सोमवार, 1 अप्रैल 2019

बच्चों में पढ़ने की आदत कैसे बने

✍️बच्चों में पढ़ने की आदत डेवलप करें ____
आज बच्चों में पढ़ने की आदत नगण्य होती जा रही है। बच्चे कोचिंग कर लेंगे, कुछ जानकारी चाहिए तो गूगल पर सर्च कर लेंगे, लेकिन स्वयं पढ़ने की कोशिश नहीं कर रहे हैं। यह आज की सबसे बड़ी समस्या होती जा रही है कि बच्चे पढ़ नहीं रहे हैं, बिगड़ रहे हैं। जबकि सच तो यह है कि बच्चे नहीं, सब ही बिगड़ रहे हैं। इसका मूल कारण, घर का माहौल है, बड़े बुजुर्ग हो या माता-पिता सभी अपने अपने टीवी सीरियल्स, मोबाइल में बिजी हैं, बच्चों पर ध्यान ही कौन दे रहा है। फिर किसको दोष दें। दादी बाबा हों या नानीनाना, कितने बुजुर्ग हैं जो सुबह उठ कोई धार्मिक ग्रंथ या अच्छा साहित्य पढ़ते हैं। सबकी भोग प्रवृति बढ़ती जा रही है, फिर बच्चों से कैसे उम्मीद कर सकते हैं। इस तरह पूरी पीढ़ी ही बर्बाद की ओर अग्रसर होती दिख रही है।
बच्चे पढ़ने के बजाय मोबाइल आदि पर ज्यादा व्यस्त दिखाई देते हैं, यह एक बहुत बड़ी समस्या है। शुरू में छोटे बच्चों को मोबाइल देकर मातापिता खुश होते हैं, और बाद में माता पिता भी उनकी इन आदतों से परेशान हो जाते हैं, कि बच्चे पढ़ते क्यों नहीं है। लेकिन यह सही है अगर माता-पिता किताब, अखबार आदि पढ़ेंगे, तो बच्चे भी पढ़ना सीखेंगे। क्योंकि बच्चे देखकर ही सारी चीजें सीखते हैं। हम वीडियो गेम और टीवी में व्यस्त रहें, और बच्चे पढ़ें यह कैसे संभव है। बच्चों में #रीडिंग #हैबिट्स डेवलप करने के लिए पैरेंट्स उनके साथ कम से कम पंद्रह, बीस मिनट किताबें अवश्य पढ़ें। बच्चों को केवल आदेश देकर पढ़ने बिठा देना समस्या का हल नहीं है। उन्हें सिखाएं, बच्चों को नई बातें सिखाने के लिए रोचक तरीके,

रंग, आवाज और आकार का उपयोग करें। बच्चों के साथ रोजाना साथ बैठकर कम से कम आधा घंटा कुछ न कुछ किताब अवश्य पढ़ें, तब ही बच्चों में पढ़ने की आदत डेवलप होगी। क्योंकि बच्चे आपका आदेश कभी नहीं मानेंगे, डर से भी नहीं। लेकिन वो आपकी नकल अवश्य करेंगे, इसलिए बच्चे को जिस सांचे में ढालना चाहते हैं, वैसा ही आचरण कीजिए।



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