शनिवार, 26 जनवरी 2019

विश्वास और आस्था


✍️विश्वास और आस्था___
#विश्वास दृढ़ हो तो ईशकृपा की प्रत्यक्ष अनुभूति संभव है, जोकि धीरे धीरे आस्था में परिवर्तित हो जाती है। मैं सूत्रधार! आज एक अपने मित्र के यहां ड्राइंग रूम में पहुंच गया हूं, उनके साथ एक और मित्र बैठे हुए हैं, दोनों बातें कर रहे हैं। आज वह अपने जीवन की एक सत्य घटना बता रहे थे #विश्वास को लेकर, कहते भी हैं मानो तो देव, नहीं तो पत्थर। किस प्रकार उपवास, रीति रिवाज, धर्म, गीता पाठ आदि में उनकी कोई रुचि या विश्वास नहीं था। लेकिन अब इस चीज को लेकर उनका #विश्वास बहुत कुछ कह रहा है। वह ऐसे ही अपने बारे में बता रहे थे, कि किस तरह दूसरे धर्म का होते हुए भी अब गीतापठन में अपार श्रद्धा एवं विश्वास है। गीता तो सब धर्मों का, जीवन जीने का #सार है। उन्होंने बताया कि एक बार वे यात्रा में थे, और उसी कोच में एक हरेराम हरे कृष्ण समूह के कुछ लोग अपनी किताबों, को बेचने, प्रचार करने के लिए आए। वो मित्र महोदय भी #टाइमपास, बस केवल मन बहलाने के लिए उनसे वार्तालाप करने लगे। और कहा, अच्छा तुम जब तक और पुस्तकें बेच कर आइए, मैं तब तक थोड़ी निगाह मार लेता हूं, उनको तीन चार पेज पढ़ने पर अच्छा लगा, और उन्होंने भगवतगीता को खरीद लिया। गीता अब उनके जीवन का हिस्सा बन चुकी है। #भगवद्गीता में आपके सारे सवालों के जवाब हैं। किस तरह उन्होंने कृष्ण द्वारा कही गई बात को अपने जीवन में सार्थक पाया। ( सब कुछ मेरे ऊपर छोड़ दो, मेरे शरणागत होकर केवल कर्म करते रहो। मुझ पर भरोसा रखो। आपके सारे समाधान पूर्ण होंगे) उनकी बेटी की शादी होने वाली थी, और उनके पास धन की व्यवस्था नहीं हो पा रही थी। शादी के दिन नजदीक आने पर, एक दिन रात्रि सोते समय, उनकी पत्नी ने कहा_ बेटी की खरीददारी के लिए कुछ धन चाहिए। मित्र अंदर ही अंदर बहुत दुखी थे, क्या करूं? फिर भी उन्होंने प्रभु पर विश्वास करते हुए कहा, अभी रात्रि में ही चाहिए क्या? पत्नी ने भी कहा ठीक है, आपको तो अपने ठाकुर जी पर भरोसा है, लेकिन रात में दुकान तो नहीं खुलेंगी सो आप मुझे  कल सुबह दे देना। ठीक है, यही उचित होगा, अभी रात्रि में तो वैसे भी क्या करोगी, सुबह दे दूंगा। पूरी रात चिंता में रहा लेकिन प्रभु पर भरोसा भी कम न था। सुबह होने पर कहा, अच्छा बैंक से निकलवा कर लाता हूं। प्रातः उठकर मित्र चल दिए, बैंक में जमा पूंजी तो कुछ थी नहीं, क्या करूं। लेकिन पता नहीं क्यों उन मित्र के  कथनानुसर, उनको प्रभु पर पूरा विश्वास था, फिर भी पत्नी को आश्वस्त कर कहा, ऐसा है तुम दुकान पर पहुंचो, पैसे वहीं भेजता हूं। पत्नी ने कहा ठीक है। क्या आपने कभी ऐसी विषम #परिस्थितियों  का सामना किया है? इसी ऊहापोह में मित्र अपने एक दोस्त की दुकान पर चाय पीने पहुंचे। वहां दोस्त ने पूछा और कैसी तैयारी चल रही हैं शादी की। उसे क्या बताता, कहा सब ठीक चल रहा है। लेकिन उसी समय #अचानक से दोस्त ने दो लाख रुपए देकर कहा, ये तो रखो! पुराना हिसाब से निकल रहा है। मेरे मित्र की आंखों में #आंसू आ गए, इसे कहते हैं प्रभु पर #विश्वास! जहां मेरा मित्र सोच रहा था, एक पैसा नहीं है, क्या होगा, पत्नी को क्या जवाब दूंगा???? और प्रभु ने सारी समस्या दूर कर दी, शादी के लिए भी पता नहीं कहां से पैसा आया, कैसे आया, शादी भी हो गई, लेकिन उन्होंने अपना विश्वास प्रभु पर तनिक भी कम नहीं होने दिया। क्योंकि उन्हें भरोसा था, जब प्रभु #नरसी का भात भर सकते हैं, तो मेरा काम भी संभालेंगे। और तब से उनका विश्वास,दृढ़ से दृढ़तर ही होता गया है। और वे इस बात को साझा करने में भी नहीं चूकते, कि एक बार आप #गीता और प्रभु शरण के #महत्व को समझें तो सही।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें