रविवार, 14 अप्रैल 2019

हैलो! Mothers


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हैलो! Mothers ______
आज पैरेन्टिंग में, मैं मां को ज्यादा महत्व दे रही हूं। वैसे तो दायित्व दोनों का ही है, फिर भी मां का मान , महत्व एवं योगदान एक पायदान अधिक है। एक अच्छी #मां सौ #गुरुओं के बराबर होती है।  बच्चे के लिए मां ही प्रथम #स्कूल है। जितने भी महान लोग हुए हैं, उनके व्यक्तित्व निर्माण, भविष्य संवारने एवम् सूरज की तरह चमकने में मां की #परवरिश का बहुत बड़ा योगदान होता है। ऐसी ही मांओं में से एक फरीदुद्दिन गंज शकर (रह.) की मां थीं। उनकी परवरिश से उनके बच्चे ने यश, मान सम्मान की ऊंचाइयों को छुआ। फरीदुद्दीन की मां का ये रोज का नियम था, कि वो रोजाना मुसल्ले (नमाज पढ़ने के लिए बिछाए जाने वाले मैट) के नीचे शक्कर की पुड़िया रख देती और कहती, जो बच्चे नमाज पढ़ते हैं उनको मैट के नीचे से शक्कर की पुड़िया मिलती है। इसका उनके मन पर गहरा असर हुआ, और वे बचपन से ही नियमित, बेनागा नमाज पढ़ने एवं खुदा को स्मरण करने लगे। वे कभी भी नमाज अदा करना नहीं भूलते थे। आगे चलकर इसी वजह से उनको गंज शकर के नाम से ही प्रसिद्धि मिली।
हम जो भी बच्चों को बनाना चाहते हैं, उसका बीजारोपण बचपन में ही हो जाता है। और फिर जैसा बीज है, परवरिश की खेती (देखभाल) है, फसल भी वैसी ही पकेकी। कई बार छोटी छोटी बातें बच्चे के मस्तिष्क में अमित छाप छोड़ देती हैं, ये सब बचपन के बीज हैं। जो उम्र के साथ पोषित होते जाते हैं।
अगर आप वास्तव में #देश, समाज के लिए कुछ करना चाहती हैं, तो बच्चों की परवरिश पर ध्यान दीजिए। स्वच्छ, स्वस्थ शरीर ही #स्वस्थ मानसिकता के साथ उन्नति की ओर #अग्रसर हो सकता है।
#परवरिश में #मां का अहम योगदान है। किसी ने क्या खूब कहा है_ एक #पुरुष की शिक्षा केवल एक व्यक्ति की ही शिक्षा होती है, लेकिन एक #स्त्री की शिक्षा से एक खानदान ही नहीं, पूरा #समाज शिक्षित बनता है। एक मां दस #गुरुओं से भी अच्छी हो सकती है। समाज को खूबसूरत बनाने में मां की #अहम भूमिका होती है। औरत की गोद में ही पुरुष का लालन-पालन, शिक्षित होता है, जो आगे चलकर समाज की, देश की तरक्की के में योगदान करता है। नेपोलियन बोनापार्ट ने कहा था _ तुम मुझे अच्छी #मांएं दो, मैं तुम्हें अच्छा #राष्ट्र दूंगा।
आज के इंटरनेट के युग में माताओं की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है, कि वह इसके #दुष्प्रभाव से अपने बच्चों को किस तरह बचाए। उन्हें #मोबाइल की जगह #हेल्थी #लाइफस्टाइल दीजिए। मोबाइल के लिए डांटिये मत, स्वयं इसका प्रयोग कम करने की चेष्टा करें, उनके साथ समय बिताएं, जिम्मेदार तो आप ही हैं। बच्चे #अनुकरण से जितना सीखते हैं, उपदेशों से नहीं। खैर....... मुख्य मुद्दा यह है, कि बच्चों को #स्वस्थ रहने के लिए प्रेरित करें।
मां प्रथम #गुरु है। सही गलत, झूठ सच, सभ्यता या बदतमीजी, ये सारी बातें बच्चा घर से ही सीखता है। इसके लिए बच्चों के लिए ध्यान, प्यार और सख्ती तीनों ही आवश्यक हैं। हो सकता है बच्चा आपसे नाराज भी हो जाए, अपनी इमेज की चिंता छोड़िए, क्योंकि जब उसे पता चलेगा आप उसके भले के लिए कर रहे हैं, तो आपके लिए उसके दिल में और भी सम्मान बढ़ जाएगा। गलत बातों पर परदा डालना, पिता से छुप कर पैसे देना या गलत कार्य की डांट से बचा लेना, उस समय अवश्य, आपकी प्यारी, सीधी, निरीह मम्मा की छवि बनती है, लेकिन यह अति मोह, उसके भविष्य की बरबादी की प्रथम #सीढ़ी है। बच्चों के #चरित्र निर्माण में आपकी मुख्य भूमिका है। सजा देना भी जरूरी है, पनिशमेंट पैरेन्टिंग का जरूरी हिस्सा है। इसे आवश्यकता अनुसार अमल में लाएं। बच्चों को #पता होना चाहिए किस गलती पर सजा मिल रही है, अनावश्यक दंड देना या अपनी गुस्सा (फ्रस्ट्रेशन) बच्चों पर निकालना कहां तक उचित है। बच्चों की तुलना करना, या उनमें अपराधबोध देना कि तुम नालायक हो....... ऐसा बच्चा कभी कॉन्फिडेंट नहीं रहेगा और न ही जीवन में सफलता प्राप्त कर पाएगाबच्चों का आत्म विश्वास भी कम ना होने दें किसी भी बच्चे के व्यवहार, परवरिश को देख कर आप उसके घर के संस्कारों का अंदाजा लगा सकते हैं। क्योंकि कई बार यही परवरिश, आपको एक परफेक्ट मां बना सकती है।

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