गुरुवार, 31 जनवरी 2019

पेरेंटिंग, एक पत्र बच्चों व अभिभावकों के लिए



✍️
#एक पत्र,बच्चों व अभिभावकों के लिए_______
#प्यारे बच्चों, आजकल इम्तिहान शुरू हो चुके हैं और आप सब उन्हीं तैयारियों में लगे हुए हैं। कोई भी #परीक्षा ऐसी नहीं है जो हमें हमारी जिंदगी से दूर कर सके। अगर आप कभी भी #तनाव में या अपने आप को #निराशा में घिरा हुआ पाते हैं, तो अपने #मातापिता से, अपने किसी मित्र से, या किसी भी अपने प्रिय से शिक्षक से, परिवारीजन से या जिस पर भी आप भरोसा कर सकते हों, #नजदीकी हो उससे बातें करें, #शेयर करें। आप के कुछ वर्षों का आकलन आपकी पूरी जिंदगी का #निर्णायक, व जीवन से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं हो सकता। जीवन में बहुत मौके, अवसर मिलेंगे। यह सही है, कई बार गलतियां भी हो जाती हैं, लेकिन उन को सुधारा जा सकता है। और सभी #माता-#पिताओं से भी #अनुरोध है कि वे अपने बच्चों पर अपनी #अनावश्यक इच्छाएं और अपने सपने #ना #थोपें। उन्हें आपका #साथ चाहिए,लेकिन अपनी जिंदगी जीने की, सोचने की स्वतंत्रता दें, मार्ग दर्शन अवश्य करें, यह उचित है लेकिन थोपें नहीं। प्रभु ने एक नायाब कृति आपके हाथों में सौंपी है, उसका उचित ख्याल रखें, हस्तक्षेप नहीं। हर बच्चे का अपना एक स्टेमिना (क्षमता) होता है ,रुचि होती है। जब चारों ओर से दबाव होता है तो वह घबराकर पलायन करने की सोचता है कृपया ऐसा ना होने दें। उनका पहले से ही सहयोग करें, तभी तो वह कुछ कर पाएगा।
#तनाव से निकलने के लिए #ध्यान, प्राणायाम व #योग को स्थान अवश्य दें। भरपूर नींद, उचित #खानपान,  electronic gadgets से दूरी अपनों का साथ आपको नई ऊर्जा देगा। पानी खूब पिएं। परीक्षाओं के लिए #शुभकामनाएं!!!!!!!!!

बुधवार, 30 जनवरी 2019

आ गया बसंत!


✍️लो आ गया बसंत!
#सतरंगी, इंद्रधनुषों से
घिरी हुई हूं मैं,  
#जब से तुमने,
मुझे मेरे नाम से पुकारा है......

मैं #बसंत हुई,
महक रही हूं,
#जब से तुमने,
मेरे हाथों को छुआ है......

#पतंगों सा उड़ा मन,
खोई सुध बुध,
#जब से देखा तुमको,
कैसा ये मन बावरा है......

सुनी #सांसों की धड़कन,
#जब से तुम्हारी,
चेहरा सुर्ख गुलाल,
मन फाल्गुन हुआ है......

#ख्वाबों की दुनिया,
#जब से सजाई थी तुमने,
सारा आकाश जगमग,
दिल दिवाली हो रहा है......
                          

शनिवार, 26 जनवरी 2019

विश्वास और आस्था


✍️विश्वास और आस्था___
#विश्वास दृढ़ हो तो ईशकृपा की प्रत्यक्ष अनुभूति संभव है, जोकि धीरे धीरे आस्था में परिवर्तित हो जाती है। मैं सूत्रधार! आज एक अपने मित्र के यहां ड्राइंग रूम में पहुंच गया हूं, उनके साथ एक और मित्र बैठे हुए हैं, दोनों बातें कर रहे हैं। आज वह अपने जीवन की एक सत्य घटना बता रहे थे #विश्वास को लेकर, कहते भी हैं मानो तो देव, नहीं तो पत्थर। किस प्रकार उपवास, रीति रिवाज, धर्म, गीता पाठ आदि में उनकी कोई रुचि या विश्वास नहीं था। लेकिन अब इस चीज को लेकर उनका #विश्वास बहुत कुछ कह रहा है। वह ऐसे ही अपने बारे में बता रहे थे, कि किस तरह दूसरे धर्म का होते हुए भी अब गीतापठन में अपार श्रद्धा एवं विश्वास है। गीता तो सब धर्मों का, जीवन जीने का #सार है। उन्होंने बताया कि एक बार वे यात्रा में थे, और उसी कोच में एक हरेराम हरे कृष्ण समूह के कुछ लोग अपनी किताबों, को बेचने, प्रचार करने के लिए आए। वो मित्र महोदय भी #टाइमपास, बस केवल मन बहलाने के लिए उनसे वार्तालाप करने लगे। और कहा, अच्छा तुम जब तक और पुस्तकें बेच कर आइए, मैं तब तक थोड़ी निगाह मार लेता हूं, उनको तीन चार पेज पढ़ने पर अच्छा लगा, और उन्होंने भगवतगीता को खरीद लिया। गीता अब उनके जीवन का हिस्सा बन चुकी है। #भगवद्गीता में आपके सारे सवालों के जवाब हैं। किस तरह उन्होंने कृष्ण द्वारा कही गई बात को अपने जीवन में सार्थक पाया। ( सब कुछ मेरे ऊपर छोड़ दो, मेरे शरणागत होकर केवल कर्म करते रहो। मुझ पर भरोसा रखो। आपके सारे समाधान पूर्ण होंगे) उनकी बेटी की शादी होने वाली थी, और उनके पास धन की व्यवस्था नहीं हो पा रही थी। शादी के दिन नजदीक आने पर, एक दिन रात्रि सोते समय, उनकी पत्नी ने कहा_ बेटी की खरीददारी के लिए कुछ धन चाहिए। मित्र अंदर ही अंदर बहुत दुखी थे, क्या करूं? फिर भी उन्होंने प्रभु पर विश्वास करते हुए कहा, अभी रात्रि में ही चाहिए क्या? पत्नी ने भी कहा ठीक है, आपको तो अपने ठाकुर जी पर भरोसा है, लेकिन रात में दुकान तो नहीं खुलेंगी सो आप मुझे  कल सुबह दे देना। ठीक है, यही उचित होगा, अभी रात्रि में तो वैसे भी क्या करोगी, सुबह दे दूंगा। पूरी रात चिंता में रहा लेकिन प्रभु पर भरोसा भी कम न था। सुबह होने पर कहा, अच्छा बैंक से निकलवा कर लाता हूं। प्रातः उठकर मित्र चल दिए, बैंक में जमा पूंजी तो कुछ थी नहीं, क्या करूं। लेकिन पता नहीं क्यों उन मित्र के  कथनानुसर, उनको प्रभु पर पूरा विश्वास था, फिर भी पत्नी को आश्वस्त कर कहा, ऐसा है तुम दुकान पर पहुंचो, पैसे वहीं भेजता हूं। पत्नी ने कहा ठीक है। क्या आपने कभी ऐसी विषम #परिस्थितियों  का सामना किया है? इसी ऊहापोह में मित्र अपने एक दोस्त की दुकान पर चाय पीने पहुंचे। वहां दोस्त ने पूछा और कैसी तैयारी चल रही हैं शादी की। उसे क्या बताता, कहा सब ठीक चल रहा है। लेकिन उसी समय #अचानक से दोस्त ने दो लाख रुपए देकर कहा, ये तो रखो! पुराना हिसाब से निकल रहा है। मेरे मित्र की आंखों में #आंसू आ गए, इसे कहते हैं प्रभु पर #विश्वास! जहां मेरा मित्र सोच रहा था, एक पैसा नहीं है, क्या होगा, पत्नी को क्या जवाब दूंगा???? और प्रभु ने सारी समस्या दूर कर दी, शादी के लिए भी पता नहीं कहां से पैसा आया, कैसे आया, शादी भी हो गई, लेकिन उन्होंने अपना विश्वास प्रभु पर तनिक भी कम नहीं होने दिया। क्योंकि उन्हें भरोसा था, जब प्रभु #नरसी का भात भर सकते हैं, तो मेरा काम भी संभालेंगे। और तब से उनका विश्वास,दृढ़ से दृढ़तर ही होता गया है। और वे इस बात को साझा करने में भी नहीं चूकते, कि एक बार आप #गीता और प्रभु शरण के #महत्व को समझें तो सही।

सैनिकों के लिए



✍️
शहीद होने के लिए,
इजाजत!
किसी से ली नहीं जाती।
भरी जवानी में,
वतन से मोहब्बत!
पूछकर की नहीं जाती।
ये सौभाग्य!
मिलता किसी किसी को,
जान ऐसे ही गंवाई नहीं जाती।
कर्जदार है देश!
उन सैनिकों का,
जिसकी कीमत, चुकाई नहीं जाती।
महफूज हैं!
जिनकी बदौलत,
परिजनों से नजरें मिलाई नहीं जाती।



शुक्रवार, 25 जनवरी 2019

दिल की आत्म कथा

#दिल की आत्मकथा ❤️
#दिल का मामला है, कोई दिल्लगी नहीं। जरा ध्यान लगा कर पढ़िए। आज मैं (❤️दिल) आपसे कुछ #मन की बातें करना चाहता हूं। मैं हमेशा आप का भला चाहने की कोशिश में दिन रात बिना रुके अपना कार्य (धड़कता, खून की पम्पिंग) बिना किसी शिकायत के करता हूं। पता है मैं कितनी मेहनत करता हूं, एक महीने में 38 हजार लीटर के 5.3 टैंकर भर जाएं, इतना रक्त पम्प करता हूं। एक मिनट में हृदय जितना रक्त पम्प करता है उसे कार्डिएक आउटपुट कहते हैं।इससे सेहत का आकलन किया जा सकता है।ये आउटपुट जितना अच्छा उतनी सेहत अच्छी।
#लेकिन क्या कभी आप भी मेरे बारे में सोचते हैं, मुझे क्या अच्छा लगता है, मैं क्या चाहता हूं, मेरे स्वास्थ्य के लिए क्या #उचित है। कई बार मैं आपको संकेत भी देता हूं, फिर भी आप नहीं मानते।आप बस अपनी मनमानी करते हैं। जिस दिन से आपने जन्म लिया है #मैं ❤️ अनवरत चले जा रहा हूं, अगर आप की हरकतों की वजह से मुझे भी गुस्सा आ गया तो, you know आप तो गए काम से। मजाक नहीं है ये, बस अब आपको  मेरी सारी बातें ध्यान से सुननी भी होंगी और माननी भी होंगी। हमेशा सकारात्मक रहें।
#जब ❤️मुझे परेशानी होती है, इसका सबसे सामान्य लक्षण छाती के बीच में तेज #दर्द होना है, जो कि शरीर के बाईं ओर होता है।खासतौर से #बाएं हाथ, कमर और दोनों कंधों के बीच में इसका दर्द होता है। व्यक्ति को बहुत ज्यादा #पसीना आने लगता है।अगर कोई मधुमेह से पीड़ित है या वैसे भी कई बार कुछ सेकेंड के लिए आंखों के सामने #अंधेरा छा जाता है, चक्कर आ सकते हैं, हो सकता है पसीने में भीग जाओ,#सांस लेने में तकलीफ, कुछ समय के लिए समझ खो देना, #थकान, उबकाई की फीलिंग भी एक लक्षण है। कई बार आप गैस और पाचन की परेशानी तथा हृदय की बीमारी में #कन्फ्यूज हो जाते हैं।अतः प्लीज तुरंत चिकित्सीय सहायता लें।
#अन्य देशों की तुलना में भारत में ❤️मेरे रोगी ज्यादा हैं।क्या करूँ आप काम ही ऐसे करते हैं, कोलेस्ट्रॉल का सामान्य से अधिक बढ़ना,जिससे रक्तवाहिनी धमनियों में रुकावट पैदा होती है और मेरे बीमार होने का खतरा दो तीन गुना बढ़ जाता है।और ये जो आप #परिश्रम, #मेहनत या #व्यायाम  बिल्कुल न करके आलसियों का जीवन जीते हो ना, ये तो मुझे बिल्कुल #गवारा नहीं। मधुमेह, ब्लडप्रेशर बढ़ा हुआ रहना, #गलत तरीके से आहार विहार, शराब, सिगरेट तो मुझे नागवार लगते हैं।अर्थात ये सब मुझे बीमार करने के तरीके हैं। सेहत को नजरअंदाज कर स्वाद के लालच में फास्टफूड जंकफूड के दीवाने हो कर खाते हो, उससे #कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है, जो ❤️मेरे लिए नुकसानदेह है। वैसे एक बड़ा #कारण #आनुवंशिक भी है।
#अगर आप मुझे स्वस्थ रखने चाहते हो तो नियमित #व्यायाम करिए। सूर्योदय से पहले उठकर 2-3 किमी.तेज चाल में चलिये। लगभग 45 मिनट की वॉक अवश्य करें। नहीं तो 20 मिनट की ब्रिस्क वॉक ही कर लीजिए। #संतुलित आहार का कम घी, तेल चिकनाई रहित, भारी भोजन नहीं, नमक, चीनी पर कंट्रोल रखें।मोटापा न बढ़ने दें। तनाव रहित, चिंता से बच कर रहें।टेंशन मुझे बिल्कुल पसंद नहीं। परिवार का साथ और हंसने से मैं❤️ स्वस्थ रहता हूं। आजकल भोगविलास की जीवनशैली कम समय में अधिक सुखसुविधाएं कमाना चाहते हैं, औेर इस चक्कर में ना तो अच्छी तरह भोजन कर पाते हो, ना ही सोने का कोई समय है। आलस्य, उन्माद, देर रात पार्टी की वजह भी दिनचर्या बिगाड़ कर ❤️मेरा स्वास्थ्य खराब करती है। तथा ❤️मुझे रोगी बनाने की सम्भावना बढ़ाती है।#इसलिय नियमित दिनचर्या अपनाकर स्वस्थ रहो। early to bed early to rise, makes a man healthy wealthy and wise.अगर मुझे स्वस्थ रखना चाहते हो,तो मेरी ❤ ️रक्षा के लिए #पवनमुक्तासन, #ध्यान, #सर्वांगासन, #प्राणायाम तथा सुबह की #सैर आवश्यक है। 30 मिनट की कसरत ❤️ मेरी बीमारी का खतरा 50% #कम कर देता है। भरपूर नींदलें, अन्यथा #स्ट्रेस की वजह से ❤️मेरे अटैक का खतरा बढ़ जाता है। So #prevention is better than cure.
#लेकिन फिर भी मुझ ❤️ पर अटैक होने पर अपने तरीकों से निपटने की बजाय तुरंत #मेडिकल #हैल्प के लिए कॉल करें। या नजदीकी चिकित्सक के पास ले जांय। चिकित्सा सुविधा मिलने तक मुझे पीड़ित अवस्था में #सीधा लिटा दें। कपड़ों को ढ़ीला कर दें। हवा आने की जगह दें। मुझे❤️ #सफोकेशन पसंद नहीं है। गहरी सांस लेने दें। ये तो थी दिल❤️ की बात, इस पर न जाने कितने गाने लिख गए, कितने कुर्बान हो गए। अन्यथा फिर गाते रहना, इस दिल ❤️ के टुकड़े हजार हुए कोई यहां गिरा कोई वहां गिरा। और इस असल जिंदगी की पिक्चर में फिर कोई #समेटने नहीं आएगा, इसलिए इस दिल को सहेज कर रखिए। वरना गाना पड़ेगा ❤️दिल के अरमां आसूंओं में बह गए। ❤️दिल तो है दिल, दिल का ऐतबार क्या कीजिए, आ गया जो किसी पे... दिल❤️ तो बच्चा है जी! ❤️ love u दिल .



गुरुवार, 24 जनवरी 2019

पेरेंटिंग,एक पत्र युवा बच्चों के लिए


#पेरेंटिंग
#एक पत्र, युवा बच्चों के लिए______
जिसने भी ऊंचाइयां छूई हैं, उसमें परिवार का सहयोग, समयानुकुलता,भाग्य तो है ही, लेकिन सबसे #अहम है, आपके द्वारा लिए गए #निर्णय।
जीवन में हमेशा कुछ पान पाने की चाहत में हम भागते ही रहते हैं, उससे आगे... उससे आगे... उससे ज्यादा... और ज्यादा... और अपने जीवन का अधिकांश समय हम इसी थकान में लगा देते हैं। क्या कभी हमने सोचा है आखिर यह भागम-भाग किस लिए यह थकान किस लिए????? ज्यादातर लोग बस जिए जा रहे हैं।
#दुनिया के अधिकतर लोगों को अपनी जरूरतें पता होती हैं, लेकिन फिर भी वह जीना भूलकर, और पाने की चाहत में अपने को उलझाए रहता है, यह भी सही है कि कुछ चीजें जरूरी भी होती हैं, लेकिन फिर भी अंधी दौड़, का क्या फायदा????? और कई बार, जिंदगी की दौड़ कब पूरी होने के करीब होती है, और आपके पास समय नहीं होता। उस समय सिवाय अफसोस के कुछ नहीं!!!यहां तक कि आप अपने लिए भी समय नहीं निकाल पाए, कुछ बेहतर कर सकते थे, लेकिन नहीं कर सके। पीछे छूटे लोग आपको याद करें ना करें, आप अपने आप में भी तो संतुष्ट नहीं हो पाए। जिम्मेदार कौन है इन सब चीजों का?? अच्छा होगा समय रहते आप समझ जाएं, सांस थम जाने से पहले, कोई काश!!!!!!! कहने का अफसोस ना करें।
अपने ऊपर #डर (लोग क्या कहेंगे) को हावी ना होने दें। आप जितना इससे डरेंगे, लोग आपके ऊपर हावी होना जारी रखेंगे। उनको खेलने के लिए एक कठपुतली जो मिल जाती है। दूसरों की सोच की परवाह,आपको डरपोक, पंगु, मतिहीन कर देती है।आप दूसरों के हाथ का खिलौना बन कर, कितनी ऊंचाइयां हासिल कर सकते हैं, सोचिए!! आंखें बंद कर, मन की आवाज सुनें, उसे प्राथमिकता दें। सफलता मिले न मिले, जीने का जज़्बा, उत्साह बना रहेगा।
जो कार्य आपको पसंद नहीं उसमें अपनी #एनर्जी बर्बाद नहीं करें, उसमें सफलता संशययुक्त है, मिल भी सकती है, नहीं भी। क्योंकि उस कार्य में आप अपना पूरा #जुनून नहीं दे पाएंगे, इसलिए आप सफलता चाहते हैं, तो अपनी #पसंद का खयाल अवश्य रखें, और फिर जुट जाएं, पूर्ण धैर्य, लगन, समर्पण के साथ, सफलता निश्चित है, क्योंकि आप पूरे #जुनून के साथ करेंगे। सफलता नहीं भी मिली, मन #संतुष्ट होगा। आपने अपना बेहतर दिया, सपनों को पूरा करने के लिए, आगे प्रभु इच्छा।
#विवेकानंद हों, योगानंद जी, या अपने प्रधानमंत्री मोदी जी हों, या ऐसे ही और भी बहुत से व्यक्ति। पढ़ने का मतलब पैसा कमाने की मशीन बनना नहीं है। ज्ञानार्जन, स्व की खोज में सहायक है। मुझे अपने परिचितों में, एक ऐसे बच्चे का पता लगा, जो अपने माता का इकलौता पुत्र भी है, जिसने आई आई टी रेंकर होकर,अच्छे जॉब के बावजूद, आध्यात्मिक पथ को चुना। ये उसका चुना हुआ निर्णय था।स्व
का आनंद किसी पक्षी से पूछिए जो उड़ान भरता है खुले आसमान में।अपनी पसंद का करने में, #स्वतंत्रता और #निरंकुशता के बारीक अंतर को समझें। #स्वविवेक नितांत आवश्यक है। स्वस्थ जीवन शैली अपनाकर जीवन को सही दिशा दें। सही फैसले लेकर स्वस्थ जीवन जिएं, समय फिसलता जा रहा है। बाद में पछताने से अच्छा होगा, समय रहते जीवन पर नियंत्रण के साथ, उचित फैसले लें। और जो कुछ भी हो, उसकी जिम्मेदारी भी लेना सीखें। जिम्मेदारी की भावना आपको  #सफलता की ओर अग्रसर करती है, वहीं इससे बचना #पलायन सिखाती है।
#जीवन एक #यात्रा है, और हम सब  सहयात्री। सबसे सहयोग, प्यार, मित्रता बना कर रखें, लेकिन कोई भी किसी के साथ हमेशा के लिए नहीं होता, इसका ध्यान रखें।
#अफसोसों के बक्से के बोझ तले घुट कर मरने से अच्छा होगा समय पर सही निर्णय लेने की क्षमता विकसित की जाए। स्वास्थ्य हो या कैरियर, भविष्य को ध्यान रखें। अनिर्णय, या गलत निर्णय के बाद, आप हालात से समझौता करने वाली जिंदगी जीना चाहेंगे ????? शायद नहीं। तो फिर चुनिए भी और सुनिए भी अपने मन की आवाज़। और इसके लिए कभी कोई देरी नहीं हुई है, जब जागो तब सवेरा!!!
#जिंदगी को #अर्थपूर्ण बनाने की कोशिश करें, भरपूर आनंद के साथ जिओ और जीने दो। ताकि जब हम अपनी यात्रा पूरी कर रहे हों तो कोई काश!!! बाकी न  रहे। और लोगों के दिलों में भी एक हस्ताक्षर तो छोड़ ही जाएं। सब सोचने पर मजबूर हो जाएं, बंदे में कुछ तो बात थी। किसी ने क्या खूब लिखा है____
#कर्म करे किस्मत बने, जीवन का ये मर्म।
#प्राणी तेरे भाग्य में, तेरा अपना कर्म।।

मंगलवार, 22 जनवरी 2019

एक पत्र,हेलीकॉप्टर पैरेंट्स के लिए

(पेरेंटिंग)एक पत्र, हेलीकॉप्टर पेरेंट्स के लिए__
परवरिश को लेकर लिखना,मुझे बहुत अच्छा लगता है। सभी पैरेंट्स अपने बच्चों की बेहतर परवरिश करने की कोशिश करते हैं। लेकिन फिर भी कुछ ऐसा हो जाता है, कि उनकी परवरिश ही बच्चों के व्यक्तित्व निर्माण में #बाधक बनने लगती है। आजकल के माता-पिता व बच्चों के हालात देखकर, शायद किसी की कुछ समझ में आ सके। पैरेंट्स, अति #नियंत्रण से बचें। यह बच्चों के और मुख्यत उनके अभिभावकों की प्रेरणा के लिए है, ताकि वह अपनी आदतों से बाज आ सकें। #अनावश्यक पकड़, बच्चों के व्यक्तित्व विकास पर बुरा असर डालती है। कई बार बच्चे social phobia के शिकार भी हो सकते हैं। जीवन में किसी भी तरह का दबाव आने पर, उनके अंदर डर और घबराहट बढ़ जाती है। और ऐसे बच्चे झूठ बोलने की और बातों को छुपाने की आदत बन जाती है। एक उम्र के बाद, बच्चों को अपने #इमोशनल #चंगुल से रिहा कीजिए। अपनी पकड़ ढीली कर, उन्हें भी अपनी जिंदगी जीने, निर्णय लेने का अधिकार दीजिए। स्वतंत्रता के बिना जीवन ऐसे है, जैसे आत्मा के बिना शरीर। निर्णय लेने की #क्षमता ही उनकी #उन्नति का मार्ग प्रशस्त करेगी। स्वतंत्रता, आजादी, खुली सांस लेकर ही उन्नति संभव है। कहीं ऐसा ना हो,आपकी अनावश्यक #दबाव से बच्चे अपना आत्मविश्वास ही खोने लगें। जरूरत के अनुसार बच्चों की मदद करें, लेकिन अनावश्यक हस्तक्षेप नहीं।
लेबनानी कवि खलील जिब्रान की एक खूबसूरत कविता है:-
तुम्हारे बच्चे, तुम्हारे नहीं हैं।
वह खुद जीवन की लालसा के बेटे और बेटियां हैं।
वह आए हैं तुम्हारे जरिए,
लेकिन तुममें से नहीं आये,
और, हालांकि वह हैं तुम्हारे साथ,
लेकिन वह नहीं है तुम्हारे!!!!!!

रविवार, 20 जनवरी 2019

पेरेंटिंग


✍️ पेरेंटिंग
#सफलता और #नियमित #अभ्यास ---------
आजकल बच्चे पढ़ाई,कैरियर को लेकर बहुत जल्दी तनाव में आजाते हैं। #स्मरण रहे,#सफलता के लिए #नियमित #अभ्यास जरूरी है। #अच्छी चीजें देर से #असर करती हैं। कई बार देखने में आता है, कि माता पिता या गुरुजनों द्वारा #प्रेरित किये जाने के #बावजूद भी बच्चे #नियमित व्यायाम, खेलना,  अच्छा आहार या पढ़ाई नहीं करना चाहते। इसके लिए आप #जिम्मेदार #नहीं हैं, जिम्मेदार है #न्यूटन का #लॉ ऑफ #इनर्सिया। जिसमें उन्होंने साबित किया था कि #जो चीज जहां पड़ी है, #वहीं #पड़ी रहना #चाहती है। #बचपन इस #नियम से जल्दी ही प्रभावित होता है। बच्चे हर गतिविधि का #इंस्टैंट तुरंत #फायदा तलाशते हैं, लेकिन अच्छी चीजें, बातें  #देर से #असर करती हैं। जबकि #बुरी चीजें बेहद जल्दी प्रभाव दिखाने लगती हैं। इसीलिए बच्चों को चाहिए कि प्रयास नियमित जारी रखें, ताकि उसका दूरगामी अच्छा परिणाम (फायदा) मिल सके। माता पिता को भी विशेष धैर्य की आवश्यकता है। इस उम्र में बच्चे कई बार आदेश सुनना पसंद ही नहीं करते, और पैरेंट्स अपनी बात मनवाने पर अड़ियल रवैया, क्रोध भी अपना लेते हैं, जोकि उचित नहीं है। इसलिए बिना सख्ती किए, आपके आचरण द्वारा, बच्चों को स्व अनुशासन से, नियमित अभ्यास के लिए प्रेरित होने दें। अन्यथा बच्चों और बड़ों में क्या फर्क रहेगा। यह बच्चों पर ही नहीं किसी भी क्षेत्र में ज्ञान पिपासुओं के लिए, योगियों के लिए, या स्वयं को पूर्णता के सुखद अनुभूति चाहनेवालों पर लागू है। कहते भी हैं ना ------
करत करत #अभ्यास के जड़मति होत सुजान।
रसरी आवत जात पे सिल पर परत निसान।।
If you #practice, you will experience,
And that #experience will #guide you.

शनिवार, 19 जनवरी 2019

सारी जन्नतें मेरे साथ हों..


✍️सारी जन्नतें तेरे साथ हों...

इंतजार इश्क का,
सबसे खूबसूरत सजा,
और मिलन,
तेरी यादों का,
दिल में बहता समंदर।

इस सर्द चांदनी रात,
बस मैं, और तुम!
तेरी गर्म हथेलियों के बीच,
उग आया जैसे,
आशा का नन्हा सा पौधा।

नर्म मुलायम पत्तियों के नीचे,
था असीम,
नए जीवन का आधार,
और था जैसे,
जीवनीशक्ति का संचार।

जड़ हुए लब,
खामोश लफ्ज हैं,
छलके,
मिलन की खुशी,
झलके, अनकहे अर्थ हैं।

तेरी आंखों में ही देखूं,
नित नई आस,
नया सवेरा,
चलूं तेरे साथ सदा,
पथ पर जीवनसंगिनी बन।

जीवन की जब,
यह सांझ ढले,
मैं, मैं ना रहूं!
जो भी है मुझमें,
सब तुझमें समा जाऊं।

बस सारी जन्नतें तेरे साथ हों..................






मंगलवार, 15 जनवरी 2019

पेरेंटिंग

✍️
#बच्चों को #मोबाइल देना एक ग्राम #कोकेन देने के #बराबर है__
           ___मैंडी सालगिरी, नामी एडिक्शन थैरेपिस्ट
अगर बच्चों को मोबाइल दे रहे हैं, तो आपको इसके खतरे भी पता होने चाहिए। दुनिया के वैज्ञानिक इस पर क्या विचार रखते हैं,आइए यह जानते हैं।
#जो छोटे बच्चे मोबाइल से खेलते हैं वह देर से बोलना शुरू करते हैं__
                                ___टाइम मैगजीन की रिपोर्ट
#लंबे समय तक मोबाइल के इस्तेमाल से #ब्रेन ट्यूमर का खतरा__
                                          ___एम्स का अध्ययन
#मोबाइल,बच्चों में आंखों में सूखापन की बड़ी वजह है__
                               ___दक्षिण कोरियाई वैज्ञानिक
मोबाइल के #लत छुड़ाने का समाधान, केवल माता पिता यानी कि आप ही कर सकते हैं, बच्चों के #व्यक्तित्व विकास के लिए, उन्हें मोबाइल देने के बजाय उन को अपना समय दीजिए। मोबाइल घरों में दीवार खड़ी कर रहा है। आपसी #संवाद समाप्त हो रहा है। कई घरों में तो यह स्थति हो जाती है कि मातापिता या कोई अन्य कुछ भी पूछे तो वह जवाब देने से बेहतर अपने मोबाइल में घुसे रहना पसंद करते हैं। इस तरह बच्चे, संस्कारों को भी धता बता रहे हैं। एक शोध के मुताबिक बच्चों में, गैजेट्स के बजाय पुराने पारम्परिक खेलों से बेहतरीन व ज्यादा समझदारी सीखने में आती है।