बीमारियों को आमंत्रित कर रहे हैं।
#निद्रा शारीरिक एवं मानसिक आराम के लिए बेहद जरूरी  है, और यह जीवन का एक प्राकृतिक कर्म है।इसे टालना नहीं चाहिए, कितनों को मिलती है सुकून भरी नींद,  #स्वस्थ रहने के लिए नींद सर्वप्रथम है।दिनभर की थकान की पूर्ति रात्रि निद्रा से हो जाती है। जो रात को सो नहीं पाते या सोते नहीं हैं, उनके स्वास्थ्य में परेशानी रहती है।
Early to bed and early to rise,
Makes a man healthy wealthy and wise.
#रात्रि की एक गहरी अच्छी नींद आपको अगले दिन के लिए अधिक ऊर्जावान बनाती है।
#स्पर्धा के इस दौर ने लोगों की #दिनचर्या को अव्यवस्थित कर दिया है।नौकरियां भी 24×7की होने लगी हैं, इस वजह से तथा रहन सहन में बदलाव के कारण भी #अनिद्रा की समस्या बढ़ती जा रही है।अनियमित दिनचर्या,व्यस्तजिंदगी, कैरियर की चिंता, पढ़ाई, सामाजिक दबाव, बढ़ती उम्र, एंग्जाइटी, असंतुलित खानपान, देर रात पार्टी आदि कई कारण हैं जो अनिद्रा की वजह बनते हैं।
हालांकि इन सब में अव्यवस्थित होने #मुख्य #कारण #व्यक्ति स्वयं ही है।स्वयं को बदलिये, अपनी दिनचर्या का रूटीन बनाकर हम अनिद्रा से छुटकारा भी पा सकते हैं, तथा दवाओं पर निर्भरता भी कम कर सकते हैं। But first step is yours.
एक #अच्छी नींद आपकी याददाश्त को बेहतर बनाती है, वहीं नींद की कमी शरीर में तनाव एवं #अवसाद पैदा करने वाले कारणों की वजह बनती है।(उत्पन्न करती है) अच्छी नींद से आप स्वयं को शांत महसूस करते हैं, क्योंकि अच्छी नींद से तनाव पैदा करने वाले #हार्मोन्स का स्तर कम होता है, नियंत्रित होता है। इन सबसे बचने के लिए  नींद परम आवश्यक है। अच्छी नींद न आने से #पाचनतंत्र भी गड़बड़ा जाता है, गैस, अपच की समस्या होने लगती है।फिर एक चक्र सा बन जाता है।अच्छी नींद नहीं तो पेट की समस्या और पेट की गड़बड़ तो नींद की गड़बड़(#correlated)। पर्याप्त #नींद से रक्तचाप भी नियंत्रित रहता है।अच्छी नींद से आंखों के नीचे काले घेरे तथा चेहरे पर झुर्रियाँ भी नहीं होती। जिस भी रोगी व्यक्ति को अच्छी गहरी नींद आती है, वह जल्दी ठीक होता है।और #स्वस्थ है तो प्रसन्नचित्त रहता है। क्योंकि नींद में कई आरोग्यदायक गुण होते हैं। #निद्रा को समस्त रोगों की #प्राकृतिकचिकित्सा कहा जाता है। रोगी के लिए तो नींद आहार ही नहीं #दवा भी है।
कम से कम 6-8 घंटे की नींद जरूरी है एक युवा को।कोई 4 घंटे में भी अच्छा महसूस करता है, कोई 7-8 घंटे सोकर भी तरोताजा नहीं हो पाते।ये अपने अपने शरीर की मांग है।उम्र के अनुसार भी नींद कम ज्यादा होती है। #नवजात शिशु जहां 20-22घंटे सोते हैं, वहीं #वृद्धावस्था में नींद बहुत कम हो जाती है, इसे अनिद्रा न माना जाय।#योगियों की भी नींद कम होती है।
नींद की भरपाई करना मुश्किल है, एसा नहीं है कि कुछ दिन नींद #अवॉइड करके फिर एक साथ सोया जाय।यह संभव नहीं है। लेकिन आजकल की नौकरियों में कई बार युवा सोमवार से शुक्रवार तक जम कर कार्य करने एवं व्यस्तता के कारण नींद पूरी नहीं कर पाते,और सोचते हैं इसकी पूर्ति शनिवार को कर लेंगे। जो #न तो #उचित है और न ही संभव। इससे आपकी कार्यक्षमता भी प्रभावित होती है।
नींद की आवश्यकता को #गम्भीरता से समझें। ताकि तन और मन स्वस्थ रहे।
वैज्ञानिकों और उपासकों के मतानुसार(if possible)     #पृथ्वी पर सीधे सोना सर्वोत्तम है, क्योंकि पृथ्वी के संपर्क से पृथ्वी पर रहने वाले सभी प्राणियों को #जीवनीशक्ति उपलब्ध होती है। कोमल गद्दों विशेष कर बढ़ते बच्चों के लिए तो #कोमल नर्म बिस्तर पर सोना स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक है। सोते समय मनुष्य का सिर किस दिशा में हो इसका भी शास्त्रीय विधान है। मार्कण्डेय स्मृति में उल्लेख है कि रात्रि को #पूर्व या #दक्षिण की ओर डर करके सोने से धन, आयुष्य  की वृद्धि होती है।#पश्चिम की तरफ चिंता तथा #उत्तर की ओर सिर करके सोने से #प्राणतत्व का क्षय होता है। आम घरों में भी बुजुर्ग दक्षिण की ओर पैर तथा उत्तर की ओर सिर करके सोने की मना करते हैं। इस अवस्था में केवल #मृतशरीर को ही रखा जाता है।
#They can do most who sleep best.
अर्थात जो अच्छी तरह सोते हैं, या सोना जानते हैं वे बहुत कुछ कर सकते हैं।निद्रा के गुणों के बारे में #आयुर्वेद में भी कहा गया है---
निद्रा तु सेविता काले धातु साम्यमतिंद्रताम।
पुष्टिवर्ण बलोत्साहं बह्निदिपतिं करोतिहि ।।
अर्थात दिन में व्यर्थ न सोकर जो रात के दूसरे पहर से निद्रा आरंभ कर रात के चौथे पहर जग जाते हैं,  उनकी शरीर की सभी धातुएँ सम अवस्था मे रहती हैं। आलस्य नहीं रहता तथा शरीर पुष्ट होता है।
#गहरी,अच्छी नींद के लिए-----रात्रि को भारी भोजन से बचें,हल्का  #सुपाच्य भोजन ही करें। सोने से दो तीन घंटे पूर्व ही करें तो बेहतर है।  चाय कॉफी तो बिल्कुल नहीं। एक शोध के  अनुसार ऐसा भोजन, जिसमें #ट्रिप्टोफैन, #सेरोटोनिन या #कार्बोहाइड्रेटे वाली खुराक शामिल करते हैं, तो नींद अच्छी आती है।#नींद से शरीर की #अनावश्यक गंदगी, गर्मी दूर होकर शरीर पुष्ट होता है।
#ट्रिप्टोफेन --के लिए नट्स, बीन्स, चीज़ आदि।(प्रा.चि.)में शाकाहार को ही महत्व देते हैं, अन्यथा मछली और अंडे में भी।
#कार्बोहाइड्रेट-- के लिए ब्राउन राइस, आलू, शकरकंद आदि।
#सेरोटोनिन -- के लिए केला दूध सहायक हैं, नींद लाने में। अच्छी नींद के लिए सोने के कमरे को व्यवस्थित रखें, अंधेरा भी उचित है। #टीवी को कमरे में न रखें और न ही देखते देखते सोने की आदत बना लें।इनके नुकसान शुरू में पता नहीं चलते, लॉग टर्म में बाद में पता चलते हैं।#शवासन बेहतर उपाय है अच्छी नींद के लिए,  किसी योग गुरु से सीख सकते हैं।सोने से पहले #नहाना भी अच्छा उपाय है, नहीं तो  भलीभांति हाथपैर ही धो लें। रात्रि सोते समय पढ़ने की आदत भी अच्छी है।हो सके तो #तलवों पर तथा #सिर की #मालिश से भी गहरी नींद आती है।
#अल्कोहल,#नींद की गोलियां बिलकुल न लें।हो सकता है  इनसे नींद तो आ जाय लेकिन स्लीपिंग क्वालिटी कम हो जायेगी, आधी रात में ही नींद खुल जायेगी।इस तरह की #नींद #प्राकृतिक नींद न होकर एक #नशा  है। इसमें प्राकृतिक नींद के फायदे नहीं मिल पाते। #नेचुरोपैथी में तो खाने (#अन्न)का नशा ही काफी है, मद्यपान का नहीं भूखे न सोएं।अतः पूर्ण शांति के साथ मन को उथल पुथल से दूर कर सोएं, और आरोग्य लाभ उठाएं। अगर केवल काम ही करते रहें और नींद न लें तो शरीर तथा दिमाग दोनों कार्य करने लायक नही रहेंगे। आप इसमें worst स्थिति के बारे में सोच सकते हैं, इसी से समझ लीजिए गहरी,  अच्छी नींद कितनी आवश्यक है।

शनिवार, 8 दिसंबर 2018

मिलन

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जिस दिन पैदा हुआ,
उसी दिन से आतुर है,
जिससे मिलन के लिए,
देख उसे सामने,
घबराता क्यों है।
मिलन की इस घड़ी को
बेमजा बनाता क्यों है।
शुक्रिया कर प्रभु का,
उसने तुझे याद किया,
फिर भी इस नश्वर जहां से,
दिल लगाता क्यों है।

शुक्रवार, 7 दिसंबर 2018

फ्लैट संस्कृति

✍️
#बड़े शहरों में फ्लैट संस्कृति!!!!
#अब घरों में #देहरी नहीं होती!!

#जिसे देख समझाया था, कभी
देहरी पार करने का मतलब,
अब घुटनों चलते बच्चे भी,
पार कर, हो जाते हैं घर से बाहर।

#परिंदों की तो क्या कहें,
मनुष्यों के बोल, सुनाई नहीं देते,
मिलें किस तरह??घरों के दरवाजे
खुले दिखाई नहीं देते।

#अब कोई आंगन नहीं होता
जहां शादी ब्याहों में गाया जाता था
हम तो रे बाबुल,
तोरे अंगना की गैया,चिरैया

#फिर भी कई बार
कैद कर दी जाती हैं
बिना खूंटे, पिंजरे के भी
संस्कारों की दुहाई देकर।

गुरुवार, 6 दिसंबर 2018

सुना है!


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सुना है,
चुनाव का मौसम है,
गरीबों के भी चूल्हे सुलगने लगे हैं!
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सुना है,
तारीफ़ों के पुल के नीचे,
अक्सर मतलब की नदी बहती है!
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सुना है,
झूठ के पांव नहीं होते,
फिर भी जिंदगी रफ्तार पकड़ती है!
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सुना है,
घर एक मन्दिर है,
जहां लालच की खिचड़ी पकती है!
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सुना है,
सबका तारणहार एक है,
लेकिन धर्म के ठेकेदार तो हजार हैं!
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