शनिवार, 2 फ़रवरी 2019

पैरेंट्स! ईश्वर ने आपको चुना है


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#एकपत्र #पैरेटिंग____
#प्रिय #पैरेंट्स_मातापिता बनना बहुत ही खुशी की बात है। हो भी क्यों ना, अब आप को लगता है आप एक निर्माणकर्ता हो, और आप किसी की जिंदगी को संवार सकते हो।अपनेआप में गौरवान्वित महसूस करते हैं। लेकिन क्या वाकई आप उसकी जिंदगी संवार रहे हैं, जाने अनजाने उसे #तबाह तो नहीं कर रहे।
#ध्यान रहे, #बच्चों पर कभी भी जबरदस्ती मत करना, मारपीट तो भूल कर भी नहीं,अपना प्रेशर (तनाव) बच्चों पर नहीं उतारना। बच्चों को आप केवल #प्रेम और प्रेम से और शांति,एवं सहजता ही समझ, समझा सकते हैं।
#केवल आदेश देकर बच्चों को गढ़ना इतना ही आसान होता तो कोई परेशानी ही नहीं थी। परंतु #आदेश के साथ ही #प्रतिक्रिया होती है ना मानने की, बच्चे हमेशा आदेश की अवमानना कर, उसी कार्य को करेगा जिसकी मना किया जाता है। उसे समझाने के लिए हमेशा #सकारात्मकता के साथ व्यवहार करें, कि जिस चीज को आप समझाना चाह रहे हैं, उसे करने में कितना #आनंद मिलता है। केवल #उपदेश और #आदेश देने की बजाय सहज होकर बात करिए।आप किसी सल्तनत के बादशाह और बच्चे आपके गुलाम नहीं।हम आशा करते हैं श्रवण कुमार की,लेकिन सिखाते हैं नौकरों की तरह आज्ञा पालन करना,उसके सामने खुद उदाहरण बनिए और बच्चे को #स्वविवेक का इस्तेमाल करना सीखने दीजिए। वो भी #आहत होते हैं। हर समय #थोपना क्यों। बच्चों की भी इज्जत करना सीखिए, उनकी भी भावनाएं हैं। कई बार या तो अति लाड़ प्यार में सिर पर बिठाना, या अपने इशारों पर नचाना दोनों ही ठीक नहीं। वो आपसे दूर होते चले जाएंगे। फिर एक चक्र बन जाएगा, ढीटता का। आप कहेंगे बच्चा हठी है इसलिए #दंडात्मक हूं, बच्चा कहेगा, मातापिता हमेशा दंडात्मक हैं, इसलिए मैं भी #जिद्दी हूं।
#हम बच्चों को केवल #प्यार से #जीत सकते हैं, वैसे तो यह सब पर लागू है।प्यार में बड़ी शक्ति है। अगर आप चाहते हैं कि बच्चे आपका आदर करें, तो #आप को भी उनका आदर करना पड़ेगा। हो सकता है आपको यह बेवकूफी भरा लगे। लेकिन यह सत्य है। बच्चे हर छोटी बड़ी बात को, आदर अनादर को समझते हैं। लेकिन, अगर हम चाहते हैं कि छोटे बच्चे आदर करें मां-बाप का, तो आदर देना पड़ेगा। यह असम्भव है कि मां-बाप तो अनादर करें बच्चों का और बच्चों से आदर पा लें, यह असम्भव है। कभी बच्चे को #समय देते हैं????? समय दीजिए, सुनिए जो वह सुनाना चाहता है, दोस्तों की, स्कूल की,सपनों की। केवल आदेश देना, स्वयं की ही संतुष्टि है बस।
बच्चों को #सम्मान देना जरूरी है, और #बहुत जरूरी है। वे देश का भविष्य हैं, समाज को दिशा देने वाले हैं। हम भूत हैं,बच्चे भविष्य। अभी उसमें #नवजीवन का विकास होने को है। नन्हीं कली #फूल बनने की ओर अग्रसर है, अगर उसे समुचित (खाद पानी) #परवरिश रूपी देखभाल नहीं मिली तो उसका अस्तित्व तो संकटग्रस्त रहेगा ही, आपकी वृद्धावस्था भी सुरक्षित नहीं है। नया व्यक्तित्व का निर्माण हो रहा है। उसके प्रति सम्मान, आदर बेहद आवश्यक है। आदर, प्रेम, खुद के व्यक्तित्व के उदाहरण द्वारा उस बच्चे के जीवन को #परिवर्तित किया जा सकता है।
#बच्चे का दिल दिमाग वहीं रमेगा, जहां उसे आनंद की अनुभूति होती है। मन तो वहां जाता है जहां सुख है, शांति है, रस है, आनंद है।
बच्चा घर से बाहर कब भागता है, जब वह आपको (मातापिता) को बनावटी चीजों की ओर आकर्षित होते देखता है। अगर बचपन में बच्चा आपको पैसे के पीछे दीवाना हुआ, दौड़ता हुआ देखता है।तो उससे वृद्धावस्था में किस चीज की उम्मीद कर रहे हैं। जो उसने देखा,वो ही तो वह करेगा। छोटे बच्चों का #आब्जर्वेशन कमाल का होता है। बहुत बारीकी से अच्छाई, बुराई को ग्रहण करते हैं। बच्चे ने झूठ बोलना कैसे सीखा। कुछ याद आया?? जब आप किसी दोस्त,अपने घरवालों आदि से न मिलना हो तो बच्चे से कहलवा देते हैं, घर पर नहीं हूं। आपकी इस हरकत से बच्चे के मन में झूठ का #बीजारोपण हो गया, कि जब मुझे भी कुछ नहीं करने का मन हो तो कैसे बच सकता हूं।
जिनकी #माताएं अक्सर झूठ मूठ बीमारी का बहाना बनाती हैं, उन बच्चों में भी पढ़ाई, परीक्षा,या किसी #नापसंद #परिस्थिति से बचने के लिए झूठ में बीमारी का बहाना बनाने की आदत होती है।
#अगर बच्चे अपनी मां को लड़ाई झगड़े से दूर, निंदा से परे, त्याग, प्रेम, ममता से भरी, संतुष्ट देखते हैं। इस आनंद को बच्चे भी महसूस करना चाहेंगे और ये ही अच्छा व्यवहार बच्चे भी सीखेंगे। कई बार माताएं बच्चों को अपनी ससुराल के खिलाफ हथियार के तौर पर इस्तेमाल करती हैं, और बच्चे के मन में जहर घोल देती हैं, स्वयं को बेबस दिखाने के लिए, सहानुभूति प्राप्त करने के लिए। पिता का भी अपने माता पिता की देखभाल से बचने के लिए पत्नी का पुरजोर समर्थन हासिल होता है। ये आप बच्चे को कौन से संस्कार दे रहे हैं।समय उपरांत ये ही इतिहास आपके साथ भी दोहराया जाएगा, निश्चित है। उधर बच्चे का व्यवहार भी असामाजिक हो जाएगा। उसकी जिंदगी में तरक्की के मार्ग अवरूद्ध हो जाएंगे।
#पहली जरूरत है कि खुद को #सुधारें। चौबीस घंटे के जीवन में कुछ पल, सब शांतिपूर्ण, मौन हो जाएं। भीतर से आनंद को उठने दें, भीतर से शांति को उठने दें। सब तरह से मौन और शांत होकर पल दो पल को बैठ जाएं। जो मां-बाप चौबीस घंटे में घंटे दो घंटे भी मौन होकर नहीं बैठते, उनके बच्चों में भी #अधीरता दिखेगी। मातपिता घंटे दो घंटे बच्चे के साथ  घर पर #प्रार्थना में, #ध्यान में बैठना सिखाएं। कभी भाग्य, ईश्वर, प्रारब्ध पर भी विश्वास करना सीखें, उसने भी कुछ सोच रखा होगा।
जो बच्चे #मां-बाप को #कलह करते हुए, द्वंद्व करते हुए, संघर्ष करते हुए, लड़ते हुए, गालियां बकते हुए देखते हैं, मां-बाप के बीच कोई बहुत गहरा प्रेम का संबंध नहीं देखते, कोई शांति नहीं देखते, कोई आनंद नहीं देखते; उदासी, ऊब, घबड़ाहट, परेशानी देखते हैं। ठीक इसी तरह की जीवन की #दिशा उनकी हो जाती है। ऐसे बच्चे अकेलापन महसूस करते हैं। हो सकता है,गलत सोहबत में भी पड़ जाएं।आगे चलकर उसे अपने वैवाहिक जीवन में भी सामंजस्य बिठाने में परेशानी महसूस होगी।
#बच्चों को #बदलना हो तो #खुद को बदलना #जरूरी है। अगर बच्चों से प्रेम हो तो खुद को बदल लेना एकदम जरूरी है। जब तक आपके कोई बच्चा नहीं था, तब तक आपकी कोई जिम्मेवारी नहीं थी। बच्चा होने के बाद एक अदभुत #जिम्मेवारी आपके ऊपर आ गई। एक पूरा जीवन बनेगा या बिगड़ेगा और वह आप पर #निर्भर है। अब आप जो भी करेंगे उसका परिणाम उस बच्चे पर होगा।
अगर वह बच्चा बिगड़ा, अगर वह गलत दिशाओं में गया, अगर दुःख और पीड़ा में गया, तो उसका #पाप किसके ऊपर होगा? बच्चे को #पैदा करना #आसान है लेकिन ठीक अर्थों में मां-बाप बनना बहुत #कठिन है। बच्चे तो पशु-पक्षी भी पैदा करते हैं, मनुष्य भी करते हैं, कुछ तो फर्क होना चाहिए, मनुष्य और पशुओं में। बस भीड़ बढ़ रही है दुनिया में। लेकिन इस भीड़ का क्या #औचित्य है। मां-बाप होना बहुत #कठिन है।
अगर दुनिया में कुछ दंपति भी अच्छे सुलझे हुए मां-बाप हो सकें तो, कहना ही क्या। मां-बाप होने का मतलब है, इस बात का #उत्तरदायित्व कि जिस जीवन को हमने #जन्म दिया है, अब उस जीवन को ऊंचे से ऊंचे स्तरों तक, #परमात्मा तक पहुंचाने की दिशा पर ले जाना हमारा कर्तव्य है। और इस कर्तव्य को निभाने के लिए हमें खुद को #बदलना होगा, क्योंकि अपने को बदले बिना कोई #रास्ता भी नहीं है। ईश्वर ने इस नेक कार्य के लिए आपको चुना है, एक जिम्मेदारी सौंपी है, शुक्र गुजार तो होइए।

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