बुधवार, 8 मई 2019

खंडित मन से लक्ष्य प्राप्ति नहीं होती

✍️खंडित मन, ऊंचाइयां नहीं छू सकता,ध्यानयोग से व्यक्तित्व विकास____
#बारहवीं के बाद सलेक्ट हुए बच्चों के लिए बहुत बहुत #बधाई! तुम सब अपनी अपनी मंजिल के करीब हो। नए कैरियर को चुनने के बाद नया माहौल, नई जरूरतें, नया परिवेश और नई मंजिलों की तलाश में #उड़ने को तैयार। इसका मतलब यह नहीं कि अब तुम्हें परवरिश की जरूरत ही नहीं। वो तो अभी भी है,मार्ग दर्शन तो चाहिए ही।लेकिन अब फैसले स्वयं भी लेने होंगे, भला बुरा समझना होगा,
बड़े जो हो गए हो। सपनों को पूरा करने के लिए लक्ष्य साधना आवश्यक है।
आज पूरे विश्व में चिंतन का ही बोलबाला है, मस्तिष्क में विचारों का अथाह समुद्र दिखाई पड़ता है। उस समुद्र में से #कुशल तैराक की भांति तैर कर लक्ष्य तक पहुंचना ही आपकी योग्यता है। जो कुछ हम इंद्रियों से देख रहे हैं, अनुभव कर रहे हैं, वह सब हमारे मन तक पहुंच कर चिंतन में खलबली मचा रहा है। चिंतन छूट भी कैसे सकता है। लेकिन इसमें भी संदेह नहीं, कि अधिक चिंतन हितकर नहीं है। हर कार्य में शक्ति भी #क्षीण होती है, अधिक चिंतन से शरीर में कई #व्याधियां पैदा हो सकती हैं। कहते भी हैं ना #चिंता चिता समान है। मन और बुद्धि जब एकसाथ अभ्यास करते करते एकाग्रता की स्थिति में पहुंचेंगे, तब ही आप समझ पाएंगे। संसार के सारे कार्य व्यवहार #मन के आधार पर चलते हैं। मन अपने आप में अव्यक्त है, मनोविज्ञान पर देश-विदेश में अनेक शोध हुए हैं, प्रतिपल मन नई इच्छाएं पैदा करता रहता है। मन इच्छा से पैदा होता है, से पूर्ण होते ही मन भर जाता है। इसी मन को समझना है, जो हर वक्त बस more & more की चाहत रखता है। मन के भीतर उठने वाली तरंगों को देखना, शांत करना है, तभी तो हम शांत रहेंगे। मन तो विकल्पों का केंद्र है, जब भी किसी विषय पर एकाग्र होने का प्रयास करते हैं तो अनेक व्यवधान आने लगते हैं, मन एक विषय पर टिकता ही नहीं, जीवन विकास के लिए आवश्यक है मन की क्षमताओं, नियंत्रण, एकाग्रता का विकास। हम एक आसन पर बैठे, शांत जगह पर शरीर को ढीला छोड़ दें, लंबी सांस लें, और सांस को देखें कुछ रोककर भीतर की हलचल को भी देखें, श्वास छोड़ें, श्वास को ही देखते रहें, विचारों के विकल्प उठेंगे, आप चिंता न करें। किसी भी प्रकार के विचार को रोकने का प्रयास ना करें। कई प्रकार के चित्र उभरेंगे, आने दें, जाने दें, रोकने का प्रयास ना करें। धीरे-धीरे श्वास पर ध्यान केंद्रित होता जाएगा, इस तरह विचारों का क्रम भी टूटने लगेगा और मन शांत होकर एकाग्रता की तरफ बढ़ेगा। मन इंद्रियों का राजा है और बड़ा ही चंचल है। इसलिए जीवन में आगे बढ़ने के लिए मन का शांत व स्वस्थ होना बेहद जरूरी है। खंडित मन ऊंचाइयों को छूने में हमेशा असमर्थ रहेगा।

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