✍️पुरानी #कहावतें यूं ही नहीं बनी।
#बाप पर पूत, सईस पर घोड़ा।
ज्यादा नहीं तो, थोड़ा #थोड़ा।।
एक पुरानी कहावत है जैसा बाप वैसा बेटा। यह बात अब #शोध में भी साबित हो चुकी है, वैज्ञानिकों ने माना है, कि जो चीज है #पिता करते हैं अक्सर बड़े होकर वह #पुत्र भी करते हैं। जो आदत पिता में होती है अगर पिता देर से घर आता है तो निश्चित ही बच्चा भी देर से ही घर आएगा, या पिता को अगर #झूठ बोलने की, #नशे की #आदत है, तो बच्चे भी बड़े होकर ऐसा ही करते हैं। यही बात लड़कियों पर भी लागू होती है। इसीलिए शायद घर को #प्रथम स्कूल कहा जाता है, इसलिए सतर्क हो जाइए! आप जैसा बच्चों से उम्मीद करते हैं, पहले स्वयं करके दिखाइए। आगे से बच्चों को कोसना बंद करें एवं अपने गिरेबां में भी झांक कर देखें। काम और रोजाना के जीवन के बीच #संतुलन की प्रक्रिया, #अनुभव बचपन से ही शुरू हो जाते हैं। शोध करने वाले वैज्ञानिकों ने माना है कि जब हम काम करना शुरू करते हैं तो बचपन के अनुभवों से प्रभावित होते हैं। और उसके अनुसार ही परिवार व काम के बीच समय को विभाजित करते हैं।
#बाप पर पूत, सईस पर घोड़ा।
ज्यादा नहीं तो, थोड़ा #थोड़ा।।
एक पुरानी कहावत है जैसा बाप वैसा बेटा। यह बात अब #शोध में भी साबित हो चुकी है, वैज्ञानिकों ने माना है, कि जो चीज है #पिता करते हैं अक्सर बड़े होकर वह #पुत्र भी करते हैं। जो आदत पिता में होती है अगर पिता देर से घर आता है तो निश्चित ही बच्चा भी देर से ही घर आएगा, या पिता को अगर #झूठ बोलने की, #नशे की #आदत है, तो बच्चे भी बड़े होकर ऐसा ही करते हैं। यही बात लड़कियों पर भी लागू होती है। इसीलिए शायद घर को #प्रथम स्कूल कहा जाता है, इसलिए सतर्क हो जाइए! आप जैसा बच्चों से उम्मीद करते हैं, पहले स्वयं करके दिखाइए। आगे से बच्चों को कोसना बंद करें एवं अपने गिरेबां में भी झांक कर देखें। काम और रोजाना के जीवन के बीच #संतुलन की प्रक्रिया, #अनुभव बचपन से ही शुरू हो जाते हैं। शोध करने वाले वैज्ञानिकों ने माना है कि जब हम काम करना शुरू करते हैं तो बचपन के अनुभवों से प्रभावित होते हैं। और उसके अनुसार ही परिवार व काम के बीच समय को विभाजित करते हैं।
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