सोमवार, 4 फ़रवरी 2019

ना घर तेरा, ना ही मेरा

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माटी चुन चुन महल बनाया,
लोग कहे घर मेरा है।।
ना घर तेरा ना घर मेरा,
चिड़िया रैन बसेरा।।
कौड़ी कौड़ी माया जोड़ी,
जोड़ भर लिया थैला।।
कहते कबीर सुनो भाई साधु,
संग चले ना थैला।।
उड़ जाएगा हंस अकेला,
जग दो दिन का मेला।।

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