शुक्रवार, 7 जून 2019

अमानवीयता की जड़ें, खोजनी होंगी


✍️अमानवीयता की जड़े खोजनी होंगी____
समाज में व्याप्त अपराधों, बढ़ते दुष्कर्मों के लिए हमें इसकी जड़ों तक पहुंचना होगा, कुरेदना होगा उन तथ्यों को, कि आखिर मनुष्य इतना #पाशविक क्यों हो रहा है। छोटी छोटी बातों पर धैर्य खोना, हत्या बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों के बाद भी उनके चेहरे पर #शिकन तक नहीं होना, गंभीर चिंता का विषय है। मेरा मानना है कि इन सब की जड़ में है #शराब और #बेटों की सभी गलतियों को #जायज़ ठहराने का प्रयास। उन पर कोई रोकटोक नहीं। शायद ही कोई माता पिता अपने बेटे की गलती मानने को तैयार होंगे। इसके विपरीत, बड़ी आसानी से लड़की के ऊपर ही लांछन लगा देते हैं। लेकिन अभी हाल ही की घटना तो झकझोर देने वाली है। पिछले कुछ समय से इस तरह की घटनाओं के ग्राफ में बढ़त हो रही है।
बेटियों पर तो सबने बहुत ज्ञान दिया है, कुछ ज्ञान बेटों को भी दिया जाए। बेटा पढ़ाओ, साथ ही उन्हें #संस्कार भी सिखाओ! प्राथमिक शिक्षा के साथ बच्चे को निश्चित ही एक #जिम्मेदार नागरिक बनाने की शिक्षा जारी रहनी चाहिए।
मनुष्य के अंदर बढ़ती #पाशविकता को रोकने की जिम्मेदारी सिर्फ प्रशासन की ही नहीं हो सकती, हमें इसकी जड़ों तक पहुंचना ही होगा। दरअसल इस समस्या की शुरुआत #घर से ही होती है, जिसमें हमेशा ही बेटों की सभी गलतियों, कुचेष्टाओं, बेवकूफियों पर पर्दा डाला जाता है, या उनकी गलती मानी ही नहीं जाती। और यही लड़के आगे चलकर बेखौफ #अपराधी बन जाते हैं, जिन्हें किसी से डर नहीं लगता। ना परिवार से, ना ही समाज या कानून से। इसमें प्रशासन, सुरक्षा व्यवस्था व न्याय व्यवस्था भी जटिलता से परिपूर्ण है।
#नशा अपराध,अनैतिकता का सबसे #बड़ा कारण है, इस पर रोक क्यों नहीं लगती?? आजकल जितनी दुकानें दवाइयों, सब्जियों, की नहीं है, उससे कहीं ज्यादा शराब की दुकानें खुल रही हैं। हर चौथी दुकान शराब की मिल जाएगी। क्या शराब इतनी आवश्यक है। आम गरीब आदमी सारी चीजें सरकार से मुफ्त पानी की चाहत रखता है, लेकिन शराब के लिए पैसे का जुगाड कर ही लेता है, उधर सरकार की मंशा भी क्या है, क्या यही कि आम आदमी सोचने की स्थिति में ही ना रहे, जिससे कुछ लोगों की जेबें भी भरती रहें, और उनकी ही हुकूमत बनी रहे।
शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने से, सरकारी तंत्र की #ऊर्जा भी बचे, देश का #भविष्य भी!!
समस्या के हल के लिए, कानून, सुरक्षा व्यवस्था को तो सजग चुस्त दुरुस्त होना ही है, साथ ही समाज में पनप रही शराब संस्कृति पर भी रोक जरूरी है। आजकल शायद ही कोई टीवी सीरियल होगा, जो बिना शराब सेवन के पूरा होता हो, क्या युवा, क्या बूढ़े, दादियां, लड़कियां आखिर हम कौन सी संस्कृति परोस रहे हैं।
कहने को हम कुछ शब्दों में ही कह देते हैं कि #बोतल में #शराब है। किन्तु इस एक #शराब शब्द में बहुत #भयंकर अर्थ छिपा है।जैसे एक छोटे से बम में कहने को थोड़ी सी बारुद अथवा विस्फोटक है, किन्तु उसका विस्फोटक रुप अत्यन्त भयंकर होता है। उसी प्रकार #शराबरुपी #विस्फोटक का रुप भी विकराल होता है। समाज में व्याप्त अपराधों की जड़ है शराब।
आए दिन पुरुषों को शराब पीने के बाद सड़क पर, नालियों में गिरे देखती हूं तो बहुत दुख होता है।
लोग पीने का बहाना ढूंढ लेते हैं। सुरक्षा तंत्र, प्रहरी, न्याय तंत्र, चिकित्सा जगत, आइटी सेक्टर, पत्रकारिता, जातिवाद, चालक, नौकरी पेशा, व्यवसाई, मार्केटिंग, मॉडलिंग, नेता, अभिनेता, अमीर, गरीब, गुंडे, शरीफ, खुशी, गम, ऊंचे स्तर का दिखावा, प्रेम में छलावा, लाचारी, बेरोजगारी, तनाव, भटकाव, जुआरी, भिखारी, आदिवासी, या भोग विलासी #नाजाने ऐसे कितने #बहाने हैं, जो पीने वाले अक्सर खोजते रहते हैं। बेरोजगारी भी एक बहाना ही है, लेकिन उस बेरोजगारी में भी पीने के लिए, पैसे पता नहीं कहां से पैसे आ जाते हैं। स्वयं को पाक साफ दिखने के लिए इन बहानों (excuses) से बचना छोड़िए। नशे की आदत, दीमक की तरह मनुष्य के शरीर को खा जाता है। नशा वह जहर है, जिसे लोग बड़े स्वाद और शान के साथ गटकते हैं, इस तरह बच्चों की गलतियों के लिए जिम्मेदार और इसका दोषी कौन है????? शायद पैरेंट्स!! नशा अपराध की जड़ है। बच्चों को अच्छे संस्कार, परवरिश देना तो #पैरेंट्स की जिम्मेदारी है। इसके विपरीत, पैरेंट्स! खुद सब चलता है, कह कर #सपोर्ट करते हैं, तो क्या किया जाए?? या बेटों के लिए सब #जायज है, चाहे वो कुछ भी करे। सीखता तो बच्चा घर से ही है। लेकिन कुछ #स्वार्थों से ऊपर उठकर सोचें, कि ये बच्चे! परिवार हित, देश, समाज के लिए यह भी आपके द्वारा एक योगदान ही है।
अच्छी परवरिश माता पिता की सबसे बड़ी चिंता है उनका बच्चा पढ़ाई, लिखाई ,खेलकूद, हर क्षेत्र में अग्रणी रहे यह उनकी चिंता है। बच्चों को उनकी गलती के अनुसार कभी-कभी दंड देना भी आवश्यक है, उनकी गलती के अनुसार अगर ज्यादा सजा दी जाए तो भी सही नहीं है। बस बच्चे पर उसका असर सही हो, यह आवश्यक है।

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