गुरुवार, 7 मार्च 2019

पेरेंटिंग, जिद्दी बच्चों की


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#पैरेंटिंग, कैसे हो #जिद्दी बच्चों की
परवरिश और खानपान____
#जिद्दी एवं #गुस्सैल बच्चों को संभालना बेहद मुश्किल है। ऐसे बच्चों पर थोड़ा अधिक ध्यान देने की जरूरत है।ये बच्चे आपका थोड़ा अधिक अटेंशन चाहते हैं। इन बच्चों को व्यवहार के साथ खानपान पर भी ध्यान रखें। जिद कम करने के लिए किशमिश, अंगूर, मुनक्का रसीले फल खिलाना उपयोगी है। #गैस, #पित्त बढ़ाने वाले भोजन जिद्दी बच्चों को नहीं दें। मसालेदार #जंक फूड, तले हुए भोजन से दूरी बनाकर रखें। विटामिन #सी वाला भोजन, #रसीलेफल बच्चों को अवश्य खिलाएं। #पानी का इनटेक बढ़ाएं। संभव हो तो चांदी के बर्तन में पानी पिएं।चांदी शीतलता प्रधान धातु है। बच्चों की जिद्द धीरे धीरे कम होगी। #नमक और #चीनी का सेवन भी कम करें, यह भी जिद्दी स्वभाव को कम करता है। शारीरिक रुप से कमजोर बच्चे अक्सर जिद्दी हो जाते हैं। कई बार मनचाही सफलता न मिलने पर भी जिद्दी स्वभाव हो जाता है। क्रोध के कारणों को जानना आवश्यक है। बच्चों को #प्यार से सही और गलत  समझाएं। #नाजायज बातों को नहीं मानें। अनुचित बातों पर #ना कहना भी आवश्यक है।यदि बच्चा क्रोध करें तो आप स्वयं क्रोध ना करें, संयम का परिचय दें, उन परिस्थितियों से बच्चे का ध्यान हटाएं। घर के बड़े अपने साथ बच्चों को बिठाकर #मेडिटेशन (ध्यान), प्राणायाम आदि सिखाएं। सुबह सुबह बच्चों को #घास पर टहलाएं। ऐसे बच्चे #शारीरिक #श्रम वाले खेल अवश्य खेलें। क्लासिकल संगीत सुनना भी अच्छा है,तेज शोर वाले रॉक म्यूजिक नहीं। यह सही है कि इस तरह बच्चे में एकदम बदलाव नहीं आएगा, लेकिन थोड़ा #धैर्य तो आप भी रखिए। उनको #जिद्दी बनाने में कई बार #मातापिता की #परवरिश का भी हाथ होता है। यह #वास्तव में तो #मातापिता के #हठ (जिद) की #प्रतिक्रिया ही है। शुरू शुरू में तो बच्चा डरकर मान जाता है, लेकिन बाद में धीरे-धीरे जिद करना प्रारंभ कर देता है। जब बच्चा जिद करे तो उसकी उपेक्षा नहीं करें, हालांकि उस समय उसको डांटना या समझाना दोनों ही फिजूल है। उसे कभी भी दूसरों के सामने नीचा ना दिखाएं। ध्यान रहे बच्चों की बुरी आदतें प्यार और सावधानी से ही दूर की जा सकती हैं। जल्दबाजी और दबाव द्वारा बच्चे सुधरते नहीं, इसके विपरीत और बिगड़ते ही हैं। इसी प्रकार मारना-पीटना किसी समस्या का समाधान नहीं है। माता पिता अपने बच्चों से बातें करें, हर चीज स्कूल, दोस्तों की उनसे शेयर करें। जो पेरेंट्स बच्चों के क्लोज रहते हैं, उनके अपने बच्चों के साथ संबंध अच्छे रहते हैं और बच्चे उनको अपने दिल की बातें बता सकते हैं, ऐसे संबंध हों तो उन बच्चों के अंदर नशा करने की प्रवृत्ति, बिगड़ने की संभावना, टेंडेंसी बेहद कम पाई जाती है। जो माता पिता अत्यंत सख्त होते हैं, और जो बच्चों का ध्यान नहीं रख पाते, ऐसे बच्चों में नशे आदि की बिगड़ने की संभावना अधिक रहती है। क्योंकि उन्हें इमोशनल सपोर्ट नहीं मिल पाता। बच्चों को लेकर कभी भी सख्त रुख ना अपनाएं। ऐसे बच्चों में नशे में डूबने की आदत जल्दी ही पड़ जाती है। इसलिए हर चीज बच्चों से साझा करें, बातें करें, और उन्हें धैर्य, प्यार एवं समय के साथ
अच्छे दोस्त भी, बनकर अच्छी परवरिश दें।

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