शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2019

युवा बच्चों के लिए

🍷#शराब,एक एसा शौक जिसे लत बनते देर नहीं लगती------
🍷यदि मैं एक दिन के लिए तानाशाह बन जाऊँ,तो शराब पर प्रतिबंध मेरा पहला कदम होगा।
                                                  ** बापू **
Drug addiction is a family disease, one person may use but the whole family suffers.
यह एक #धीमा जहर है, जिससे व्यक्ति स्वयं ही प्रभावित नहीं होता वरन् उसका कैरियर, परिवार, बच्चे सभी प्रभावित होते हैं। नशे में व्यक्ति ऐसे #जघन्य अपराध कर बैठता है, होश में  रहते  शायद जिनके  बारे में वह  सोच भी नहीं सकता। कब एक छोटा पैग----शौक, मस्ती, या so called high society culture दिखाने के चक्कर में ये नशा आपको अपना #गुलाम बना चुका होता है।इसके दुष्परिणामों के बारे में जानने तक बहुत देर हो जाती है। #आधुनिक दिखने की होड़ में अच्छे शिक्षित वर्ग भी इसकी चपेट में ज्यादा हैं, उन्हें तो बस बहाना चाहिए, दोस्त मिल रहे हों, शादी हो, गम हो, प्रमोशन हुआ हो या ऑफिस का तनाव कम करना हो, बहाना कोई भी हो, बस पीना है। उन्हें यह लगता है, कहीं पिछड़े ना कहलायें। ऐसे में जिम्मेदारी #परिवार की भी है। युवा होते बच्चों पर हम अपने विचार थोपें नहीं,वरन् घर का वातावरण इतना #सौहार्द रखें, बच्चों से शेयर करें कि बच्चे सारी बातें आपको बता सकें।
अल्कोहल शरीर के कई अंगों पर बुरा असर डालता है। व्यसन की एक विशेषता है, इसके नुकसानों को जानते हुए भी व्यक्ति अपनी ₹लत का गुलाम हो जाता है। इसे जीर्ण #मानसिक रोग भी कह सकते हैं।
शराब,गुटखा,सिगरेट,तम्बाकू द्वारा #निकोटीन फेफड़ों में पहुंच कर #ऑक्सीजन की कमी से कई बीमारियों का कारण बनती है।
अल्कोहल का मुख्य असर लीवर, किडनी पर पड़ता है। अल्सर की सम्भावना भी बनती है। लीवर में शराब से हानिकारक तत्व बनते हैं, जो लीवर की कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाते हैं।
अल्कोहल का सबसे ज्यादा #दुष्प्रभाव #मस्तिष्क पर पड़ता है।आसपास के माहौल को भांपने में,शरीर तथा दिमागी संतुलन नहीं बना पाता,फैसला करने में,एकाग्रता में कमी आने लगती है।*स्वच्छंद* महसूस कर व्यक्ति स्वयं सभी मुश्किलों से आजाद महसूस करने लगता है।
ज्यादा शराब के सेवन से व्यक्ति बेसुध हो जाता है, अवसाद में भी चला जाता है, क्रोध बढ़ जाता है तथा कभी कभी अनहोनी भी कर बैठता है।(किसी भी प्रकार की)।
शराब मात्र *5-7 मिनट के अंदर दिमाग पर असर* डाल देती है।शराब की वजह से *न्यूरोट्रांसमीटर्स अजीब संदेश* भेजने लगते हैं, तथा *तंत्रिका तंत्र भ्रमित* होने लगता है।शराब का ज्यादा सेवन घातक होता है।कई बार विटामिन्स और आवश्यक तत्व नहीं मिल पाते। दिमाग में अल्कोहल के असर से *डिमेंशिया की बीमारी* होने का खतरा बढ़ जाता है।
शराब प्रतिरोधक क्षमता को कम करता है। और इसके चलते कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।शराब के सेवन से सेक्स सम्बंधी (यौन व्यवहार)में लिप्त होने या जोखिम लेने की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि वह विवेक तो पहले ही खो चुका होता है।इस प्रकार यौन संक्रमित बीमारियों के होने का भी खतरा बढ़ जाता है।
ज्यादा शराब व सिगरेट पीने से शरीर में टॉक्सिन्स की मात्रा बढ़ जाती है।यह लिवर में पहुंच कर उसे नुकसान पहुंचाते हैं।
कभी शौक में,कभी खुशी में, कभी गम में ,तो कभी यारी दोस्ती के जश्न मनाने में *कब व्यक्ति एक पैग से शुरू होकर शराब की लत के दुष्चक्र में*फंस जाता है।उसे पता भी नहीं चलता। और फिर शुरू होता है *बर्बादी का अंतहीन सिलसिला*।होश आने पर उसे महसूस भी होता है। फिर अपनी गलतियों को छुपाने या परिस्थितियों का सामना न कर पाने से दुबारा ------फिर एक बार और------फिर एक बार और-----
ऐसे लोगों में *आत्म विश्वास की बेहद कमी* होती है। दिल के *बुरे ना होते हुए भी सही कार्य के निर्णय नहीं ले पाते।* और पारिवारिक कलह के लिए जिम्मेदार होते हैं।
इसलिए *एक पैग की भी शुरुआत ही क्यों* करें। परिवार में बच्चों के सामने स्वस्थ माहौल बनाएं, जिससे युवा होते बच्चे आपसे सारी बातें शेयर कर सकें।बाहर की हर मुसीबत का सामना आत्मविश्वास के साथ कर सकें।
WHOकी पिछले साल की रिपोर्ट के अनुसार शराब के सेवन से अवसाद, आत्महत्या, बेचैनी, लीवर सिरोयसिस, हिंसा, दुर्घटना तथा आपराधिक मामलों में प्रवृत होने के मामले ज्यादा बढ़ जाते हैं। इसलिए एक कदम भी इस ओर न बढ़ाएं, और अगर बढ़ भी गए हैं तो शपथ लें। हमेशा अपने मातापिता या पत्नी,बच्चों,परिवार को ध्यान में रखते हुए सोचें। छोड़ने के लिए सब तरह की कोशिश करें। ध्यान, व्यायाम अवश्य करें। फिजिकल फिट रहें। अच्छी संगत में रहें।और जो भी उपाय सम्भव हो,अवश्य करें।और स्वयं को *मानसिक,शारीरिक यहाँ तक कि आर्थिक भी दिवालिया* होने से बचाएं।
नशे में डूब व्यक्ति डर व चिंता के प्रति लापरवाह  हो जाता है। जो कि किसी भी चुनौती का सामना करने से डरते हैं। गलत काम करते हुए सही लक्ष्य प्राप्त नहीं किये जा सकते। परिवारों के विघटन में नशा भी जिम्मेदार है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें