शुक्रवार, 25 जनवरी 2019

दिल की आत्म कथा

#दिल की आत्मकथा ❤️
#दिल का मामला है, कोई दिल्लगी नहीं। जरा ध्यान लगा कर पढ़िए। आज मैं (❤️दिल) आपसे कुछ #मन की बातें करना चाहता हूं। मैं हमेशा आप का भला चाहने की कोशिश में दिन रात बिना रुके अपना कार्य (धड़कता, खून की पम्पिंग) बिना किसी शिकायत के करता हूं। पता है मैं कितनी मेहनत करता हूं, एक महीने में 38 हजार लीटर के 5.3 टैंकर भर जाएं, इतना रक्त पम्प करता हूं। एक मिनट में हृदय जितना रक्त पम्प करता है उसे कार्डिएक आउटपुट कहते हैं।इससे सेहत का आकलन किया जा सकता है।ये आउटपुट जितना अच्छा उतनी सेहत अच्छी।
#लेकिन क्या कभी आप भी मेरे बारे में सोचते हैं, मुझे क्या अच्छा लगता है, मैं क्या चाहता हूं, मेरे स्वास्थ्य के लिए क्या #उचित है। कई बार मैं आपको संकेत भी देता हूं, फिर भी आप नहीं मानते।आप बस अपनी मनमानी करते हैं। जिस दिन से आपने जन्म लिया है #मैं ❤️ अनवरत चले जा रहा हूं, अगर आप की हरकतों की वजह से मुझे भी गुस्सा आ गया तो, you know आप तो गए काम से। मजाक नहीं है ये, बस अब आपको  मेरी सारी बातें ध्यान से सुननी भी होंगी और माननी भी होंगी। हमेशा सकारात्मक रहें।
#जब ❤️मुझे परेशानी होती है, इसका सबसे सामान्य लक्षण छाती के बीच में तेज #दर्द होना है, जो कि शरीर के बाईं ओर होता है।खासतौर से #बाएं हाथ, कमर और दोनों कंधों के बीच में इसका दर्द होता है। व्यक्ति को बहुत ज्यादा #पसीना आने लगता है।अगर कोई मधुमेह से पीड़ित है या वैसे भी कई बार कुछ सेकेंड के लिए आंखों के सामने #अंधेरा छा जाता है, चक्कर आ सकते हैं, हो सकता है पसीने में भीग जाओ,#सांस लेने में तकलीफ, कुछ समय के लिए समझ खो देना, #थकान, उबकाई की फीलिंग भी एक लक्षण है। कई बार आप गैस और पाचन की परेशानी तथा हृदय की बीमारी में #कन्फ्यूज हो जाते हैं।अतः प्लीज तुरंत चिकित्सीय सहायता लें।
#अन्य देशों की तुलना में भारत में ❤️मेरे रोगी ज्यादा हैं।क्या करूँ आप काम ही ऐसे करते हैं, कोलेस्ट्रॉल का सामान्य से अधिक बढ़ना,जिससे रक्तवाहिनी धमनियों में रुकावट पैदा होती है और मेरे बीमार होने का खतरा दो तीन गुना बढ़ जाता है।और ये जो आप #परिश्रम, #मेहनत या #व्यायाम  बिल्कुल न करके आलसियों का जीवन जीते हो ना, ये तो मुझे बिल्कुल #गवारा नहीं। मधुमेह, ब्लडप्रेशर बढ़ा हुआ रहना, #गलत तरीके से आहार विहार, शराब, सिगरेट तो मुझे नागवार लगते हैं।अर्थात ये सब मुझे बीमार करने के तरीके हैं। सेहत को नजरअंदाज कर स्वाद के लालच में फास्टफूड जंकफूड के दीवाने हो कर खाते हो, उससे #कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है, जो ❤️मेरे लिए नुकसानदेह है। वैसे एक बड़ा #कारण #आनुवंशिक भी है।
#अगर आप मुझे स्वस्थ रखने चाहते हो तो नियमित #व्यायाम करिए। सूर्योदय से पहले उठकर 2-3 किमी.तेज चाल में चलिये। लगभग 45 मिनट की वॉक अवश्य करें। नहीं तो 20 मिनट की ब्रिस्क वॉक ही कर लीजिए। #संतुलित आहार का कम घी, तेल चिकनाई रहित, भारी भोजन नहीं, नमक, चीनी पर कंट्रोल रखें।मोटापा न बढ़ने दें। तनाव रहित, चिंता से बच कर रहें।टेंशन मुझे बिल्कुल पसंद नहीं। परिवार का साथ और हंसने से मैं❤️ स्वस्थ रहता हूं। आजकल भोगविलास की जीवनशैली कम समय में अधिक सुखसुविधाएं कमाना चाहते हैं, औेर इस चक्कर में ना तो अच्छी तरह भोजन कर पाते हो, ना ही सोने का कोई समय है। आलस्य, उन्माद, देर रात पार्टी की वजह भी दिनचर्या बिगाड़ कर ❤️मेरा स्वास्थ्य खराब करती है। तथा ❤️मुझे रोगी बनाने की सम्भावना बढ़ाती है।#इसलिय नियमित दिनचर्या अपनाकर स्वस्थ रहो। early to bed early to rise, makes a man healthy wealthy and wise.अगर मुझे स्वस्थ रखना चाहते हो,तो मेरी ❤ ️रक्षा के लिए #पवनमुक्तासन, #ध्यान, #सर्वांगासन, #प्राणायाम तथा सुबह की #सैर आवश्यक है। 30 मिनट की कसरत ❤️ मेरी बीमारी का खतरा 50% #कम कर देता है। भरपूर नींदलें, अन्यथा #स्ट्रेस की वजह से ❤️मेरे अटैक का खतरा बढ़ जाता है। So #prevention is better than cure.
#लेकिन फिर भी मुझ ❤️ पर अटैक होने पर अपने तरीकों से निपटने की बजाय तुरंत #मेडिकल #हैल्प के लिए कॉल करें। या नजदीकी चिकित्सक के पास ले जांय। चिकित्सा सुविधा मिलने तक मुझे पीड़ित अवस्था में #सीधा लिटा दें। कपड़ों को ढ़ीला कर दें। हवा आने की जगह दें। मुझे❤️ #सफोकेशन पसंद नहीं है। गहरी सांस लेने दें। ये तो थी दिल❤️ की बात, इस पर न जाने कितने गाने लिख गए, कितने कुर्बान हो गए। अन्यथा फिर गाते रहना, इस दिल ❤️ के टुकड़े हजार हुए कोई यहां गिरा कोई वहां गिरा। और इस असल जिंदगी की पिक्चर में फिर कोई #समेटने नहीं आएगा, इसलिए इस दिल को सहेज कर रखिए। वरना गाना पड़ेगा ❤️दिल के अरमां आसूंओं में बह गए। ❤️दिल तो है दिल, दिल का ऐतबार क्या कीजिए, आ गया जो किसी पे... दिल❤️ तो बच्चा है जी! ❤️ love u दिल .



गुरुवार, 24 जनवरी 2019

पेरेंटिंग,एक पत्र युवा बच्चों के लिए


#पेरेंटिंग
#एक पत्र, युवा बच्चों के लिए______
जिसने भी ऊंचाइयां छूई हैं, उसमें परिवार का सहयोग, समयानुकुलता,भाग्य तो है ही, लेकिन सबसे #अहम है, आपके द्वारा लिए गए #निर्णय।
जीवन में हमेशा कुछ पान पाने की चाहत में हम भागते ही रहते हैं, उससे आगे... उससे आगे... उससे ज्यादा... और ज्यादा... और अपने जीवन का अधिकांश समय हम इसी थकान में लगा देते हैं। क्या कभी हमने सोचा है आखिर यह भागम-भाग किस लिए यह थकान किस लिए????? ज्यादातर लोग बस जिए जा रहे हैं।
#दुनिया के अधिकतर लोगों को अपनी जरूरतें पता होती हैं, लेकिन फिर भी वह जीना भूलकर, और पाने की चाहत में अपने को उलझाए रहता है, यह भी सही है कि कुछ चीजें जरूरी भी होती हैं, लेकिन फिर भी अंधी दौड़, का क्या फायदा????? और कई बार, जिंदगी की दौड़ कब पूरी होने के करीब होती है, और आपके पास समय नहीं होता। उस समय सिवाय अफसोस के कुछ नहीं!!!यहां तक कि आप अपने लिए भी समय नहीं निकाल पाए, कुछ बेहतर कर सकते थे, लेकिन नहीं कर सके। पीछे छूटे लोग आपको याद करें ना करें, आप अपने आप में भी तो संतुष्ट नहीं हो पाए। जिम्मेदार कौन है इन सब चीजों का?? अच्छा होगा समय रहते आप समझ जाएं, सांस थम जाने से पहले, कोई काश!!!!!!! कहने का अफसोस ना करें।
अपने ऊपर #डर (लोग क्या कहेंगे) को हावी ना होने दें। आप जितना इससे डरेंगे, लोग आपके ऊपर हावी होना जारी रखेंगे। उनको खेलने के लिए एक कठपुतली जो मिल जाती है। दूसरों की सोच की परवाह,आपको डरपोक, पंगु, मतिहीन कर देती है।आप दूसरों के हाथ का खिलौना बन कर, कितनी ऊंचाइयां हासिल कर सकते हैं, सोचिए!! आंखें बंद कर, मन की आवाज सुनें, उसे प्राथमिकता दें। सफलता मिले न मिले, जीने का जज़्बा, उत्साह बना रहेगा।
जो कार्य आपको पसंद नहीं उसमें अपनी #एनर्जी बर्बाद नहीं करें, उसमें सफलता संशययुक्त है, मिल भी सकती है, नहीं भी। क्योंकि उस कार्य में आप अपना पूरा #जुनून नहीं दे पाएंगे, इसलिए आप सफलता चाहते हैं, तो अपनी #पसंद का खयाल अवश्य रखें, और फिर जुट जाएं, पूर्ण धैर्य, लगन, समर्पण के साथ, सफलता निश्चित है, क्योंकि आप पूरे #जुनून के साथ करेंगे। सफलता नहीं भी मिली, मन #संतुष्ट होगा। आपने अपना बेहतर दिया, सपनों को पूरा करने के लिए, आगे प्रभु इच्छा।
#विवेकानंद हों, योगानंद जी, या अपने प्रधानमंत्री मोदी जी हों, या ऐसे ही और भी बहुत से व्यक्ति। पढ़ने का मतलब पैसा कमाने की मशीन बनना नहीं है। ज्ञानार्जन, स्व की खोज में सहायक है। मुझे अपने परिचितों में, एक ऐसे बच्चे का पता लगा, जो अपने माता का इकलौता पुत्र भी है, जिसने आई आई टी रेंकर होकर,अच्छे जॉब के बावजूद, आध्यात्मिक पथ को चुना। ये उसका चुना हुआ निर्णय था।स्व
का आनंद किसी पक्षी से पूछिए जो उड़ान भरता है खुले आसमान में।अपनी पसंद का करने में, #स्वतंत्रता और #निरंकुशता के बारीक अंतर को समझें। #स्वविवेक नितांत आवश्यक है। स्वस्थ जीवन शैली अपनाकर जीवन को सही दिशा दें। सही फैसले लेकर स्वस्थ जीवन जिएं, समय फिसलता जा रहा है। बाद में पछताने से अच्छा होगा, समय रहते जीवन पर नियंत्रण के साथ, उचित फैसले लें। और जो कुछ भी हो, उसकी जिम्मेदारी भी लेना सीखें। जिम्मेदारी की भावना आपको  #सफलता की ओर अग्रसर करती है, वहीं इससे बचना #पलायन सिखाती है।
#जीवन एक #यात्रा है, और हम सब  सहयात्री। सबसे सहयोग, प्यार, मित्रता बना कर रखें, लेकिन कोई भी किसी के साथ हमेशा के लिए नहीं होता, इसका ध्यान रखें।
#अफसोसों के बक्से के बोझ तले घुट कर मरने से अच्छा होगा समय पर सही निर्णय लेने की क्षमता विकसित की जाए। स्वास्थ्य हो या कैरियर, भविष्य को ध्यान रखें। अनिर्णय, या गलत निर्णय के बाद, आप हालात से समझौता करने वाली जिंदगी जीना चाहेंगे ????? शायद नहीं। तो फिर चुनिए भी और सुनिए भी अपने मन की आवाज़। और इसके लिए कभी कोई देरी नहीं हुई है, जब जागो तब सवेरा!!!
#जिंदगी को #अर्थपूर्ण बनाने की कोशिश करें, भरपूर आनंद के साथ जिओ और जीने दो। ताकि जब हम अपनी यात्रा पूरी कर रहे हों तो कोई काश!!! बाकी न  रहे। और लोगों के दिलों में भी एक हस्ताक्षर तो छोड़ ही जाएं। सब सोचने पर मजबूर हो जाएं, बंदे में कुछ तो बात थी। किसी ने क्या खूब लिखा है____
#कर्म करे किस्मत बने, जीवन का ये मर्म।
#प्राणी तेरे भाग्य में, तेरा अपना कर्म।।

मंगलवार, 22 जनवरी 2019

एक पत्र,हेलीकॉप्टर पैरेंट्स के लिए

(पेरेंटिंग)एक पत्र, हेलीकॉप्टर पेरेंट्स के लिए__
परवरिश को लेकर लिखना,मुझे बहुत अच्छा लगता है। सभी पैरेंट्स अपने बच्चों की बेहतर परवरिश करने की कोशिश करते हैं। लेकिन फिर भी कुछ ऐसा हो जाता है, कि उनकी परवरिश ही बच्चों के व्यक्तित्व निर्माण में #बाधक बनने लगती है। आजकल के माता-पिता व बच्चों के हालात देखकर, शायद किसी की कुछ समझ में आ सके। पैरेंट्स, अति #नियंत्रण से बचें। यह बच्चों के और मुख्यत उनके अभिभावकों की प्रेरणा के लिए है, ताकि वह अपनी आदतों से बाज आ सकें। #अनावश्यक पकड़, बच्चों के व्यक्तित्व विकास पर बुरा असर डालती है। कई बार बच्चे social phobia के शिकार भी हो सकते हैं। जीवन में किसी भी तरह का दबाव आने पर, उनके अंदर डर और घबराहट बढ़ जाती है। और ऐसे बच्चे झूठ बोलने की और बातों को छुपाने की आदत बन जाती है। एक उम्र के बाद, बच्चों को अपने #इमोशनल #चंगुल से रिहा कीजिए। अपनी पकड़ ढीली कर, उन्हें भी अपनी जिंदगी जीने, निर्णय लेने का अधिकार दीजिए। स्वतंत्रता के बिना जीवन ऐसे है, जैसे आत्मा के बिना शरीर। निर्णय लेने की #क्षमता ही उनकी #उन्नति का मार्ग प्रशस्त करेगी। स्वतंत्रता, आजादी, खुली सांस लेकर ही उन्नति संभव है। कहीं ऐसा ना हो,आपकी अनावश्यक #दबाव से बच्चे अपना आत्मविश्वास ही खोने लगें। जरूरत के अनुसार बच्चों की मदद करें, लेकिन अनावश्यक हस्तक्षेप नहीं।
लेबनानी कवि खलील जिब्रान की एक खूबसूरत कविता है:-
तुम्हारे बच्चे, तुम्हारे नहीं हैं।
वह खुद जीवन की लालसा के बेटे और बेटियां हैं।
वह आए हैं तुम्हारे जरिए,
लेकिन तुममें से नहीं आये,
और, हालांकि वह हैं तुम्हारे साथ,
लेकिन वह नहीं है तुम्हारे!!!!!!

रविवार, 20 जनवरी 2019

पेरेंटिंग


✍️ पेरेंटिंग
#सफलता और #नियमित #अभ्यास ---------
आजकल बच्चे पढ़ाई,कैरियर को लेकर बहुत जल्दी तनाव में आजाते हैं। #स्मरण रहे,#सफलता के लिए #नियमित #अभ्यास जरूरी है। #अच्छी चीजें देर से #असर करती हैं। कई बार देखने में आता है, कि माता पिता या गुरुजनों द्वारा #प्रेरित किये जाने के #बावजूद भी बच्चे #नियमित व्यायाम, खेलना,  अच्छा आहार या पढ़ाई नहीं करना चाहते। इसके लिए आप #जिम्मेदार #नहीं हैं, जिम्मेदार है #न्यूटन का #लॉ ऑफ #इनर्सिया। जिसमें उन्होंने साबित किया था कि #जो चीज जहां पड़ी है, #वहीं #पड़ी रहना #चाहती है। #बचपन इस #नियम से जल्दी ही प्रभावित होता है। बच्चे हर गतिविधि का #इंस्टैंट तुरंत #फायदा तलाशते हैं, लेकिन अच्छी चीजें, बातें  #देर से #असर करती हैं। जबकि #बुरी चीजें बेहद जल्दी प्रभाव दिखाने लगती हैं। इसीलिए बच्चों को चाहिए कि प्रयास नियमित जारी रखें, ताकि उसका दूरगामी अच्छा परिणाम (फायदा) मिल सके। माता पिता को भी विशेष धैर्य की आवश्यकता है। इस उम्र में बच्चे कई बार आदेश सुनना पसंद ही नहीं करते, और पैरेंट्स अपनी बात मनवाने पर अड़ियल रवैया, क्रोध भी अपना लेते हैं, जोकि उचित नहीं है। इसलिए बिना सख्ती किए, आपके आचरण द्वारा, बच्चों को स्व अनुशासन से, नियमित अभ्यास के लिए प्रेरित होने दें। अन्यथा बच्चों और बड़ों में क्या फर्क रहेगा। यह बच्चों पर ही नहीं किसी भी क्षेत्र में ज्ञान पिपासुओं के लिए, योगियों के लिए, या स्वयं को पूर्णता के सुखद अनुभूति चाहनेवालों पर लागू है। कहते भी हैं ना ------
करत करत #अभ्यास के जड़मति होत सुजान।
रसरी आवत जात पे सिल पर परत निसान।।
If you #practice, you will experience,
And that #experience will #guide you.

शनिवार, 19 जनवरी 2019

सारी जन्नतें मेरे साथ हों..


✍️सारी जन्नतें तेरे साथ हों...

इंतजार इश्क का,
सबसे खूबसूरत सजा,
और मिलन,
तेरी यादों का,
दिल में बहता समंदर।

इस सर्द चांदनी रात,
बस मैं, और तुम!
तेरी गर्म हथेलियों के बीच,
उग आया जैसे,
आशा का नन्हा सा पौधा।

नर्म मुलायम पत्तियों के नीचे,
था असीम,
नए जीवन का आधार,
और था जैसे,
जीवनीशक्ति का संचार।

जड़ हुए लब,
खामोश लफ्ज हैं,
छलके,
मिलन की खुशी,
झलके, अनकहे अर्थ हैं।

तेरी आंखों में ही देखूं,
नित नई आस,
नया सवेरा,
चलूं तेरे साथ सदा,
पथ पर जीवनसंगिनी बन।

जीवन की जब,
यह सांझ ढले,
मैं, मैं ना रहूं!
जो भी है मुझमें,
सब तुझमें समा जाऊं।

बस सारी जन्नतें तेरे साथ हों..................






मंगलवार, 15 जनवरी 2019

पेरेंटिंग

✍️
#बच्चों को #मोबाइल देना एक ग्राम #कोकेन देने के #बराबर है__
           ___मैंडी सालगिरी, नामी एडिक्शन थैरेपिस्ट
अगर बच्चों को मोबाइल दे रहे हैं, तो आपको इसके खतरे भी पता होने चाहिए। दुनिया के वैज्ञानिक इस पर क्या विचार रखते हैं,आइए यह जानते हैं।
#जो छोटे बच्चे मोबाइल से खेलते हैं वह देर से बोलना शुरू करते हैं__
                                ___टाइम मैगजीन की रिपोर्ट
#लंबे समय तक मोबाइल के इस्तेमाल से #ब्रेन ट्यूमर का खतरा__
                                          ___एम्स का अध्ययन
#मोबाइल,बच्चों में आंखों में सूखापन की बड़ी वजह है__
                               ___दक्षिण कोरियाई वैज्ञानिक
मोबाइल के #लत छुड़ाने का समाधान, केवल माता पिता यानी कि आप ही कर सकते हैं, बच्चों के #व्यक्तित्व विकास के लिए, उन्हें मोबाइल देने के बजाय उन को अपना समय दीजिए। मोबाइल घरों में दीवार खड़ी कर रहा है। आपसी #संवाद समाप्त हो रहा है। कई घरों में तो यह स्थति हो जाती है कि मातापिता या कोई अन्य कुछ भी पूछे तो वह जवाब देने से बेहतर अपने मोबाइल में घुसे रहना पसंद करते हैं। इस तरह बच्चे, संस्कारों को भी धता बता रहे हैं। एक शोध के मुताबिक बच्चों में, गैजेट्स के बजाय पुराने पारम्परिक खेलों से बेहतरीन व ज्यादा समझदारी सीखने में आती है।

रविवार, 13 जनवरी 2019

मकर संक्रान्ति

✍️ मकर संक्रान्ति____
पिता का पुत्र के यहां आगमन पर स्वागत, यानी #सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करने पर इस पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।💐
हिन्दू संस्कृति में त्यौहारों का विशेष महत्व है और ये पूर्णतया #वैज्ञानिक आधार पर भी सही ही होते हैं। हिन्दू #जीवनशैली में संचय की अपेक्षा #दान को विशेष महत्व दिया गया है।इस प्रवृत्ति से उदारता एवं सद्भाव बढ़ता है। वंचित व गरीब साधनहीन वर्ग को सहारा मिलता है। इसलिए इस पर्व पर दान, स्नान का काफी महत्व है। इस दिन खिचड़ी, तिल के व्यंजन, लड्डू, गजक, रेवड़ी, मूंगफली, मक्के के फूले ,पूरी, पकवान आदि बनाए, खाए व दान किये जाते हैं। इस परंपरा को महाभारत के एक दृष्टांत से जोड़ा जाता है। पांडव जब वनवास में थे, तो उन्हें मकरसंक्रांति के दिन भिक्षा में तिल, दाल, चावल आदि मिले थे। ये सब चीजें आपस में मिल गई थीं, उन्होंने उन चीजों को उसी रूप में पकाकर खाया। तब से ही खिचड़ी बनने की शुरुआत हुई, इस दिन खिचड़ी का दान भी किया जाता है। उत्तरप्रदेश में तो इसे खिचड़ी का त्यौहार ही कहते हैं।
उत्तरभारत में मकरसंक्रांति, दक्षिण में पोंगल, ( सूर्य, इंद्रदेव, नई फसल ,पशुओं व बेटियों को समर्पित त्यौहार है )पंजाब व जम्मू कश्मीर में लोहड़ी,सिंधी समाज में लाल लोही (मकरसंक्रांति से एक दिन पहले) बंगाल, महाराष्ट्र, गुजरात तथा असम में बीहू के रूप में, यह त्यौहार पूरे भारतवर्ष में किसी किसी तरह मनाया जाता है। 14 जनवरी को गंगासागर में मेले का आयोजन होता है, व इसमें स्नान का बहुत महत्व है। गुजरात, व महाराष्ट्र में अनेक खेल प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं।
भारत में सभी पर्वों को हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। मकरसंक्रांति का अपना विशेष महत्व है। यह सूर्य आराधना का पर्व है। सूर्य के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का उत्सव है।सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो यह पर्व मनाया जाता है। मकरसंक्रांति पर सूर्य उत्तरायण होकर दिन, तिल तिल कर बड़े होना शुरू हो जाते हैं। हिन्दू ग्रन्थों में इस दिन का विशेष महत्व है। भीष्म ने इसी दिन को अपने प्राण त्यागने हेतु चुना था। #उत्तरायण को देवताओं का दिन अर्थात #सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। इस समय देवयोग शुरू होता है। और खिचड़ी देवताओं को पसंद है, सूर्य का उत्तरायण होना  उत्साह और #ऊर्जा के संचारित होने का समय है, जिसकी शुरुआत खिचड़ी से होती है।उत्तरप्रदेश में  गंगा स्नान, कंबल, घी, खिचड़ी, तिल की बनी चीजों के दान का विशेष महत्व है।ऐसा माना जाता है, इस दिन प्रयाग (संगम) में देवीदेवता अपना स्वरूप बदल कर स्नान के लिए आते हैं। महाराष्ट्र में पहली संक्रांति पर तेल, कपास, नमक, सौभाग्य सूचक सामग्री सौभाग्यवती स्त्रियों को प्रदान करती हैं। बंगाल में भी तिल दान का महत्व है।
राजस्थान व गुजरात, सौराष्ट्र खासतौर पर जयपुर, अहमदाबाद में मकरसंक्रांति पर्व पर पतंगो का खूब उत्साह, जुनून व शोर रहता है। कई जगह इसकी प्रतियोगिता भी आयोजित की जाती हैं। बच्चे अल सुबह ही नहाधोकर छतों पर चढ़ जाते हैं, वहीं पर गाना बजाना, खाना पीना व पतंगों का दौर शुरू होता है, जो सूरज ढलने पर ही समाप्त होता है। बच्चों की मस्ती देखते ही बनती है।
सिंधी व पंजाब में लोहड़ी पर होली की तरह लकड़ियां एकत्रित कर जलाई जाती हैं। फिर उसकी परिक्रमा कर उसमें रेवड़ी, तिल, मक्का के फूले अग्नि में समर्पित किये जाते हैं। ऐसी मान्यता है जो व्यक्ति आग के बीच से धानी या मूंगफली उठाता है उसकी मुराद पूरी होती है। लोहड़ी नवविवाहित या बच्चे के जन्म पर विशेष धूमधाम से मनाई जाती है। पहले छोटे छोटे बच्चों की टोलियां द्वारा घरों से लोहड़ी पर गीत गाकर पैसे, तिल का सामान, लकड़ियां आदि मांगी जाती थीं, जो अब संकोचवश समाप्त होती जा रही है। इसका एक प्रसिद्ध गीत-----
सुंदर मुंदरिये,-------हो
तेरा कौन बेचारा,--------हो
दुल्ला भट्टी वाला,---------हो
दुल्ले दी ब्याही,----------हो
सेर शक्कर आई,-----------हो
कुड़ी दे बोझे पाई,----------हो
कुड़ी दा लाल पटारा,--------हो
एक कथा किवंदती के अनुसार, एक ब्राह्मण कन्या को दुल्ला भट्टी ने जो कि एक मुसलमान था, गुंडों के चंगुल से छुड़ाया, फिर एक सेर शक्कर देकर उसका विवाह ब्राह्मण लड़के से कर दिया। उसी की याद में  आज भी यह गीत गाया जाता है। इस दिन मक्की की रोटी व सरसों के साग भी बनाया जाता है। महिलाएं हंसते गाते लोहड़ी मनाती एवं दुआ करती हैं।
दक्षिण भारत में पोंगल चार दिन तक चलने वाला कृषि, पशुधन की समृद्धि का त्यौहार है। पहले दिन कूड़ा करकट जलाया जाता है, दूसरे दिन लक्ष्मी पूजा, तीसरे दिन, पशुधन तथा अंत में बहुत ही स्वच्छता से खीर बना कर भोग लगाया जाता है एवं बेटियों दामादों को आमंत्रित कर स्वागत किया जाता है।
भगवान श्री राम ने भी पतंग उड़ाई थी, राम चरित मानस के बालकांड में इसका उल्लेख मिलता है। भगवान श्री राम जब पतंग उड़ा रहे थे तो वह इतनी ऊंची पहुंच गई कि इंद्र के पुत्र जयंत की पत्नी ने उसको पकड़ लिया। इसके आगे की कथा भी है।
राम इक दिन चंग उड़ाई।
इंद्र लोक में पहुंची जाई।।
ये वे प्रसंग हैं जिनसे पतंग की प्राचीनता का पता  चलता है।।

शनिवार, 12 जनवरी 2019

प्रेम द हीलिंग पावर

प्रेम, द हीलिंग पावर__
कहीं बेवजह तो नहीं गुजर रही ये जिंदगी,
प्रेम, प्रेम, प्रेम और सिर्फ प्रेम!!!!
उम्र धीरे धीरे धीरे यूँ ही खिसकता जा रही है, पल प्रति पल कब मिनट, घण्टों, दिनों, महीनों और सालों में गुजर गए पता ही नहीं चला। आज मुड़ कर देखें तो लगता है क्या यही जिंदगी है? खाना, पकाना, कमाना और सो जाना। फिर एक नई सुबह,फिर वही दिनचर्या। आखिर तो जिंदगी का भी कोई तो उद्देश्य होना चाहिए। ईश्वर ने हमें ऐसे ही तो नहीं बनाया होगा। पशुवत जीवन भी कोई जीवन है। जीवन मे बड़े बड़े दावे, मैं समाज में प्यारभरी दुनिया का निर्माण कर समाज में परिवर्तन लाऊंगा, लेकिन सच तो ये है, ये सब दिखावे की बातें हैं। प्रथम तो हम स्वयं से प्यार करें। स्वयं से प्रेम करना एक #चमत्कारिक इलाज है। अगर हम स्वयं से प्यार नहीं कर सकते तो, हम दूसरों से कैसे अपेक्षा रख सकते हैं कि वह हमें प्यार करे। हम दूसरों से भी सच्चा प्यार नहीं कर सकते। हम दूसरों को भी सच्चा प्यार तभी दे सकते हैं, जब हमारे पास देने लायक प्यार हो। आध्यात्मिक दृष्टि से भी कहते हैं, आत्मा सो परमात्मा। जब आप स्वयं से प्यार करोगे मतलब आप ईश्वर से प्रेम करोगे। जब आप स्वयं से प्यार करेंगे तो जानेंगे, मैं कौन हूं।और अपने अंदर पाएंगे एक अति सुंदर, सर्वशक्ति से भरपूर, सर्व आंनद आत्मविश्वास से भरे हुए व्यक्ति को। और वह व्यक्ति जोश से लबरेज होगा, उसके अंदर जुनून की सारी हदों को पार करने की क्षमता उमड़ रही होगी, पाने की तीव्रता ही उसे अपने परम तक पहुंचा सकती है। अक्सर हम प्रथम, दूसरों को प्यार करते हैं और सोचते हैं कि हमें इसकी जरूरत नहीं। लेकिन जब आप प्यार से परिपूर्ण नहीं होंगे तो किसी दूसरे को देंगे क्या।
आजकल जो प्रेम की परिभाषा व्यक्त होती है, वह प्रेम नहीं है। वो तो कई बार देखने में मात्र व्यापार से लगता है। एक दूसरे की जरूरतों का ध्यान रखो, या फिर अधिकार की भावना। प्रेम तो त्याग सिखाता है। प्रेम तो वह मंत्र है, जिसमें व्यक्ति स्वयं को भूल जाये। तू तू ना रहे, मैं मैं ना रहूँ बस एक दूजे में एक हो जाएं। #सूफी परम्परा में भी ईश्वर को हमेशा प्रेमी रूप में ही देखा गया है। और ईश्वर का दरवाजा केवल उन लोगों के लिए खुलता है, जो स्वयं को खो चुके हैं, भुला चुके हैं। उनके लिए सर्व जगत, प्रकृति, जीवजन्तु सबमें एक ही का निवास है।
एक शोध के मुताबिक प्यार भी रासायनिक प्रक्रिया से बंधा हुआ है। जब हम प्यार देते हैं तथा हमें प्यार मिलता है तो मष्तिष्क से लव हार्मोन्स (ऑक्सीटोसिन) प्रवाहित होते हैं, जो हमें तनाव से बचाते हैं, हृदय को सुरक्षित रखने में सहायक है, तथा एक आपसी बॉन्डिंग (विश्वास) बनता है। आपके अवचेतन मन में स्वयं से प्यार करने की प्रक्रिया से स्वयं को heal करने में मदद मिलती है।जब हम स्वयं की केयर करते हैं तो दूसरों की करने में भी समर्थ होते हैं। स्वयं से प्यार करने की योग्यता हमारी शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आपसी संबंधों को #enhance करती है। स्वयं से प्यार अपनी इच्छाशक्ति को दृढ़ता प्रदान करता है। इसलिए स्वयं से प्यार करना सीखिए। इसका अभिप्राय स्वार्थी होना तो कदापि नहीं है। love is the core of all healing.स्वयं से प्यार अभिव्यक्ति सिखाता है, बिना किसी स्वार्थ, शर्त हमें पोषण करने के लिए तत्पर कर सहयोगी बनाता है। इसमें ईगो (अहं) को दरकिनार करते हुए, गलतियों को स्वीकार करना सीखें। जब हम स्वयं से प्यार नहीं करते हमारा शरीर कष्ट पाता है। किसी बीमारी से भी घिर जाता है, या यों कहें वह तनाव में रहता है तथा खुश नहीं हो पाता।
Loving ourselves works miracles in our lives.
Louise Hay (लुइस हे)
I accept love and appreciate myself as I am. इसे रोजाना कई बार दोहराएं। amazing.
प्रेम एक सुंदर #अहसास है। प्रेम करना या होना मनुष्य का स्वभाव है। किसी भी चीज या व्यक्ति से जब मानसिक तरंगें मिल जाती हैं, तो प्रेम होता है। कभी संस्कार, कभी अतृप्त इच्छाओं की वजह से (पूर्वजन्म) भी सम्बंध होते हैं। ऐसा कई बार देखने में आता है कि कोई व्यक्ति अनजान होते हुए भी हमें बहुत ही अपना सा क्यों लगता है। शायद ये कोई मानसिक #तरंगें ही होती हैं।
स्वामी विवेकानंद जी ने कहा है, प्रेम विस्तार है, स्वार्थ संकुचन है। इसलिए प्रेम जीवन का सिद्धांत है वह जो प्रेम करता है जीता है। वह जो स्वार्थी है मर रहा है। इसलिए प्रेम के लिए प्रेम करो, क्योंकि जीने का यही एकमात्र सिद्धांत है। वैसे ही, जैसे जीने के लिए सांस लेते हैं।

शुक्रवार, 11 जनवरी 2019

मन की आंखें

सुनो बहू, क्या लाई हो__
शादी को अभी कुछ ही वक़्त हुआ है……। मायके से ससुराल वापसी पर….,  सासू मां और  संग सहेलियां पूछने लगती हैं अक्सर …. मायके गई थी  क्या  क्या लायी…। एक तो वैसे ही मायके से आकर मन वहीं के  गलियारों में  भटकता रहता है…..,उस पर सभी का बार बार पूछना, हो सकता है ससुराल के हिसाब से  सामान कम हो, लेकिन जो मैं अपने साथ लाई हूं उसे कैसे  दिखाऊं ???????? क्या दिलाया भाई ने, भाभी ने भी तो कुछ दिया ही होगा….. अब भाई के  स्नेह को कैसे दिखाऊँ ….. कैसे समझाऊं। भाभी के  लाड़ को कैसे तोल के बताऊँ …. दिन भर तुतलाती, बुआ बुआ कह कर मेरे पीछे भागने वाली प्यारी भतीजी, गोद में चढ़ने को आतुर, उस प्यार को किसे समझाऊं ??? ……… छोटी बहन जो ना जाने कब से मेरे आने का इंतजार कर रही थी!!!!!!!! अपने मन की बातें सुनाने को, मेरी सुनने को बेताब। मेरी नई नई साड़ियां पहन कर, रोजाना इतराती आइने के सामने खड़ी हो जाती है!!!!!!!! लेकिन ससुराल आते समय अपनी जेब खर्च के  बचाए  पैसों से, मेरे लिए नई ट्रेंड का ड्रेस रखना नहीं भूलती, कहती है, कोई नहीं, कहीं घूमने जाओ तो पहनना। उसे भी नहीं समझा पाती, कहां जाऊंगी मैं घूमने !!!!!!!, पर ये उसके प्यार का तरीका है।

और पापा, उनके तो सारे काम ही  पोस्टपोंड कर दिए जाते हैं, बस, पापा और मेरी बातें जैसे खत्म होने का नाम ही नहीं लेती हैं।  मां और  दादी कहती हैं,  चहकने दो इसे !!!!!!!!!!!, फिर ना जाने कब आएगी। घर पर  सन्नाटा अब टूटा है। उनका तो रसोई में से ही निकलना नहीं होता। आई तो मैं अकेली है हूं पर लगता है, घर में  त्यौहार चल रहा है। अब बताइए उस  जश्न,  खुशी की  पोटली को कहां से खोलकर दिखाऊं !!!!!!!!!!! उस के लिए  आंखें भी तो  मेरी वाली होनी चाहिए ना।  भौतिक सामान को उनकी बींधती आंखें। उफ़!!! अब परवाह करना छोड़ दिया है। उस प्यार को जब भी पैसे, उपहारों से तोलेंगे, इस  प्यार का रंग फीका पड़ जाएगा ….. स्नेह के धागों से बुनी चादर हमेशा मेरे सर पर बनी रहे, इससे ज्यादा मुझे कुछ चाहिए भी नहीं …… पीहर में आकर अपना  बचपन फिर से जीने आती हूँ मैं बस, !!!!!!! इस लेनदेन के चक्कर में तो मायके जाना भी  गुनाह सा लगता है ……….

भूल जाती हूँ तब जिंदगी की  थकान को … फिर से तरो ताज़ा होकर लौटती हूँ, नई  ऊर्जा के साथ, अपने  आशियाने में और ससुराल में सब, संग सहेलियां पूछती हैं क्या लाई दिखा ???????………. अब की बार सोच लिया है, कह दूंगी हां लाई तो बहुत कुछ हूं, पर वो आंखें भी तो होनी चाहिए, देखने के लिए। और वो आंखें मेरे पास हैं, उनसे मैं देख ही नहीं, उस प्यार की गरमाहट को  महसूस भी कर पाती हूं। वो सब उनको नहीं दिखा पाती, दिखाऊँ भी कैसे …. वो तो दिल की  तिजोरी में बन्द है ….. जब भी उदास होती हूं, खोल लेती हूं, उस तिजोरी के बन्द दरवाजे……. और हो जाती हूं, फिर से  तरोताजा…….

गुरुवार, 10 जनवरी 2019

बुद्धि तेरे रूप अनेक


✍️बुद्धि (अक्ल,समझ,विवेक) तेरे रूप अनेक___
सब की बुद्धि के बारे में क्या कहें, किसी की आध्यात्मिक, राजनीतिक, तार्किक, व्यापारिक, या सामाजिक तो कई लोगों में सामान्य बुद्धि का भी अभाव है। एक विशेष बात, जो ज्यादातर देखने में आ रही है, #कॉमनसेंस जो कि कई लोगों में बिलकुल कॉमन नहीं है। यह एक सत्य बात है। कम से कम आजकल तो यही देखने में आ रहा है, आज का युवा ही नहीं अधिकतर लोग, बड़े बड़े कार्य तो कर सकते हैं, तार्किक बुद्धि का प्रयोग कर, लेकिन छोटी बातें समझने में कमी होती जा रही है। #विज्ञान और तर्क से भरे लोगो ने दिल की आवाज को सुनना बंद कर दिया है। इनका हृदय धड़कता ही नहीं है, ऐसे लोग हृदय में नहीं #केवल #खोपड़ी में जी रहे हैं, केवल तर्क या कहें, अपने कुतर्कों को सही साबित करने में तत्पर। या यूं भी कह सकते हैं, कि #सूक्ष्म बुद्धि का अभाव है। मन के अंदर इतनी ऊहापोह मची हुई है, समझने की क्षमता ही विकसित नहीं हो सकती। उनसे पूछा जाए आप चाहते क्या हैं, उन्हें शायद खुद नहीं पता। एक #यंत्रवत जीवन जिए जा रहे हैं। रुकिए!!!! थोड़ा समय स्वयं को दीजिए। केवल कानों में प्लग लगा #ॐ का जाप सुनने से या दौड़ने से शांति अनुभव नहीं हो सकती, और ना ही कोई भी शारीरिक या मानसिक विकास हो पाएगा, ये बस एक नियमित (रूटीन) कार्य ही रहेगा। और ना ही घर में एक सुंदर सा मंदिर स्थापित कर देने से कुछ होने वाला है। ये सजावटी वस्तु बन कर रह जाएंगे, अगर आप कोशिश भी नहीं करते हैं। तो समय निकालिए, अपने लिए ताकि सोच सकें। ध्यान कीजिए, उतरिए अंतर्मन की गहराइयों में। महसूस करने की कोशिश कीजिए, सच तो ये है आप स्वयं भी नहीं करना चाहते कुछ।
#मुट्ठी भर बीज बिखेर दो, दिलों की जमीन पर,
बारिश का मौसम है, शायद अपनापन पनप जाए।