गुरुवार, 10 जनवरी 2019

बुद्धि तेरे रूप अनेक


✍️बुद्धि (अक्ल,समझ,विवेक) तेरे रूप अनेक___
सब की बुद्धि के बारे में क्या कहें, किसी की आध्यात्मिक, राजनीतिक, तार्किक, व्यापारिक, या सामाजिक तो कई लोगों में सामान्य बुद्धि का भी अभाव है। एक विशेष बात, जो ज्यादातर देखने में आ रही है, #कॉमनसेंस जो कि कई लोगों में बिलकुल कॉमन नहीं है। यह एक सत्य बात है। कम से कम आजकल तो यही देखने में आ रहा है, आज का युवा ही नहीं अधिकतर लोग, बड़े बड़े कार्य तो कर सकते हैं, तार्किक बुद्धि का प्रयोग कर, लेकिन छोटी बातें समझने में कमी होती जा रही है। #विज्ञान और तर्क से भरे लोगो ने दिल की आवाज को सुनना बंद कर दिया है। इनका हृदय धड़कता ही नहीं है, ऐसे लोग हृदय में नहीं #केवल #खोपड़ी में जी रहे हैं, केवल तर्क या कहें, अपने कुतर्कों को सही साबित करने में तत्पर। या यूं भी कह सकते हैं, कि #सूक्ष्म बुद्धि का अभाव है। मन के अंदर इतनी ऊहापोह मची हुई है, समझने की क्षमता ही विकसित नहीं हो सकती। उनसे पूछा जाए आप चाहते क्या हैं, उन्हें शायद खुद नहीं पता। एक #यंत्रवत जीवन जिए जा रहे हैं। रुकिए!!!! थोड़ा समय स्वयं को दीजिए। केवल कानों में प्लग लगा #ॐ का जाप सुनने से या दौड़ने से शांति अनुभव नहीं हो सकती, और ना ही कोई भी शारीरिक या मानसिक विकास हो पाएगा, ये बस एक नियमित (रूटीन) कार्य ही रहेगा। और ना ही घर में एक सुंदर सा मंदिर स्थापित कर देने से कुछ होने वाला है। ये सजावटी वस्तु बन कर रह जाएंगे, अगर आप कोशिश भी नहीं करते हैं। तो समय निकालिए, अपने लिए ताकि सोच सकें। ध्यान कीजिए, उतरिए अंतर्मन की गहराइयों में। महसूस करने की कोशिश कीजिए, सच तो ये है आप स्वयं भी नहीं करना चाहते कुछ।
#मुट्ठी भर बीज बिखेर दो, दिलों की जमीन पर,
बारिश का मौसम है, शायद अपनापन पनप जाए।

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