सोमवार, 11 मार्च 2019

काउंसलिंग रिश्तों की


✍️काउंसलिंग रिश्तों की___
जादूकीझप्पी, जादुई चिकित्सा-------
The most #effective nd #healing power. #स्पर्श, एक सुखद अहसास है। बचपन से लेकर वृद्धावस्था तक के सफर में  भिन्न #जज्बातों के साथ, कई रोगों की #दवा भी है स्पर्श!!!!
अपने किसी को गले लगाए, कितने दिन हो गए याद करिए। एक पिक्चर में  था `जादू की झप्पी'। शायद ये सही है, जब कोई परेशानी में हो, कुछ कहने के लिए हिम्मत या शब्द न हो,बस एक जादुई स्पर्श, प्यार की झप्पी या hug करना एक ही बात है। सारा कहा अनकहा आंखों के रास्ते बह कर निकल जायेगा । आज शायद इसी की कमी है। इसे स्पर्श चिकित्सा भी कह सकते हैं। हम दूर दूर तक तो टच में हैं, लेकिन जो सामने बैठा है, वह है हमसे कोसों दूर।
#समाज में अभी हाल ही में जो #झकझोर देने वाली  घटनाएं हुई हैं, इंदौर के भय्यू जी महाराज हों, करोड़ों की रेमण्ड के मालिक के बेटे की बेरुखी, अरबपति महिला का अपने करोड़ों के फ्लैट में पूरी तरह कंकाल बन जाना या बक्सर के IAS का तनाव के कारण आत्महत्या करना, या पूरे परिवार का ही सामूहिक आत्महत्या कर लेना, इन सब हालातों के लिए किसी एक को तो जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते, लेकिन आगे कहीं किसी के साथ ऐसा न हो ऐसा प्रयास करने की कोशिश तो कर ही सकते हैं।
#पूरी सिस्टम प्रणाली में ही कुछ कमी अवश्य रही होगी, फिर भाग्य या होनी को भी कौन टाल सका है।  आजकल बच्चों में भी अक्षर ज्ञान ही कहूंगी, बहुत है। लेकिन व्यवहारिक ज्ञान जो जीवन के हर मोड़ पर चाहिए होता है, नहीं है। चाहे वह धैर्य हो, त्याग हो,
व्यवहारिकता या भावनाओं सम्बंधित। आत्महत्या तो कायरता है। जो जिंदगी दूसरों के लिए उदाहरण होती हैं, आकर्षित भी करती हैं, लेकिन ये घटनाएं बताती हैं जीवन में पैसा, पद, प्रतिष्ठा कुछ काम का नहीं अगर आपके जीवन में अपने नहीं हैं, संस्कार नहीं हैं, खुशी और संतुष्टि नहीं है तो।
#पैरेंटिंग भी ऐसी नहीं है,जहां बच्चों को यह सिखाया जाय जीवन के माने क्या हैं। यह तो कायरता है कि कैरियर की जंग में जीतकर भी जीवन की जंग में एक व्यक्ति हार गया। कई बार देखने में आता है, बात कड़वी जरूर है और लोग इसे स्वीकारेंगे भी शायद नही, लेकिन परिवार का एक बच्चा अगर अच्छी पोस्ट पर काबिज हो गया है तो स्वयं #मातापिता भी अपना भविष्य secure  करने में लगे रहते हैं। साथ ही उस बच्चे को इतना अपराध बोध (गिल्ट) महसूस करवाते रहेंगे, कि हमने तेरे ऊपर ही सारा जीवन, जमापूंजी खर्च कर दी। बस केवल उस पर से अपनी capturing नहीं छोड़ना चाहते। उधर शादी के बाद लड़की भी कुछ सपने लेकर आई होती है।जहाँ केवल अधिकारों की मांग तो है लेकिन आपस मे बैठकर बातचीत करने वाला कोई नहीं। सब अपनी दुनिया में मस्त , कितने घर हैं जहाँ #एकसाथ बैठ कर खाना खाते हों या आपस मे #संवाद हो। अगर संवाद होता तो क्या उस बुजुर्ग महिला के कंकाल बनने की नौबत आती। अब इन बुजुर्गों  ( XYZकोई भी हो सकता है ) की  जिंदगी के बारे में अनुमान लगाकर देखा जाय, शायद जब ये युवा रहे होंगे तब क्या इन्होंने किसी घर, मित्र, परिवार, रिश्तेदार को अपने यहाँ घुसने दिया। तब तो केवल पैसा,  शौहरत, ऊंचाईयां और अपनी आजादी। और जब यही सब उनके बच्चे कर रहे हैं तो फील #क्यों हो रहा है।
#सच तो यह है कि पैसे के साथ जवानी में हम किसी को नहीं पूछते तो बुढ़ापे में आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं। और बच्चे हमेशा वही सीखते हैं जो देखा होता है। कभी आपने किसी घरवाले,रिश्तेदार आदि को पूछा होता तो शायद इस उम्र में यह अकेलापन नहीं कचोटता।आज भी कई बुजुर्ग जिनके पास पैसा, पावर या शारीरिक फिट हैं उनके एक बार लहजे देखिए। कइयों को कहते सुना है, मेरे पास इतना पैसा है झक मार कर बच्चे सेवा करेंगे या जिसको भी जायदाद दूंगा वो करेगा। पैसों का घमंड न दिखा कर थोड़े #संस्कार दे दिए होते काश--!!!!!!
#जब रिश्तों में भौतिक सुविधाएं हावी होने लगेंगी तो यही हश्र होगा।स्वार्थ को वरीयता देने से रिश्तों की डोर कमजोर हो रही है।सब पकड़ बनाना चाहते हैं, निभाना नहीं। हाल ही में हुई ये घटनाएं समाज को झकझोर देने वाली हैं। बुजुर्ग मातापिता की कानून की धमकी व ऐंठ भी कम नहीं है पैसों को लेकर।पहले #सत्ता का #हस्तांतरण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को बड़े अराम से हो जाया करता था वो बुजुर्ग भी इस #सत्ता के लोभ को छोड़ नहीं पाते। फिर संस्कार तो बच्चों ने मातापिता से ही सीखे होते हैं।काश आप भी बच्चों के लिए,आदर्श बने होते। इसीलिए वृद्ध मातापिता को बेसहारा छोड़ने के मामले भी बढ़ रहे हैं।
#काउंसिलिंग दोनों की ही जरूरी है #वृद्धों की भी और #बच्चों की भी। रिश्तों के कम होते महत्व के कारणों को तलाश करने की जरूरत है। कहीं न कहीं हमारी #परवरिश पर भी सवाल उठना वाजिब है।हम अपनी #लाइफ की CD को #रिवर्स में चला कर #सच्चाई के साथ देखें। अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा, बीती ताहि बिसार दे,आगे की सुध लेहु।

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