मंगलवार, 5 फ़रवरी 2019

संवाद हीनता/खोलें मन की खिड़कियां

✍️
संवादहीनता/खोलें मन की खिड़कियां_____
संवादहीनता का वायरस,आजकल घर घर में एक #महामारी का रूप ले चुकी है। ईगो से नहीं, संवाद से ही काम बनेंगे, आत्मचिंतन भी एक प्रकार से अपने स्वयं से संवाद ही है। संवाद  हर समस्या का समाधान है। संवादहीनता से पीढ़ियों में टकराहट व दूरियां बढ़ रही हैं। एकल परिवारों में, और वैसे भी कुछ बदलते परिवेश, कमरा संस्कृति (सबकी अपनी प्रायवेसी होती है, कौन क्या कर रहा है, किसी को कुछ पता नहीं,और मतलब भी नहीं) की वजह से हम लोग #एकांतप्रिय होते जा रहे हैं। आपस में संवाद बहुत कम हो गए हैं, कई बार तो रिश्ते खत्म होने के कगार पर पहुंच जाते हैं। जो चीजें केवल बातों से #सुलझाई जा सकती हैं, उनका भी आधार नहीं बच रहा है।बच्चे जीवन से #पलायन की स्थति तक पहुंच जाते हैं,और उस समय ये कहना, हमें तो #पता ही नहीं था। #गंभीर बात है। बच्चे बहक जाते हैं। #संवादहीनता की वजह से कई बार, #समस्या इतनी बड़ी हो जाती है, कि आप उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते। माता पिता का अपने बच्चों से संवाद नहीं है, पतिपत्नि का नहीं है, पड़ोसियों का पड़ोसियों से नहीं है, बहन भाइयों का नहीं है, बस एक मायावी दुनिया में खोए हुए हैं। पूरे जहां (दुनिया) की खबर है, किंतु जहां (जिस जगह) की होनी चाहिए, वहां की नहीं है।
संवाद___
परस्पर आंनद पूर्वक किसी सत्य तक पहुंचने का प्रयास ही संवाद है। वाणी पर नियंत्रण (मधुरता) और मन की शुद्धता का इसमें विशेष महत्व है। एक व्यक्ति बोले और दूसरा सुने तो वाद, दोनों एक दूसरे की बात ना सुने तो विवाद, और दोनों एक दूसरे की बात सुन, समझ कर वार्तालाप करें तो संवाद कहलाता है।संवाद भी कई प्रकार का होता है। वाचिक, सांकेतिक हावभाव द्वारा, तथा अंतर्मन (अंतःप्रज्ञा, दिल की गहराइयों से महसूस करना) की सूझबूझ से मौन संवाद होता है। कई बार #वाचिक संवाद सत्य को स्पष्ट करने में कम और छिपाने में अधिक, यानि झूठ के  प्रयोग की आशंका होती है, #हावभाव भी आवश्यक नहीं सत्य ही हो किंतु, #अंतर्मन की आवाज, संवाद हमेशा सत्य ही होता है। इसे हृदय की, दिल की भाषा भी कह सकते हैं। संवाद के अभाव में एक दूसरे के प्रति संदेह की आशंका रहती है, संदेह से ही मतभेद की स्थिति उत्पन्न होती है, इसलिए हमेशा परिवार में, अपनों के बीच संवाद बनाए रखना चाहिए। मन की बात को अभिव्यक्त करने के लिए भी संवाद आवश्यक है। संवाद सुख के क्षणों में आनंद बढ़ाता है, और दुख के क्षणों में कष्ट को घटाता है। संवाद बड़े से बड़े भौतिक समस्या का समाधान निकाला जा सकता है। उचित संवाद संबंधों में प्रगाढ़ता लाने में सहायक है, अनुचित संवाद संबंधों के लिए घातक है, इससे तो मौन ही बेहतर होगा।
#संवाद कई तरह का हो सकता है।आंखों से संवाद, जिसमें आप बिना कुछ बोले, बहुत कुछ बोल देते हैं,समझ जाते हैं। एक मां, एक प्रेयसी की मूक भाषा से कौन परिचित नहीं है। गले लगकर, हाथ पकड़ कर सांत्वना देना भी संवाद ही है। एक है स्पर्श की भाषा, स्पर्श बता देता है आपके मन में क्या चल रहा है। इसलिए इस संवाद हीनता को अपने #घर में #घर मत करने दीजिए, वरना बहुत देर हो जायेगी। व्यक्ति से व्यक्ति का संपर्क, संवाद हर बंद ताले (समस्या) की चाबी बन सकती है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें