सोमवार, 14 नवंबर 2022

कला और आध्यात्म, महाकाल की नगरी उज्जैन

कला और आध्यात्म का अद्भुत संगम/ महाकाल लोक कॉरिडोर/धार्मिक नगरी उज्जैन यात्रा संस्मरण __
प्रथम दिन भाग __ १
शिव, सनातन धर्म, संस्कृति के बारे में जितना समझने की कोशिश करेंगे, उतना ही जिज्ञासा, लगाव बढ़ता जायेगा। अभी कुछ दिनों पहले ही मोदी जी ने ज्योतिष, खगोल शास्त्र ज्ञान की केंद्र, प्रसिद्ध चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य, महाकाल की नगरी #उज्जैन में महाकाल कॉरिडोर का उदघाटन किया है। मन में दर्शन की अभिलाषा और शिवलोक कॉरिडोर का चुम्बकत्व अपनी ओर खींच रहा था। कार्तिक मास और दर्शन का संयोग भी बन गया, नेकी और पूछ पूछ। उज्जैन के लिए तीनों मार्गों रेल, सड़क, वायु मार्ग द्वारा पहुंचने की सुविधा है, हम कोटा से ट्रेन द्वारा सायं सात बजे तक उज्जैन पहुंच गए। निवास के लिए कोई परेशानी नहीं हुई क्योंकि #श्रीमहाकालेश्वर भक्त निवास में बुकिंग थी, वहीं प्रांगण में #भारतमाता मंदिर है, जहां प्रतिदिन शाम ८ बजे #वंदेमातरम् गायन के साथ आरती होती है, जिसे देख देश से जुड़ाव का अहसास होता है, बच्चों को ऐसी जगह से अवश्य रूबरू करवाना चाहिए, जिस #संस्कृति संक्रमण के दौर से आज की पीढ़ी गुजर रही है, उसके लिए अति आवश्यक, जानकारी के लिए बहुत अच्छा है। महाकाल लोक कॉरिडोर कला और आध्यात्म का अद्भुत संगम है। हम सायं आठ बजे तक फ्रैश हो चुके थे, भक्त निवास और कॉरिडोर की दीवार एक ही थी हमारे कमरे की खिड़की से ही कॉरिडोर का नजारा लाईटिंग, भीड़भाड़ दिख रहा था। जल्द ही हम भी कॉरिडोर के लिए निकल पड़े। #अशक्तजनों के लिए बैटरी चालित कार की सुविधा उपलब्ध थी। लगभग २०० मूर्तियां दीवार पर उकेरी और  स्थापित की गई हैं, जिनमें #प्रसंग सहित सभी घटनाओं का #जीवंत वर्णन किया गया है। महाकाल कॉरिडोर में भगवान शिव, सती, शक्ति के धार्मिक #प्रसंगों से जुड़ी मूर्तियां और दीवारों पर उकेरी गई प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं, १०८ स्तंभों में कई प्रसंग यथा भगवान शिव, सती, गणेश, सूर्य, दुर्गा, सप्तऋषि, कार्तिकेय आदि देवी देवताओं से संबंध अनेक लीलाओं का वर्णन मूर्ति रूप में उकेरा गया है। कुछ प्रतिमाओं से तो नजर ही नहीं हटती। लगभग ९००मीटर लंबा महाकाल पथ बना हुआ है। तीन ओर से प्रवेश द्वार तथा द्वार पर चार विशाल नंदी प्रतिमाएं हैं। कमल कुंड, फव्वारे, रंग बिरंगी रोशनी वातावरण को और आकर्षक बना रहे हैं। हालांकि एक आलेख में सारा #विवरण समेट पाना मुश्किल है, फिर भी प्रयास रहेगा। आगे बढ़ते हुए, तीर्थ यात्रा संस्मरण की श्रृंखला में एक और मोती पिरो दिया है। जानते हैं उस मोती के बारे में __
शमशान, ऊषर, क्षेत्र, पीठं तु वनमेव च,
पंचैकत्र न लभ्यते महाकाल पुरदृते। यह (अवंतिका क्षेत्र माहात्म्य ) में वर्णित है। अर्थात् यहां पर श्मशान, ऊषर, क्षेत्र, पीठ, एवं वन ये सभी पांच विशेष संयोग एक ही स्थान, सप्तपुरियों में से एक उज्जैन (अवन्तिका) नगरी में स्थित हैं, इस दृष्टि से भी इसका महत्व बढ़ जाता है। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में, उज्जैन में स्थित महाकाल ज्योतिर्लिंग #स्वयंभू शिवलिंग प्रमुख हैं। क्षिप्रा नदी के किनारे बसे अवन्तिका को पृथ्वी का मध्य माना जाता है। दर्शन यात्रा के प्रथम दिन शुरुआत महाकाल ज्योतिर्लिंग के दर्शनों से ही किया। आइए मेरी इस यात्रा में शामिल होइए। जीव मात्र को मुक्ति प्रदान करने के लिए धार्मिक नगरी उज्जैन/ अवन्तिका में अवतरित, अकाल मृत्यु से रक्षा करने वाले, स्वयंभू शिवलिंग देवाधिदेव भगवान महाकाल की हम आराधना करते हैं। एक #संयोग लगता है, मेरे साथ भी जुड़ गया है, ( #राज्यपाल और #रेडकार्पेट ) उस दिन पांच नवंबर २०२२ को भी बिहार के राज्यपाल दर्शनों के लिए पहुंच रहे थे, हमारे सामने ही तुरत फुरत में पुलिस, मंदिर, प्रशासन तैयारी में जुटे हुए थे। जैसा कि हमें पता था, वहां मोबाइल वगैरह सभी बाहरी चीजें सुरक्षा की वजह से अनुमति नहीं थी, फिर भी सभी मोबाइल से फोटो क्लिक कर रहे थे तथा लाइव भी दिखा रहे थे। तब लगा हम भी मोबाइल साथ ले आते तो अच्छा होता, लेकिन श्रीमन (पतिदेव)) पूरे उसूलों के पक्के, उन्होंने कहा व्यवस्था में सहयोग करना चाहिए, दर्शन के लिए आए हैं तो दर्शन लाभ लीजिए। बात भी सही थी, लेकिन शाम को दोबारा जाकर, परिसर में कुछ फोटो अवश्य लिए। उस दिन फिल्म मेकर मधुर भंडारकर ने भी दर्शन किए, जैसा कि पता चला। मंदिर के ऊपर वाली मंजिल व गर्भगृह के सामने दर्शन कर बहुत अच्छा लगा, दोनों जगहों पर बहुत बड़ा बैठने के लिए स्थान बना हुआ है जहां रुक कर थोड़ी देर कोई विश्राम, ध्यान, पूजा अर्चना करना चाहे तो कर सकते हैं हमने भी किया। एक बात विशेष, विक्रमादित्य के शासन के बाद कोई भी राजा, देश प्रदेश का / प्रमुख / मुखिया यहां रात में नहीं रुक सकता, उनकी व्यवस्था शहर से बाहर की जाती है। जिसने भी यह दुस्साहस किया, वह संकटों से घिर गया, मारा गया या कुछ अनर्थ हो जाता है, क्योंकि यहां के राजा तो केवल महाकाल शिव हैं और चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य जैसा कोई हुआ नहीं।
महाकाल मंदिर के सबसे ऊपरी तल पर भगवान नागचंद्रेश्वर का मंदिर है, इनके दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ क्योंकि, इनके दर्शन वर्ष में केवल एक बार ही, नागपंचमी पर होते हैं। महाकाल मंदिर के ऊपर ओंकारेश्वर मंदिर स्थित है। जिसमें पूरा शिव परिवार प्रतिमाएं हैं। मंदिर परिसर में ही बीचों बीच प्राचीन श्री #साक्षीगोपाल मंदिर है, मान्यता है कि महाकाल शिव अपने भक्तों के साथ व्यस्त रहते हैं, तो साक्षी गोपाल आपकी सभी जानकारी/गवाही, भगवान शिव को देते हैं कि आपने प्रार्थना और दर्शन किए हैं इसलिए यहां दर्शन करना जरूरी है। #साक्षीगोपाल जी के दर्शन अवश्य करने चाहिए। पंढरपुर भगवान के दर्शन बहुत ही मनमोहक हैं। यहीं पास ही दुस्वप्नों से निवारण के लिए #स्वप्नेश्वर महादेव मंदिर है, जिनके दर्शन से बुरे सपनों से छुटकारा मिलता है। #मनकामेश्वर महादेव मंदिर में दर्शन प्रार्थना कर, मन में जो भी कामना होती है वह पूरी होती है। मंदिर परिसर में ही बृहस्पतेश्वर, प्राचीन लक्ष्मी नरसिंह मंदिर, गणेश मंदिर, हनुमान जी, नवग्रह मंदिर आदि सभी मंदिरों के दर्शन कर महाकाल मंदिर से बाहर आए। इस सब में लगभग ढ़ाई तीन किमी. चलना हो गया था।
पूरे भारतवर्ष में महाकाल एकमात्र ज्योतिर्लिंग है जहां पर ताजा चिता भस्म से, प्रातः 4:00 बजे भस्म आरती होती है (अब चिता भस्म से नहीं) इसमें पुरुषों द्वारा शरीर पर केवल एक धोती पहनी जाती है, पहले स्त्रियों को इस आरती में शामिल होना मना था अब मालूम नहीं है। हर सुबह भस्म आरती से श्रृंगार कर महाकाल को जगाया जाता है। इसकी भी एक कहानी है। एक बार शव नहीं मिलने पर पुजारी ने अपने ही पुत्र की बलि देकर उसकी चिता की राख से भस्म आरती की, उसी समय भगवान ने दर्शन दे पुत्र को जीवित किया एवं कपिला गाय के कंडे आदि अन्य सामग्री से भस्म आरती के लिए कहा।  इस तरह अब यह प्रथा बंद हो गई है, पिछले कुछ समय से कपिला गाय के कंडे, पीपल, पलाश, बड़, बेर, अमलतास और शमी की लकड़ियों से बनी भस्म को कपड़े में छानकर प्रयोग किया जाता है। कहते भी तो हैं अंग भभूत रमाए। हालांकि हम लोग भस्म आरती के दुर्लभ दर्शन लाभ से वंचित रह गए, क्योंकि अब इसकी ऑन लाइन बुकिंग शुरू हो गई है। और इसकी वेटिंग लगभग एक महीने की रहती है। प्राचीन काल में संपूर्ण विश्व के #मानक समय का निर्धारण यहीं से होता था, इसलिए कालों के काल महाकाल कहा जाता है। उज्जैन का ज्योतिष, खगोल, तंत्र शास्त्र की दृष्टि से विशेष महत्व था। उज्जैन के आकाश से ही काल्पनिक #कर्करेखा गुजरती है।
दूसरे दिन भाग__२                                 
शक्तिपीठ हरसिद्धि मंदिर _ उज्जैन में दो शक्तिपीठ माने गए हैं, प्रथम #हरसिद्धि माता और दूसरा #गढ़कालिका माता शक्तिपीठ। कहते हैं कि  उज्जैन में क्षिप्रा नदी के पास स्थित भैरव पर्वत पर मां भगवती सती के ओष्ठ गिरे थे।  और जहां मां सती की कोहनी गिरी थी वहां हरसिद्धि मंदिर है। हरसिद्धि मंदिर, सम्राट विक्रमादित्य की आराध्य कुल देवी मानी जाती हैं। हरसिद्धि शक्ति पीठ को इक्यावन शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। इस मंदिर में इक्यावन फीट ऊंचे दो दीप स्तंभ हैं, जिन पर चढ़कर ११०० दीपक प्रज्वलित किए जाते हैं। इन दोनों मंदिरों को ही शक्तिपीठ माना जाता है। पुराणों में भी इन मंदिरों का उल्लेख मिलता है।
शक्तिपीठ गढ़कालिका देवी __ गढ़कालिका देवी को महाकवि कालिदास की आराध्य देवी माना जाता है, उनकी कृपा से ही उनको विद्वता प्राप्त हुई थी। तांत्रिक अनुष्ठान, साधना, धार्मिक क्रिया कलापों के दृष्टिकोण से यह एक सिद्धपीठ है। तथा शक्तिपीठों में इसका छठा स्थान है।
भैरव मंदिर __ भैरव बाबा यहां साक्षात विराजते हैं। कहते हैं यहां भैरव बाबा को मदिरा चढ़ाई जाती है। यह कब रिवाज बन गया, और चढ़ाई गई मदिरा जाती कहां है कोई नहीं जानता। इस तरह का मंदिर विश्व में यह अकेला ही है। काल भैरव का मंदिर लगभग छः हजार साल पुराना है। यहां पर दीप स्तंभ है। यह स्थान तांत्रिक साधना हेतु सिद्ध माना जाता है।
श्री मंगलनाथ मंदिर __ पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मंगल ग्रह की जन्म भूमि यहीं है। यहां पर शिवलिंग रुप में ही मंगल भगवान और मां भूमि की पूजा होती है। मंगल ग्रह को भूमि पुत्र कहा जाता है। मंगल ग्रह की शांति, शिव कृपा, वाहन, भूमि, धन लाभ, ऋणमुक्ति आदि सुख की प्राप्ति के लिए श्री मंगलनाथ जी की पूजा उपासना की जाती है। देश विदेश से लोग मंगल दोष निवारण के लिए यहां पर पूजा अर्चना के लिए आते हैं। ज्योतिष एवं खगोल विज्ञान की दृष्टि से यह स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है, माना जाता है कि यह स्थान पृथ्वी का नाभि केन्द्र (मध्य) है।
राजा भर्तृहरि की गुफाएं __
संपूर्ण उज्जैन नगरी कई सिद्ध संतों, भगवानों की तपोभूमि रही है। गढ़कालिका क्षेत्र में गुरू गोरखनाथ जी के गुरू मत्स्येंद्रनाथ का सिद्ध समाधि स्थल है, यह #नाथ संप्रदाय से संबंधित है। किवंदती के अनुसार इस गुफा से चारों धाम की ओर जाने के रास्ते थे, जो आजकल बंद है। भर्तृहरि गुफा की व्यवस्था नाथ संप्रदाय के साधुगण देखते हैं। यहां दो गुफाएं हैं, जिनके अंदर जा कर देख सकते हैं। लेकिन घुटन (suffocation) बहुत है, थोड़ा रिस्की है। भीड़ अगर अधिक हो, और अंदर कुछ हादसा हो जाए तो इसकी कोई व्यवस्था नहीं है। गुफा में विक्रमादित्य के भाई भृतहरि ने तपस्या की थी। एक श्रुति कथा के अनुसार #अत्रि मुनि ने भी उज्जैन में तीन हजार साल तक तप किया था। भगवान #महावीर स्वामी ने भी यहां विहार किया था।
नगरकोट की रानी _ उज्जैन नगरी के प्राचीन कच्चे परकोटे पर स्थित पुरातन काल से दक्षिण पश्चिम कोने की सुरक्षा देवी हैं। राजा विक्रमादित्य और राजा भर्तृहरि की अनेक कथाएं इस स्थान से संबंधित हैं। यह नाथ संप्रदाय से जुड़ा स्थान है। मंदिर के सामने एक कुंड है।
मोक्षदायिनी क्षिप्रा __ इसे मालवा क्षेत्र की गंगा कहा जाता है, क्षिप्रा नदी के किनारे बहुत सारे मंदिर और सुंदर घाट बने हुए हैं, लेकिन यहां पर रामघाट मुख्य है, माना जाता है कि भगवान राम ने भी यहां अपने पिता का श्राद्ध कर्म किया था। रोज शाम को तट पर आरती होती है।  कुंभ के चार स्थानों में से एक क्षिप्रा नदी है, जहां अमृत कलश से अमृत की बूंदें छलक कर गिरी थी। इसीलिए हर बारह वर्ष बाद क्षिप्रा नदी के किनारे स्थित उज्जैन नगरी में कुंभ मेले का आयोजन होता है, जिसे सिंहस्थ कहते हैं। महाकाल से संबंधित एक भजन __
बाबा भोलेनाथ है हमारा, तुम्हारा।
महाकाल की इस नगरी में हो उद्धार हमारा  बाबा भोलेनाथ है हमारा, तुम्हारा ...
महाकाल की इस नगरी में पाऊं जन्म दोबारा
बाबा भोलेनाथ है हमारा तुम्हारा...
इस नगरी के कंकर पत्थर हम बन जाएं
भक्त हमारे ऊपर, चढ़कर मंदिर जाएं
संतजनों के पैर पड़ें तो हो उद्धार हमारा
बाबा भोलेनाथ है हमारा तुम्हारा ...
जब भी तन मैं त्यागूं, त्यागूं क्षिप्रा तट पर
इतना करना स्वामी, और मरूं मरघट पर
मेरे तन की भस्म चढ़े, हो श्रृंगार तुम्हारा
बाबा भोलेनाथ है हमारा तुम्हारा ...
सिद्धवट _ सिद्धवट को चार प्राचीन और प्रमुख पवित्र वटों में से एक माना गया है। धार्मिक ग्रंथों में अक्षयवट प्रयागराज में, वंशीवट मथुरा वृंदावन में, गया में बौद्धवट या गयावट और उज्जैन में सिद्धवट का वर्णन है। इतना कुछ है महाकाल की नगरी, चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य की धार्मिक नगरी उज्जैन में कि समय की हमेशा कमी खलती है।
चिंतामण गणेश, चिंता हरण गणेश, रुद्र सागर, नवग्रह शनि मंदिर, संदीपनी आश्रम जहां भगवान कृष्ण, बलराम, सुदामा ने शिक्षा प्राप्त की थी, रामघाट और भी कई विशेष दर्शनीय स्थल हैं। जो कि भगवान राम और कृष्ण बलराम से संबंधित कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। समयाभाव के कारण सभी स्थल पर जाना मुमकिन नहीं था लेकिन लोकल गाइड (ऑटो रिक्शा चालक) ने हमें बहुत कुछ जानकारियां दीं। एक सरकारी दुकान (एम पी क्राफ्ट कॉटेज इंडस्ट्री) जहां #कैदियों द्वारा बनाई गई सामग्री उचित मूल्य पर उपलब्ध थी। धातु निर्मित मूर्तियां, शो पीस, चालीस ग्राम वजन की साड़ी, नारियल रेशे की साड़ी, धतूरे की साड़ी,  और न जाने क्या क्या, कितना सही है कहना मुश्किल फिर भी हमने भी साड़ी, दुपट्टे, टी शर्ट वगैरह खरीदे। समय और शरीर दोनों ही ज्यादा घूमने की इजाजत नहीं दे रहे थे। इस तरह डेढ़ दिन की अल्प अवधि में एक एक पल का भरपूर आनंद उठाया, और वापिसी के लिए चल दिए।
__ मनु वाशिष्ठ, कोटा जंक्शन राजस्थान 

बुधवार, 29 जून 2022

सच पर तरस

✍️सच पर तरस!
भरे बाज़ार में, सच की दुकानों पर है सन्नाटा।
तिजारत झूठ की चमकी है,मक्कारी की बातें हैं।
                            _____  हिना रिज़वी
कथा सुनें भागवत की,
प्रभु को बहकाने चला है
श्रद्धा रखें झूंठ, हिंसा में और
आरती के थाल सजाने/
इबादत/ सजदे में सर झुकाने लगा है....

जाने क्यों! सच पर,
अब तो तरस आने लगा है
झूठ अपनी चालों पर,
सीना तान बहुत इतराने लगा है....

झूठ, पहन सच के कपड़े
घूम रहा है जलसों में
सच, तन को ढांपे
कहीं किसी कोने में नंगा खड़ा है....

सुना था,
झूठ ज्यादा दिन नहीं टिकता
लेकिन अब तो
ताउम्र भी पैर जमाने लगा है....

कहते हैं झूठ के पांव नहीं होते
लेकिन पहन केलीपर
झूठ, मैराथन की
दौड़ लगाने लगा है.....

सच कड़वा होता है,
इसलिए
कौवे जैसा सच नहीं बोलें?
अन्यथा लटके रहोगे चमगादड़ की तरह
उलटे पांव पेड़ पर, ताउम्र...

क्या कभी झूठ दंडित हो पाएगा
कहीं ऐसा ना हो,
लोग सच को ही समझें गाली
और इस तरह केवल झूठ पर ही 
बड़ी निष्ठा के साथ भरोसा किया जाएगा.....

ए दुनिया! मैं (सच) नहीं तेरे लायक,
इसीलिए शायद मुझे (सच)
इस दुनिया से
विदा किया जाएगा....

लेकिन! नहीं मैं (सच) कहीं नहीं जाऊंगा
ना ही हार मानूंगा!
मुझे भेजा ही इसीलिए गया है
मेरा विश्वास बहुत गहरा है
झूठ! एकदिन रोएगा, गिड़गिड़ाएगा
अंत समय में मुझसे माफी भी मांगेगा
बस, फर्क इतना है, तब मैं माफी
नहीं दे पाऊंगा, तुम से पहले ही
मैं (सच) चला जाऊंगा
हमेशा के लिए अपराधबोध देकर
तब तुम्हें मेरे होने का महत्व समझ आएगा....

मंगलवार, 19 अक्तूबर 2021

अम्मा की जुबां ते, ब्रज की लोकोक्तियां

अम्मा की जुबां ते, ब्रज की लोकोक्तियाँ___
पुराने समय तेई दैनिक जीवन ते जुरी लोकोक्तियां या बातें, प्रयोग में लात रहे हैं। मुहावरेन में ही ऐसी गूढ़ बात कह दई जाएं, कि बिने यदि दैनिक प्रयोग में लायौ जाय तो कई बात झट समझ आ जाएं। घर में बड़े बुजुर्ग आपस की बोलचाल में लोकोक्तियांंन (कविताई ढंग) के माध्यम ते बताय दियौ करते।
* पेट ए रखो नरम, पामन् कूं रखो गरम।।
* आगे नाथ न, पीछे पगहा, सबते भलौ कुमार को गदहा।।
अर्थात् _ जिन पर परिवार का कोई बंधन नहीं है।
* बैल पूंछ उठाएगो तो गोबर ही करेगो, संगीत तो सुनाबे ते रहयो।।
* सदा दिवाली साज की, जो घर गेहूं होय।
* गोबर कौ चोथ, ज्हां गिरेगौ कछु न कछु लै कें ही उठेगौ।।
* आज के थपे, आज नांए जरें।
अर्थात_ किसी काम के फल मिलने में धैर्य रखना चाहिए, उतावलापन नहीं।
* नाम धर्यौ गणपत, म्हौं मांऊ देखौ जे गत।।
* आंख के अंधे, नाम नैन सुख।।
* आ बैल मोए मार।।
* अपने मरे बिना स्वर्ग नांए दीसे।।
* न्होरौ न्होरौ का फिरै, कहा लगावै घात।
तो तें पहलें मैं फिरूं, लहैं तराजू - बाट।।
* भाग्य कूं दुर्भाग्य बनाइवे में, मुरारी माहिर है।
* पैसे की महिमा__
* दुनिया में दो ही बड़े, दामोदर ओरु दाम।
दामोदर बैठे रहें, दाम करें सब काम।
* अमीरी तेरे तीन नाम, परसा परसू परसराम।
गरीबी तेरे तीन नाम,लुच्चा भड़ुआ बेईमान।।
* अमीर ने पादौ, तौ सेहत भई।
गरीब ने पादौ, तौ बेअदबी।।
* जो गुड़ खाएगौ, वो ही कान छिदवाएगौ।
* बई ससुर की देहरी, बई ससुर कौ गाम।
बहुअल बहुअल टेरते,सो परौ डोकरी नाम।। ( वक्त बदलते देर नहीं लगती )
* सात मामान को भांजो, भूखों ही रह जाए।।
* घर के जोगी जोगना, आन गाम के संत।।
* आज मरे कल दूसरो दिनां।।
* देवी दिनां काट रई है, पंडा कह रह्यौ है पर्चो ( परिचय ) दै।।
* आधी छोड़ पूरी कूं धावै, आधी मिलै न पूरी पावै।।
* ऐसौ बखत पर्यौ ऐ नंदेऊ, है गये बंद कलेऊ।।
* चट्टो बिगारै एक घर, बत्तो बिगारै चार घर।।
* न्यारे घर कूं बल बल जाऊं,
सेर को दरिया नौ दिन खाऊं।। 
( दूसरे के सिर पर मौज और अपनी बार को कंजूसी वाली बचत )
* बेगि (जल्दी) कर बेगि कर, दोऊ छाक ( समय ) की एक कर।।
* कौमरी न पापरी, गद्द बहू आ परी।।
( बिना मेहनत, आसानी से काम होना )
* आई बहू आयौ काम, गई बहू गयौ काम।।
* अंटी में नांए धेला, देखन चली मेला।।
* अपने पूत कुंवारे फिरें, पड़ौसीन के फेरा।।
अर्थात_ घर की समस्या सुलझा नहीं पाते, दूसरों के लिए परोपकारी बने फिरते हैं।
* सात वार, नौ त्यौहार।। 
ब्रज क्षेत्र में आए दिन मनाए जाने वाले तीज त्यौहारों के लिए कहा जाता है।
* अपनी लगी तो देह में, औरन के लगी तो भीत में।।
* स्वास्थ्य संबंधी__
* *सौंठ, मिच्च (काली), पीपर, जाय खाय कें जी पर।।
* आंत भारी, तो माथ भारी।
* आंख में अंजन, दांत में मंजन 
नित कर, नित कर, नित कर।
नाक में अंगुली, कान में तिनका
मत कर मत कर मत कर।।
* भूखे भजन न होई गोपाला,
धरि लेओ अपनी कंठी माला।।
* अन्न ही नाचै, अन्न ही कूदै, अन्न ही तोड़े तान।।
अर्थात् पेट भरा होने पर ही मस्ती/ आनंद सब कुछ सूझता है।
* रोग की जड़ खांसी, झगड़े की जड़ हांसी।
* एक बेर खाय योगी, दो बेर खाय भोगी,
और बेर बेर खाये रोगी।।
* अन्न ही तारे,अन्न ही मारे।
कभी घी घना, कभी मुट्ठी चना,
और कभी वह भी मना।
* खाये चना, रहे बना।
* जाके गलुआ चीकने, बाके मलुआ यार।
अर्थात, जिसके गाल चिकने (जो सौंदर्य युक्त है) होते हैं, उसके गालों को मलने वाले ( स्नेह / प्रेम करने वाले ) बहुत होते हैं।
ग्रहण_____
*एक पखवारे परे दो ग्रहना, राजा मरे या  मरेगी सेना।।
बारिश_____
* सांझें धनुष सकारें मोरा, जे दोनों पानी के बौरा।।
अर्थ__ शाम को इन्द्रधनुष व प्रातः मोर नाचता दिखाई दे, तो पानी बरसने का संकेत है।
* पहली पवन पूर्व ते आवे, बरसे मेघ अन्न भर लावै।।
अर्थ__ यदि मानसून की पहली हवा पूर्व से चले तो समझना चाहिए कि खूब बारिश होगी एवं खूब अन्न पैदा होगा।
* सोम, शुक्र, गुरुवार कूं फूस अमावस होय।
घर घर बजें बधाइयां, दुखी न दीसे कोय।।
अर्थ__ यदि पौष माह की अमावस्या सोम, शुक्र या गुरुवार को हो तो, अच्छा समय आएगा। घर घर बधाई बजेंगी, कोई दुखी नहीं होगा।
* कै मारै सीरी (साझेदारी) कौ काम।
या फिर मारै भादों की घाम (धूप)।।
अर्थ__ साझे के कार्य में लापरवाही बरतने (नुकसान) की संभावना रहती है। और भादौं महीने में ऊमस के साथ तीखी धूप बीमारियों का घर है।
* जाति आधारित__
* आम, नींबू, बनिया, ज्यों ज्यों दाबौ रस देत।
कायस्थ, कौआ, किरकिटा, मुर्दा हूं ते लेत।। ( सबकी प्रकृति / आदत बताई है )
* आय कनागत बंधी आस, बामन उछरें नौ नौ बांस।  
गए कनागत गई आस, बामन रोवै चूल्हे के पास।
* अनपढ़ जाट पढ़े बराबर, पढ़ौ जाट खुदा बराबर। ( चालक व्यक्ति )
* ठाकुर, भंगी और मुसलमान।
संग सोवें, भोंके कटार।।( विश्वासघाती )
* बामन, कुत्ता, नाई, जात देख गुर्राई।
___



गुरुवार, 26 अगस्त 2021

हिंदी दिवस पर

हिंदी दिवस पर__
मैं हिंदी, आज नगर भ्रमण पर निकली हूं। मीडिया की वजह से मुझे भी पता चला कि आज मेरा दिन है। अच्छा लगा, मेरे लिए इतना उत्साह सही है, होना भी चाहिए, आप अपनी मातृभाषा में जितना अच्छा सोच सकते हैं, उतना दूसरी भाषा में नहीं। कई बार तो अर्थ का अनर्थ भी ही जाता है, भाव ही बदल जाते हैं। पूरा दिन घूमने के बाद अब थक हार कर लौटी हूं। वैसे तो मैं राष्ट्रभाषा राजभाषा के साथ ही संपर्क भाषा भी हूं, और कई देशों में बोली जाती हूं। मेरी कई बहनें भाषा भी हैं, जैसे_ प्राकृत, खड़ी बोली, अपभ्रंश, ब्रज, अवधी, उर्दू, डोगरी, मलयालम, कन्नड़, गुजराती, गुरुमुखी और भी बहुत होंगी शायद, पर माताश्री तो एक ही हैं, संस्कृत।   
सच कहूं तो बड़ा असमंजस में हूं, अपने अस्तित्व को बचाने, मजबूत करने के लिए अभी बहुत प्रयास करना पड़ेगा। ज्यादातर दोहरे मापदंड, मानसिकता वाले लोग हैं, जिनके अपने कोई वैचारिक प्रतिबद्धता, सिद्धांत नहीं  हैं। मेरा तो सर ही चकरा गया जब मैंने हिंदी दिवस भी इंग्लिश में सेलिब्रेट होते देखा।
घर के जोगी जोगना, आन गांव के संत।
सही बात है। कई बार विदेशियों को पूरे दिल से हिंदी में बातें करते सुनती हूं तो ऐसा ही लगता है, अपने देश भले कोई ना पूछे बाहर वाले तो कद्र कर रहे हैं। चलो अब अगले वर्ष फिर मिलती हूं, तब शायद मैं थोड़ी और बुजुर्ग हो जाऊंगी। कहते हैं, बुजुर्गों के पास अनुभवों का खजाना होता है, कभी फुरसत में मिलिएगा... 
     ___ मनु वाशिष्ठ 

मंगलवार, 25 मई 2021

स्त्रियां

 ✍️


प्रकृति में समाया परिवार

स्त्रियां! 💃
रोप दी जाती हैं धान सी
उखाड़ दी जाती हैं,
खरपतवार सी
पीपल सी कहीं भी उग आती हैं।
स्त्रियां!💃
जीवन दायी अमृता सी,
महके लंबे समय तक,
रजनीगंधा सी
कभी ना हारें,अपराजिता बन छाई हैं
स्त्रियां!💃
रजनीगन्धा, लिली
जैसे यौवन ने ली अंगड़ाई है
सप्तपर्णी के फूल से
प्रेम माधुर्य की खुशबू आई है।
स्त्रियां!💃
आंसुओं को पी,
बिखेरती खुशबू पारिजात सी
पुनर्नवा सी,
ईश्वर की वरदान बन आई है।
स्त्रियां!💃
दिल दिमाग की शांति, 
शंखपुष्पी, ब्राह्मी सी
तुलसी सी पावन
आंगन की शोभा बढ़ाई है।
स्त्रियां!💃
सौम्यता मनभावन
चंपा, चमेली, मोगरा सी
भरदेती सुखसौभाग्य,अमलतास(स्वर्ण वृक्ष) सी
घर आंगन में मानो,परी उतर आई है।

शुक्रवार, 21 मई 2021

पिता, हाइकु

पिता____
1_💕
जनक सुता
पाए राम से वर
खुश हैं पिता!
2_💕
सुनहुं तात!
जग पसारे हाथ
पुरी का भात
3_💕
नभ में रवि
हम बच्चों के लिए
पिता की छवि
4_💕
पिता के कांधे
था महफूज स्थान
विराजमान
5_💕
नहीं अमीर
मांगें पूरी करते
मेरे पिताजी!
6_💕
मार्ग दर्शक
जीना है सिखलाते
खूब पिताजी!
7_💕
हिमालय से
पिता! भी टूट जाते
ग्लेशियर से
8_💕
उठे हिलोर
चला बुद्ध बनने
देखे मुड़ के
9_💕
पिता आकाश
दूर क्षितिज मां से
मिलते गले
10_💕
बड़े बुजुर्ग! 👳
घर के कल्प वृक्ष,
चाहो सो पाओ

मां, हाइकु

मां___
1_💕
है अनपढ़
फिर भी पढ़ लेती
मेरे दर्द, मां!
2_💕
वरदान सी
मेरे झुके सिर पे
दे असीस, मां!
3_💕
नींद गंवाई
ना करती आराम
अनोखी है, मां!
4_💕
पीड़ा हरती
टीस पे मल्हम सी
धन्वंतरि मां!
5_💕
उम्र की सांझ
पाया था मन्नतों से
मां बनी बांझ
6_💕
मेरे नन्हे! है
तुमसे प्यार, जब
तुम थे नहीं
7_💕
जब हों निराश
मां की दुआ, है आस
पूर्ण विश्वास
8_💕
धुरी घर की
मां! जीवन दायिनी
ऑक्सीजन सी
9_💕
मां का प्यार
अभी-अभी समझा
वो चल भी दीं

सोमवार, 22 मार्च 2021

लाल टमाटर

गोल टमाटर हूँ मैं लाल
मुझ में सेहत के छुपे कई राज
विटामिन से भरपूर
मधुमेह को करूं नियंत्रित

मैं! लाल टमाटर सत्य बोलूं
मेरे जैसा कोई नहीं 
सब्जी में भी स्वाद ना आता
बिना मिलाए मुझे कहीं

रसोई का मैं मुख्य घटक
सूप बनाकर पियो गटक
सरदी को फिर मारो पटक
हूं मैं बड़ा लटक झटक

सूप बनाकर अगर पीओगे 
सरदी हो जाएगी दूर
सेहत बन जाएगी फिर तो 
ऊर्जा दे सदा भरपूर 

मिजाज मेरा थोड़ा खट्टा है
रंग लाल चटकीला सा
सलाद खाओ या सूप पियो
फिर बन जाओ मेरे जैसा

कोलेस्ट्राल को घटाकर
ह्रृदय की रक्षा करता
आँखों की ज्योति बढ़ाकर
त्वचा को भी स्वस्थ रखता

प्रकृति का अनमोल उपहार 
सेहत का खजाना है भरमार
तन मन की सुरक्षा चाहो तो
खाओ टमाटर रोज आहार।

शुक्रवार, 19 मार्च 2021

खुशी की अभिव्यक्ति

✍️
खुशी की अभिव्यक्ति वैयक्तिक है। चाहे हम खुशी में डूबे हों, या दुख के अथाह सागर में डूबे हों, इसकी गहराई को समझना महत्वपूर्ण है। भवानी प्रसाद मिश्र कहते हैं_हंसो तो बच्चों की तरह खिलखिलाकर, रोओ तो तिलमिलाकर, खालिस सुख खालिस दुख। मध्य का कुछ भी, कोई बात नहीं। चयन आपका है दुखों कष्टों को #अवरोध मान लिया जाए, या रास्ते का दिशासूचक!! यह आपकी सोच पर निर्भर करता है कष्टों, दुखों की कसौटी पर स्वयं को घिसकर निखारना चाहते हैं या अवसाद के अंधेरे में डूबे रहना।
सुप्रभात!Have a good day.....

शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2021

पेरेंटिंग

✍️ हैलो पैरेंट्स__
आज कुछ बातें, बनने जा रहे नए पिताओं के लिए भी कहनी हैं। भारतीय समाज में पुरुष की कुछ इमेज ही ऐसी है कि उसे अपने आप को सख्त ही दिखाए रखना पड़ता है। जबकि अंदर से वह भी उतना ही नरम हृदय, दयालु प्रवृत्ति का होता है जितनी की मां। उसे बच्चों के सामने अपने आप को एक आदर्श पिता के रूप में ही स्थापित करना होता है उचित भी है, इसमें कुछ गलत भी नहीं दिखता। सभी पिताओं को अपने जीवन में ऐसा कुछ खास हासिल तो कर ही लेना चाहिए कि अपनी संतानों का आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए किसी और का उदाहरण नहीं देना पड़े। मां की ही तरह पिता भी बच्चों के प्रथम शिक्षक हैं, और शिक्षक में किसी साधारण बालक को असाधारण बनाने की क्षमता होती है। पिता का दायित्व अपने बच्चों को स्वयं का भाग्य निर्माता बना, आगे जीवन में भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करना है। 
एक बात गौर करने वाली है, आपने कभी नोटिस किया है, आप अपने आप को हमेशा सही मानते हैं, अड़े रहते हैं। और उसको साबित करने के लिए तरह-तरह के उदाहरण/तर्क भी देते रहते हैं। हम बड़े हैं, कुछ गलत हो भी गया तो क्या?...
हम ऐसा कह कर कब तक खुद को सांत्वना देते रहेंगे मैं यदि धूम्रपान करता हूं, नशा करता हूं ... तो क्या हुआ ... मैं हूं भी तो बड़ा आदमी या यह मेरे जॉब की/ पेशे की मांग है, या हम बड़े लोगों में सब चलता है। मैं ऐसे एक नहीं कई लोगों को जानती हूं जो अक्सर खुद नशा करते और कहते हैं कि पार्टियों में, बड़े लोगों में बैठने के लिए, तनाव मुक्ति के लिए, व्यापार या फैशन में, नशा (शराब, तंबाकू, गुटखा) यह तो आवश्यक है, और इस तरह उन्होंने कभी इसे गलत नहीं माना, धीरे-धीरे उनके छोटे छोटे बच्चे भी यह सब करने लगते हैं। कभी-कभी थोड़ा सा झूठ बोल दिया तो क्या ... सब करना पड़ता है ... और यही चीजें बच्चे भी सीखने लगते हैं।
हम यह कह कर खुद को संतुष्ट करते रहते हैं कि हमें अपने साथ वालों के/ शिक्षक के चरित्र से क्या लेना देना। कुछ गलत है तो यह उसका व्यक्तिगत मामला है हमें तो उससे पढ़ना है बस... संसार में क्या सही है और क्या गलत इसका निर्णय करने वाला मैं कौन हूं। हो सकता है इसमें आप कुछ हद तक सही भी हों, लेकिन संगति के असर का प्रभाव होता ही है। बच्चे अपने शिक्षक का, बड़ों का अनुसरण अवश्य करते हैं और बच्चे उसे सही भी मानते हैं क्योंकि वे उनके आदर्श होते हैं इसलिए शिक्षक / बड़ों का आचरण भी अनुकरणीय होना चाहिए।
सही और अच्छी आदतों पर अपने आप पर गर्व महसूस किया जा सकता है, क्योंकि हम जानते हैं मुझ में फलां फलां खराब या अच्छी आदतें हैं। क्या मेरी चारित्रिक विशेषताएं अनुसरण के लायक हैं ... आने वाली पीढ़ी के लिए मेरा जीवन का एक आदर्श होगा या खतरा... किसी विशेष अंश रूप में नहीं, बल्कि अपने संपूर्ण रूप में हमारे बच्चे सब कुछ देख रहे होते हैं ... हम उनसे जो भी कहते हैं उस की अपेक्षा वह इस बात से ज्यादा सीखते हैं कि हम क्या करते हैं। नैतिकता पुस्तकों से कभी नहीं सीखी जा सकती वह तो अपने आसपास रहने वालों को देखकर सीखी जाती है। संसार आपके आचरण के उदाहरण पर चलेगा ना कि आपकी सलाह या उपदेश पर।
आपने वह कहानी तो सुनी ही होगी जिसमें एक बहू अपनी सास को हमेशा मिट्टी के टूटे बर्तन में रुखा सूखा खाने को देती थी। यह देख कर एक दिन उसका बेटा उन मिट्टी के टुकड़ों को उठाकर रखने लगा और बोला ... मां जब आप बुड्ढी हो जाओगी तब मैं भी इन्हीं बर्तनों में आपको खाना दूंगा। आशय ... आप समझ ही गए होंगे, बच्चे देख कर ही सीखते हैं मात्र उपदेशों से नहीं।
आपका सोचना, बोलना, कार्य करना और रहना ऐसा होना चाहिए कि जैसा आप दूसरों से चाहते हैं ... कि वह किस प्रकार बोलें ... किस प्रकार कार्य करें... किस प्रकार रहे। जिस बात की अपेक्षा हम खुद से करने को इच्छुक नहीं है, तैयार नहीं है उस बात की अपेक्षा हम दूसरों से कैसे कर सकते हैं। इसलिए यह सुनिश्चित कर लें कि आप ऐसी मास्टर कॉपी बने जो इस योग्य तो हो कि उस की डुप्लीकेट (zerox) कॉपी बनाई जा सके।
इस दुनिया में इंसान के लिए, ईश्वर की ओर से सबसे बेहतरीन सौगात है ... उसकी संतान। और एक पिता का बच्चे को सबसे बेहतरीन, अमूल्य उपहार है, अच्छी परवरिश ... और शिक्षा। बच्चे को समाज में नैतिकता व जिम्मेदारी के साथ सिर उठाकर जीने लायक बनाना।
ईश्वर तो हमें सबसे अच्छी सौगात दे देता है, पर क्या हम अपने बच्चे को भी बेहतरीन उपहार (अच्छी परवरिश) दे पाते हैं।

बच्चे हैं पौधे 
खाद पानी धूप दे
माली है पिता

बेटे की चोट
दिखना है मजबूत 
व्यथित पिता

होता विश्वास
जीतेंगे जग सारा
पिता हैं साथ