सोमवार, 4 फ़रवरी 2019

ना घर तेरा, ना ही मेरा

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माटी चुन चुन महल बनाया,
लोग कहे घर मेरा है।।
ना घर तेरा ना घर मेरा,
चिड़िया रैन बसेरा।।
कौड़ी कौड़ी माया जोड़ी,
जोड़ भर लिया थैला।।
कहते कबीर सुनो भाई साधु,
संग चले ना थैला।।
उड़ जाएगा हंस अकेला,
जग दो दिन का मेला।।

रविवार, 3 फ़रवरी 2019

हैलो, पैरेंट्स! क्या यह प्यार है।


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#हैलो पेरेंट्स .......... 
#बच्चों की #परवरिश को लेकर मुझे #कुछ #कहना है। आपके बच्चों को आप जैसा बनाते हैं, वह कुछ वर्षों की कड़ी मेहनत का #परिणाम है। यह एक तरह की #जीवनबीमा #पॉलिसी है। इसमें आपने जो #निवेश किया है वही आपको #रिटर्न होगा। आपके वृद्धावस्था के लिए भी। लेकिन इसे सच में बीमा पॉलिसी की तरह इस्तेमाल ना करें। अपेक्षाएं, अधिकार ना जताएं। अगर आप अपने बच्चों को, मात्र कुछ सालों की अच्छी #परवरिश देंगे, तो वह आपके लिए तो आजीवन अच्छे रहेंगे ही, समाज में भी आपका नाम #रोशन करेंगे। वृद्धावस्था में भी रोने की स्थति नहीं होगी। जिंदगी के साथ भी जिंदगी के बाद भी। आपके बच्चों से जिनकी शादी होगी, पति या पत्नी उनकी भी आपको दुआएं, सम्मान मिलेगा। अब ये आप की इच्छा है,आप केवल #भोगी बनकर ही जीना चाहते हैं, या समाज को भी एक #सभ्य #व्यक्तित्व देना चाहते हैं।
#आपने एक कहानी तो सुनी ही होगी। एक मां होती है। वह अपने बेटे को बहुत प्यार करती थी। बेटा निकम्मा, चोरी, शराब सब गलत काम करना सीख गया। किन्तु मां ने कभी उसे टोका, समझाया ही नहीं, अपितु मां उसके कार्यों पर पर्दा डालती रही। बेटा खुश था कि, देखो मेरी मां जितना कोई मां अपने बच्चे को प्यार नहीं करती। समय गुजरा, एक दिन चोरी के आरोप में बेटे को पुलिस पकड़ कर ले गई, उसको सजा सुनाई गई। उस बेटे से अपने बचाव के लिए पूछा गया, कुछ कहना चाहते हो तो कहो। बेटे ने उत्तर दिया, मुझे कुछ नहीं कहना बस एक बार मैं अपनी मां से मिलना चाहता हूं। मां मिलने पहुंची, बेटे के हाथ #बंधे हुए थे। बेटे ने कहा, मां इधर आओ, आपसे #कान में कुछ कहना है। जैसे ही मां ने अपना कान, सुनने के लिए उसके मुंह के पास किया, बेटे ने जोर से मां के कान को #काट #खाया। सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत छुड़ाया एवं इसका कारण पूछा। बेटे ने जवाब दिया, वो ही मेरा कहने का #मूल #उद्देश्य है। बेटे ने कहा - काश!!! मां ने अगर मुझे #शुरू में ही, जब मैंने पहली बार चोरी या गलत कार्य किया था, उसी वक़्त मुझे डांटा या #समझाया होता तो आज ये नौबत नहीं आती। हमेशा मेरी गलतियों पर पर्दा डालती रही। और मैं भी उसे ही प्यार समझता रहा। आज जिस जगह पर मैं खड़ा हूं, उससे आगे मेरा कोई भविष्य नहीं है। उसी #परवरिश का नतीजा है कि इस समय, जब कि मां को मेरी जरूरत होगी मैं जेल में बंद रहूंगा, तथा समाज में भी अपयश के भागी बनेंगे। अब आप #समझ चुके होंगे, हो सकता है #आज #परवरिश के समय बच्चे आपसे नाराज हो सकते हैं, कोई बात नहीं। आज की परवरिश कड़वी दवा बेशक लगे,लेकिन भविष्य सुखदाई होगा। अन्यथा इस समय का #झूठा #लाड़प्यार बच्चे की जिंदगी #तबाह कर सकता है। और दोष देंगे आने वाली बहू या दामाद को। इसलिए बच्चों के गलत कार्यों पर #ना कहना भी सीखिए।
#जितने भी #महापुरुष हुए हैं, उनकी प्रेरणा स्त्रोत उनके मातापिता ही रहे होंगे, यह एकदम सत्य वचन है,और बच्चों के बिगड़ने में भी घर की ही महती भूमिका है।

शनिवार, 2 फ़रवरी 2019

पैरेंट्स! ईश्वर ने आपको चुना है


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#एकपत्र #पैरेटिंग____
#प्रिय #पैरेंट्स_मातापिता बनना बहुत ही खुशी की बात है। हो भी क्यों ना, अब आप को लगता है आप एक निर्माणकर्ता हो, और आप किसी की जिंदगी को संवार सकते हो।अपनेआप में गौरवान्वित महसूस करते हैं। लेकिन क्या वाकई आप उसकी जिंदगी संवार रहे हैं, जाने अनजाने उसे #तबाह तो नहीं कर रहे।
#ध्यान रहे, #बच्चों पर कभी भी जबरदस्ती मत करना, मारपीट तो भूल कर भी नहीं,अपना प्रेशर (तनाव) बच्चों पर नहीं उतारना। बच्चों को आप केवल #प्रेम और प्रेम से और शांति,एवं सहजता ही समझ, समझा सकते हैं।
#केवल आदेश देकर बच्चों को गढ़ना इतना ही आसान होता तो कोई परेशानी ही नहीं थी। परंतु #आदेश के साथ ही #प्रतिक्रिया होती है ना मानने की, बच्चे हमेशा आदेश की अवमानना कर, उसी कार्य को करेगा जिसकी मना किया जाता है। उसे समझाने के लिए हमेशा #सकारात्मकता के साथ व्यवहार करें, कि जिस चीज को आप समझाना चाह रहे हैं, उसे करने में कितना #आनंद मिलता है। केवल #उपदेश और #आदेश देने की बजाय सहज होकर बात करिए।आप किसी सल्तनत के बादशाह और बच्चे आपके गुलाम नहीं।हम आशा करते हैं श्रवण कुमार की,लेकिन सिखाते हैं नौकरों की तरह आज्ञा पालन करना,उसके सामने खुद उदाहरण बनिए और बच्चे को #स्वविवेक का इस्तेमाल करना सीखने दीजिए। वो भी #आहत होते हैं। हर समय #थोपना क्यों। बच्चों की भी इज्जत करना सीखिए, उनकी भी भावनाएं हैं। कई बार या तो अति लाड़ प्यार में सिर पर बिठाना, या अपने इशारों पर नचाना दोनों ही ठीक नहीं। वो आपसे दूर होते चले जाएंगे। फिर एक चक्र बन जाएगा, ढीटता का। आप कहेंगे बच्चा हठी है इसलिए #दंडात्मक हूं, बच्चा कहेगा, मातापिता हमेशा दंडात्मक हैं, इसलिए मैं भी #जिद्दी हूं।
#हम बच्चों को केवल #प्यार से #जीत सकते हैं, वैसे तो यह सब पर लागू है।प्यार में बड़ी शक्ति है। अगर आप चाहते हैं कि बच्चे आपका आदर करें, तो #आप को भी उनका आदर करना पड़ेगा। हो सकता है आपको यह बेवकूफी भरा लगे। लेकिन यह सत्य है। बच्चे हर छोटी बड़ी बात को, आदर अनादर को समझते हैं। लेकिन, अगर हम चाहते हैं कि छोटे बच्चे आदर करें मां-बाप का, तो आदर देना पड़ेगा। यह असम्भव है कि मां-बाप तो अनादर करें बच्चों का और बच्चों से आदर पा लें, यह असम्भव है। कभी बच्चे को #समय देते हैं????? समय दीजिए, सुनिए जो वह सुनाना चाहता है, दोस्तों की, स्कूल की,सपनों की। केवल आदेश देना, स्वयं की ही संतुष्टि है बस।
बच्चों को #सम्मान देना जरूरी है, और #बहुत जरूरी है। वे देश का भविष्य हैं, समाज को दिशा देने वाले हैं। हम भूत हैं,बच्चे भविष्य। अभी उसमें #नवजीवन का विकास होने को है। नन्हीं कली #फूल बनने की ओर अग्रसर है, अगर उसे समुचित (खाद पानी) #परवरिश रूपी देखभाल नहीं मिली तो उसका अस्तित्व तो संकटग्रस्त रहेगा ही, आपकी वृद्धावस्था भी सुरक्षित नहीं है। नया व्यक्तित्व का निर्माण हो रहा है। उसके प्रति सम्मान, आदर बेहद आवश्यक है। आदर, प्रेम, खुद के व्यक्तित्व के उदाहरण द्वारा उस बच्चे के जीवन को #परिवर्तित किया जा सकता है।
#बच्चे का दिल दिमाग वहीं रमेगा, जहां उसे आनंद की अनुभूति होती है। मन तो वहां जाता है जहां सुख है, शांति है, रस है, आनंद है।
बच्चा घर से बाहर कब भागता है, जब वह आपको (मातापिता) को बनावटी चीजों की ओर आकर्षित होते देखता है। अगर बचपन में बच्चा आपको पैसे के पीछे दीवाना हुआ, दौड़ता हुआ देखता है।तो उससे वृद्धावस्था में किस चीज की उम्मीद कर रहे हैं। जो उसने देखा,वो ही तो वह करेगा। छोटे बच्चों का #आब्जर्वेशन कमाल का होता है। बहुत बारीकी से अच्छाई, बुराई को ग्रहण करते हैं। बच्चे ने झूठ बोलना कैसे सीखा। कुछ याद आया?? जब आप किसी दोस्त,अपने घरवालों आदि से न मिलना हो तो बच्चे से कहलवा देते हैं, घर पर नहीं हूं। आपकी इस हरकत से बच्चे के मन में झूठ का #बीजारोपण हो गया, कि जब मुझे भी कुछ नहीं करने का मन हो तो कैसे बच सकता हूं।
जिनकी #माताएं अक्सर झूठ मूठ बीमारी का बहाना बनाती हैं, उन बच्चों में भी पढ़ाई, परीक्षा,या किसी #नापसंद #परिस्थिति से बचने के लिए झूठ में बीमारी का बहाना बनाने की आदत होती है।
#अगर बच्चे अपनी मां को लड़ाई झगड़े से दूर, निंदा से परे, त्याग, प्रेम, ममता से भरी, संतुष्ट देखते हैं। इस आनंद को बच्चे भी महसूस करना चाहेंगे और ये ही अच्छा व्यवहार बच्चे भी सीखेंगे। कई बार माताएं बच्चों को अपनी ससुराल के खिलाफ हथियार के तौर पर इस्तेमाल करती हैं, और बच्चे के मन में जहर घोल देती हैं, स्वयं को बेबस दिखाने के लिए, सहानुभूति प्राप्त करने के लिए। पिता का भी अपने माता पिता की देखभाल से बचने के लिए पत्नी का पुरजोर समर्थन हासिल होता है। ये आप बच्चे को कौन से संस्कार दे रहे हैं।समय उपरांत ये ही इतिहास आपके साथ भी दोहराया जाएगा, निश्चित है। उधर बच्चे का व्यवहार भी असामाजिक हो जाएगा। उसकी जिंदगी में तरक्की के मार्ग अवरूद्ध हो जाएंगे।
#पहली जरूरत है कि खुद को #सुधारें। चौबीस घंटे के जीवन में कुछ पल, सब शांतिपूर्ण, मौन हो जाएं। भीतर से आनंद को उठने दें, भीतर से शांति को उठने दें। सब तरह से मौन और शांत होकर पल दो पल को बैठ जाएं। जो मां-बाप चौबीस घंटे में घंटे दो घंटे भी मौन होकर नहीं बैठते, उनके बच्चों में भी #अधीरता दिखेगी। मातपिता घंटे दो घंटे बच्चे के साथ  घर पर #प्रार्थना में, #ध्यान में बैठना सिखाएं। कभी भाग्य, ईश्वर, प्रारब्ध पर भी विश्वास करना सीखें, उसने भी कुछ सोच रखा होगा।
जो बच्चे #मां-बाप को #कलह करते हुए, द्वंद्व करते हुए, संघर्ष करते हुए, लड़ते हुए, गालियां बकते हुए देखते हैं, मां-बाप के बीच कोई बहुत गहरा प्रेम का संबंध नहीं देखते, कोई शांति नहीं देखते, कोई आनंद नहीं देखते; उदासी, ऊब, घबड़ाहट, परेशानी देखते हैं। ठीक इसी तरह की जीवन की #दिशा उनकी हो जाती है। ऐसे बच्चे अकेलापन महसूस करते हैं। हो सकता है,गलत सोहबत में भी पड़ जाएं।आगे चलकर उसे अपने वैवाहिक जीवन में भी सामंजस्य बिठाने में परेशानी महसूस होगी।
#बच्चों को #बदलना हो तो #खुद को बदलना #जरूरी है। अगर बच्चों से प्रेम हो तो खुद को बदल लेना एकदम जरूरी है। जब तक आपके कोई बच्चा नहीं था, तब तक आपकी कोई जिम्मेवारी नहीं थी। बच्चा होने के बाद एक अदभुत #जिम्मेवारी आपके ऊपर आ गई। एक पूरा जीवन बनेगा या बिगड़ेगा और वह आप पर #निर्भर है। अब आप जो भी करेंगे उसका परिणाम उस बच्चे पर होगा।
अगर वह बच्चा बिगड़ा, अगर वह गलत दिशाओं में गया, अगर दुःख और पीड़ा में गया, तो उसका #पाप किसके ऊपर होगा? बच्चे को #पैदा करना #आसान है लेकिन ठीक अर्थों में मां-बाप बनना बहुत #कठिन है। बच्चे तो पशु-पक्षी भी पैदा करते हैं, मनुष्य भी करते हैं, कुछ तो फर्क होना चाहिए, मनुष्य और पशुओं में। बस भीड़ बढ़ रही है दुनिया में। लेकिन इस भीड़ का क्या #औचित्य है। मां-बाप होना बहुत #कठिन है।
अगर दुनिया में कुछ दंपति भी अच्छे सुलझे हुए मां-बाप हो सकें तो, कहना ही क्या। मां-बाप होने का मतलब है, इस बात का #उत्तरदायित्व कि जिस जीवन को हमने #जन्म दिया है, अब उस जीवन को ऊंचे से ऊंचे स्तरों तक, #परमात्मा तक पहुंचाने की दिशा पर ले जाना हमारा कर्तव्य है। और इस कर्तव्य को निभाने के लिए हमें खुद को #बदलना होगा, क्योंकि अपने को बदले बिना कोई #रास्ता भी नहीं है। ईश्वर ने इस नेक कार्य के लिए आपको चुना है, एक जिम्मेदारी सौंपी है, शुक्र गुजार तो होइए।

शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2019

युवा बच्चों के लिए

🍷#शराब,एक एसा शौक जिसे लत बनते देर नहीं लगती------
🍷यदि मैं एक दिन के लिए तानाशाह बन जाऊँ,तो शराब पर प्रतिबंध मेरा पहला कदम होगा।
                                                  ** बापू **
Drug addiction is a family disease, one person may use but the whole family suffers.
यह एक #धीमा जहर है, जिससे व्यक्ति स्वयं ही प्रभावित नहीं होता वरन् उसका कैरियर, परिवार, बच्चे सभी प्रभावित होते हैं। नशे में व्यक्ति ऐसे #जघन्य अपराध कर बैठता है, होश में  रहते  शायद जिनके  बारे में वह  सोच भी नहीं सकता। कब एक छोटा पैग----शौक, मस्ती, या so called high society culture दिखाने के चक्कर में ये नशा आपको अपना #गुलाम बना चुका होता है।इसके दुष्परिणामों के बारे में जानने तक बहुत देर हो जाती है। #आधुनिक दिखने की होड़ में अच्छे शिक्षित वर्ग भी इसकी चपेट में ज्यादा हैं, उन्हें तो बस बहाना चाहिए, दोस्त मिल रहे हों, शादी हो, गम हो, प्रमोशन हुआ हो या ऑफिस का तनाव कम करना हो, बहाना कोई भी हो, बस पीना है। उन्हें यह लगता है, कहीं पिछड़े ना कहलायें। ऐसे में जिम्मेदारी #परिवार की भी है। युवा होते बच्चों पर हम अपने विचार थोपें नहीं,वरन् घर का वातावरण इतना #सौहार्द रखें, बच्चों से शेयर करें कि बच्चे सारी बातें आपको बता सकें।
अल्कोहल शरीर के कई अंगों पर बुरा असर डालता है। व्यसन की एक विशेषता है, इसके नुकसानों को जानते हुए भी व्यक्ति अपनी ₹लत का गुलाम हो जाता है। इसे जीर्ण #मानसिक रोग भी कह सकते हैं।
शराब,गुटखा,सिगरेट,तम्बाकू द्वारा #निकोटीन फेफड़ों में पहुंच कर #ऑक्सीजन की कमी से कई बीमारियों का कारण बनती है।
अल्कोहल का मुख्य असर लीवर, किडनी पर पड़ता है। अल्सर की सम्भावना भी बनती है। लीवर में शराब से हानिकारक तत्व बनते हैं, जो लीवर की कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाते हैं।
अल्कोहल का सबसे ज्यादा #दुष्प्रभाव #मस्तिष्क पर पड़ता है।आसपास के माहौल को भांपने में,शरीर तथा दिमागी संतुलन नहीं बना पाता,फैसला करने में,एकाग्रता में कमी आने लगती है।*स्वच्छंद* महसूस कर व्यक्ति स्वयं सभी मुश्किलों से आजाद महसूस करने लगता है।
ज्यादा शराब के सेवन से व्यक्ति बेसुध हो जाता है, अवसाद में भी चला जाता है, क्रोध बढ़ जाता है तथा कभी कभी अनहोनी भी कर बैठता है।(किसी भी प्रकार की)।
शराब मात्र *5-7 मिनट के अंदर दिमाग पर असर* डाल देती है।शराब की वजह से *न्यूरोट्रांसमीटर्स अजीब संदेश* भेजने लगते हैं, तथा *तंत्रिका तंत्र भ्रमित* होने लगता है।शराब का ज्यादा सेवन घातक होता है।कई बार विटामिन्स और आवश्यक तत्व नहीं मिल पाते। दिमाग में अल्कोहल के असर से *डिमेंशिया की बीमारी* होने का खतरा बढ़ जाता है।
शराब प्रतिरोधक क्षमता को कम करता है। और इसके चलते कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।शराब के सेवन से सेक्स सम्बंधी (यौन व्यवहार)में लिप्त होने या जोखिम लेने की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि वह विवेक तो पहले ही खो चुका होता है।इस प्रकार यौन संक्रमित बीमारियों के होने का भी खतरा बढ़ जाता है।
ज्यादा शराब व सिगरेट पीने से शरीर में टॉक्सिन्स की मात्रा बढ़ जाती है।यह लिवर में पहुंच कर उसे नुकसान पहुंचाते हैं।
कभी शौक में,कभी खुशी में, कभी गम में ,तो कभी यारी दोस्ती के जश्न मनाने में *कब व्यक्ति एक पैग से शुरू होकर शराब की लत के दुष्चक्र में*फंस जाता है।उसे पता भी नहीं चलता। और फिर शुरू होता है *बर्बादी का अंतहीन सिलसिला*।होश आने पर उसे महसूस भी होता है। फिर अपनी गलतियों को छुपाने या परिस्थितियों का सामना न कर पाने से दुबारा ------फिर एक बार और------फिर एक बार और-----
ऐसे लोगों में *आत्म विश्वास की बेहद कमी* होती है। दिल के *बुरे ना होते हुए भी सही कार्य के निर्णय नहीं ले पाते।* और पारिवारिक कलह के लिए जिम्मेदार होते हैं।
इसलिए *एक पैग की भी शुरुआत ही क्यों* करें। परिवार में बच्चों के सामने स्वस्थ माहौल बनाएं, जिससे युवा होते बच्चे आपसे सारी बातें शेयर कर सकें।बाहर की हर मुसीबत का सामना आत्मविश्वास के साथ कर सकें।
WHOकी पिछले साल की रिपोर्ट के अनुसार शराब के सेवन से अवसाद, आत्महत्या, बेचैनी, लीवर सिरोयसिस, हिंसा, दुर्घटना तथा आपराधिक मामलों में प्रवृत होने के मामले ज्यादा बढ़ जाते हैं। इसलिए एक कदम भी इस ओर न बढ़ाएं, और अगर बढ़ भी गए हैं तो शपथ लें। हमेशा अपने मातापिता या पत्नी,बच्चों,परिवार को ध्यान में रखते हुए सोचें। छोड़ने के लिए सब तरह की कोशिश करें। ध्यान, व्यायाम अवश्य करें। फिजिकल फिट रहें। अच्छी संगत में रहें।और जो भी उपाय सम्भव हो,अवश्य करें।और स्वयं को *मानसिक,शारीरिक यहाँ तक कि आर्थिक भी दिवालिया* होने से बचाएं।
नशे में डूब व्यक्ति डर व चिंता के प्रति लापरवाह  हो जाता है। जो कि किसी भी चुनौती का सामना करने से डरते हैं। गलत काम करते हुए सही लक्ष्य प्राप्त नहीं किये जा सकते। परिवारों के विघटन में नशा भी जिम्मेदार है।

गुरुवार, 31 जनवरी 2019

पेरेंटिंग, एक पत्र बच्चों व अभिभावकों के लिए



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#एक पत्र,बच्चों व अभिभावकों के लिए_______
#प्यारे बच्चों, आजकल इम्तिहान शुरू हो चुके हैं और आप सब उन्हीं तैयारियों में लगे हुए हैं। कोई भी #परीक्षा ऐसी नहीं है जो हमें हमारी जिंदगी से दूर कर सके। अगर आप कभी भी #तनाव में या अपने आप को #निराशा में घिरा हुआ पाते हैं, तो अपने #मातापिता से, अपने किसी मित्र से, या किसी भी अपने प्रिय से शिक्षक से, परिवारीजन से या जिस पर भी आप भरोसा कर सकते हों, #नजदीकी हो उससे बातें करें, #शेयर करें। आप के कुछ वर्षों का आकलन आपकी पूरी जिंदगी का #निर्णायक, व जीवन से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं हो सकता। जीवन में बहुत मौके, अवसर मिलेंगे। यह सही है, कई बार गलतियां भी हो जाती हैं, लेकिन उन को सुधारा जा सकता है। और सभी #माता-#पिताओं से भी #अनुरोध है कि वे अपने बच्चों पर अपनी #अनावश्यक इच्छाएं और अपने सपने #ना #थोपें। उन्हें आपका #साथ चाहिए,लेकिन अपनी जिंदगी जीने की, सोचने की स्वतंत्रता दें, मार्ग दर्शन अवश्य करें, यह उचित है लेकिन थोपें नहीं। प्रभु ने एक नायाब कृति आपके हाथों में सौंपी है, उसका उचित ख्याल रखें, हस्तक्षेप नहीं। हर बच्चे का अपना एक स्टेमिना (क्षमता) होता है ,रुचि होती है। जब चारों ओर से दबाव होता है तो वह घबराकर पलायन करने की सोचता है कृपया ऐसा ना होने दें। उनका पहले से ही सहयोग करें, तभी तो वह कुछ कर पाएगा।
#तनाव से निकलने के लिए #ध्यान, प्राणायाम व #योग को स्थान अवश्य दें। भरपूर नींद, उचित #खानपान,  electronic gadgets से दूरी अपनों का साथ आपको नई ऊर्जा देगा। पानी खूब पिएं। परीक्षाओं के लिए #शुभकामनाएं!!!!!!!!!

बुधवार, 30 जनवरी 2019

आ गया बसंत!


✍️लो आ गया बसंत!
#सतरंगी, इंद्रधनुषों से
घिरी हुई हूं मैं,  
#जब से तुमने,
मुझे मेरे नाम से पुकारा है......

मैं #बसंत हुई,
महक रही हूं,
#जब से तुमने,
मेरे हाथों को छुआ है......

#पतंगों सा उड़ा मन,
खोई सुध बुध,
#जब से देखा तुमको,
कैसा ये मन बावरा है......

सुनी #सांसों की धड़कन,
#जब से तुम्हारी,
चेहरा सुर्ख गुलाल,
मन फाल्गुन हुआ है......

#ख्वाबों की दुनिया,
#जब से सजाई थी तुमने,
सारा आकाश जगमग,
दिल दिवाली हो रहा है......
                          

शनिवार, 26 जनवरी 2019

विश्वास और आस्था


✍️विश्वास और आस्था___
#विश्वास दृढ़ हो तो ईशकृपा की प्रत्यक्ष अनुभूति संभव है, जोकि धीरे धीरे आस्था में परिवर्तित हो जाती है। मैं सूत्रधार! आज एक अपने मित्र के यहां ड्राइंग रूम में पहुंच गया हूं, उनके साथ एक और मित्र बैठे हुए हैं, दोनों बातें कर रहे हैं। आज वह अपने जीवन की एक सत्य घटना बता रहे थे #विश्वास को लेकर, कहते भी हैं मानो तो देव, नहीं तो पत्थर। किस प्रकार उपवास, रीति रिवाज, धर्म, गीता पाठ आदि में उनकी कोई रुचि या विश्वास नहीं था। लेकिन अब इस चीज को लेकर उनका #विश्वास बहुत कुछ कह रहा है। वह ऐसे ही अपने बारे में बता रहे थे, कि किस तरह दूसरे धर्म का होते हुए भी अब गीतापठन में अपार श्रद्धा एवं विश्वास है। गीता तो सब धर्मों का, जीवन जीने का #सार है। उन्होंने बताया कि एक बार वे यात्रा में थे, और उसी कोच में एक हरेराम हरे कृष्ण समूह के कुछ लोग अपनी किताबों, को बेचने, प्रचार करने के लिए आए। वो मित्र महोदय भी #टाइमपास, बस केवल मन बहलाने के लिए उनसे वार्तालाप करने लगे। और कहा, अच्छा तुम जब तक और पुस्तकें बेच कर आइए, मैं तब तक थोड़ी निगाह मार लेता हूं, उनको तीन चार पेज पढ़ने पर अच्छा लगा, और उन्होंने भगवतगीता को खरीद लिया। गीता अब उनके जीवन का हिस्सा बन चुकी है। #भगवद्गीता में आपके सारे सवालों के जवाब हैं। किस तरह उन्होंने कृष्ण द्वारा कही गई बात को अपने जीवन में सार्थक पाया। ( सब कुछ मेरे ऊपर छोड़ दो, मेरे शरणागत होकर केवल कर्म करते रहो। मुझ पर भरोसा रखो। आपके सारे समाधान पूर्ण होंगे) उनकी बेटी की शादी होने वाली थी, और उनके पास धन की व्यवस्था नहीं हो पा रही थी। शादी के दिन नजदीक आने पर, एक दिन रात्रि सोते समय, उनकी पत्नी ने कहा_ बेटी की खरीददारी के लिए कुछ धन चाहिए। मित्र अंदर ही अंदर बहुत दुखी थे, क्या करूं? फिर भी उन्होंने प्रभु पर विश्वास करते हुए कहा, अभी रात्रि में ही चाहिए क्या? पत्नी ने भी कहा ठीक है, आपको तो अपने ठाकुर जी पर भरोसा है, लेकिन रात में दुकान तो नहीं खुलेंगी सो आप मुझे  कल सुबह दे देना। ठीक है, यही उचित होगा, अभी रात्रि में तो वैसे भी क्या करोगी, सुबह दे दूंगा। पूरी रात चिंता में रहा लेकिन प्रभु पर भरोसा भी कम न था। सुबह होने पर कहा, अच्छा बैंक से निकलवा कर लाता हूं। प्रातः उठकर मित्र चल दिए, बैंक में जमा पूंजी तो कुछ थी नहीं, क्या करूं। लेकिन पता नहीं क्यों उन मित्र के  कथनानुसर, उनको प्रभु पर पूरा विश्वास था, फिर भी पत्नी को आश्वस्त कर कहा, ऐसा है तुम दुकान पर पहुंचो, पैसे वहीं भेजता हूं। पत्नी ने कहा ठीक है। क्या आपने कभी ऐसी विषम #परिस्थितियों  का सामना किया है? इसी ऊहापोह में मित्र अपने एक दोस्त की दुकान पर चाय पीने पहुंचे। वहां दोस्त ने पूछा और कैसी तैयारी चल रही हैं शादी की। उसे क्या बताता, कहा सब ठीक चल रहा है। लेकिन उसी समय #अचानक से दोस्त ने दो लाख रुपए देकर कहा, ये तो रखो! पुराना हिसाब से निकल रहा है। मेरे मित्र की आंखों में #आंसू आ गए, इसे कहते हैं प्रभु पर #विश्वास! जहां मेरा मित्र सोच रहा था, एक पैसा नहीं है, क्या होगा, पत्नी को क्या जवाब दूंगा???? और प्रभु ने सारी समस्या दूर कर दी, शादी के लिए भी पता नहीं कहां से पैसा आया, कैसे आया, शादी भी हो गई, लेकिन उन्होंने अपना विश्वास प्रभु पर तनिक भी कम नहीं होने दिया। क्योंकि उन्हें भरोसा था, जब प्रभु #नरसी का भात भर सकते हैं, तो मेरा काम भी संभालेंगे। और तब से उनका विश्वास,दृढ़ से दृढ़तर ही होता गया है। और वे इस बात को साझा करने में भी नहीं चूकते, कि एक बार आप #गीता और प्रभु शरण के #महत्व को समझें तो सही।

सैनिकों के लिए



✍️
शहीद होने के लिए,
इजाजत!
किसी से ली नहीं जाती।
भरी जवानी में,
वतन से मोहब्बत!
पूछकर की नहीं जाती।
ये सौभाग्य!
मिलता किसी किसी को,
जान ऐसे ही गंवाई नहीं जाती।
कर्जदार है देश!
उन सैनिकों का,
जिसकी कीमत, चुकाई नहीं जाती।
महफूज हैं!
जिनकी बदौलत,
परिजनों से नजरें मिलाई नहीं जाती।



शुक्रवार, 25 जनवरी 2019

दिल की आत्म कथा

#दिल की आत्मकथा ❤️
#दिल का मामला है, कोई दिल्लगी नहीं। जरा ध्यान लगा कर पढ़िए। आज मैं (❤️दिल) आपसे कुछ #मन की बातें करना चाहता हूं। मैं हमेशा आप का भला चाहने की कोशिश में दिन रात बिना रुके अपना कार्य (धड़कता, खून की पम्पिंग) बिना किसी शिकायत के करता हूं। पता है मैं कितनी मेहनत करता हूं, एक महीने में 38 हजार लीटर के 5.3 टैंकर भर जाएं, इतना रक्त पम्प करता हूं। एक मिनट में हृदय जितना रक्त पम्प करता है उसे कार्डिएक आउटपुट कहते हैं।इससे सेहत का आकलन किया जा सकता है।ये आउटपुट जितना अच्छा उतनी सेहत अच्छी।
#लेकिन क्या कभी आप भी मेरे बारे में सोचते हैं, मुझे क्या अच्छा लगता है, मैं क्या चाहता हूं, मेरे स्वास्थ्य के लिए क्या #उचित है। कई बार मैं आपको संकेत भी देता हूं, फिर भी आप नहीं मानते।आप बस अपनी मनमानी करते हैं। जिस दिन से आपने जन्म लिया है #मैं ❤️ अनवरत चले जा रहा हूं, अगर आप की हरकतों की वजह से मुझे भी गुस्सा आ गया तो, you know आप तो गए काम से। मजाक नहीं है ये, बस अब आपको  मेरी सारी बातें ध्यान से सुननी भी होंगी और माननी भी होंगी। हमेशा सकारात्मक रहें।
#जब ❤️मुझे परेशानी होती है, इसका सबसे सामान्य लक्षण छाती के बीच में तेज #दर्द होना है, जो कि शरीर के बाईं ओर होता है।खासतौर से #बाएं हाथ, कमर और दोनों कंधों के बीच में इसका दर्द होता है। व्यक्ति को बहुत ज्यादा #पसीना आने लगता है।अगर कोई मधुमेह से पीड़ित है या वैसे भी कई बार कुछ सेकेंड के लिए आंखों के सामने #अंधेरा छा जाता है, चक्कर आ सकते हैं, हो सकता है पसीने में भीग जाओ,#सांस लेने में तकलीफ, कुछ समय के लिए समझ खो देना, #थकान, उबकाई की फीलिंग भी एक लक्षण है। कई बार आप गैस और पाचन की परेशानी तथा हृदय की बीमारी में #कन्फ्यूज हो जाते हैं।अतः प्लीज तुरंत चिकित्सीय सहायता लें।
#अन्य देशों की तुलना में भारत में ❤️मेरे रोगी ज्यादा हैं।क्या करूँ आप काम ही ऐसे करते हैं, कोलेस्ट्रॉल का सामान्य से अधिक बढ़ना,जिससे रक्तवाहिनी धमनियों में रुकावट पैदा होती है और मेरे बीमार होने का खतरा दो तीन गुना बढ़ जाता है।और ये जो आप #परिश्रम, #मेहनत या #व्यायाम  बिल्कुल न करके आलसियों का जीवन जीते हो ना, ये तो मुझे बिल्कुल #गवारा नहीं। मधुमेह, ब्लडप्रेशर बढ़ा हुआ रहना, #गलत तरीके से आहार विहार, शराब, सिगरेट तो मुझे नागवार लगते हैं।अर्थात ये सब मुझे बीमार करने के तरीके हैं। सेहत को नजरअंदाज कर स्वाद के लालच में फास्टफूड जंकफूड के दीवाने हो कर खाते हो, उससे #कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है, जो ❤️मेरे लिए नुकसानदेह है। वैसे एक बड़ा #कारण #आनुवंशिक भी है।
#अगर आप मुझे स्वस्थ रखने चाहते हो तो नियमित #व्यायाम करिए। सूर्योदय से पहले उठकर 2-3 किमी.तेज चाल में चलिये। लगभग 45 मिनट की वॉक अवश्य करें। नहीं तो 20 मिनट की ब्रिस्क वॉक ही कर लीजिए। #संतुलित आहार का कम घी, तेल चिकनाई रहित, भारी भोजन नहीं, नमक, चीनी पर कंट्रोल रखें।मोटापा न बढ़ने दें। तनाव रहित, चिंता से बच कर रहें।टेंशन मुझे बिल्कुल पसंद नहीं। परिवार का साथ और हंसने से मैं❤️ स्वस्थ रहता हूं। आजकल भोगविलास की जीवनशैली कम समय में अधिक सुखसुविधाएं कमाना चाहते हैं, औेर इस चक्कर में ना तो अच्छी तरह भोजन कर पाते हो, ना ही सोने का कोई समय है। आलस्य, उन्माद, देर रात पार्टी की वजह भी दिनचर्या बिगाड़ कर ❤️मेरा स्वास्थ्य खराब करती है। तथा ❤️मुझे रोगी बनाने की सम्भावना बढ़ाती है।#इसलिय नियमित दिनचर्या अपनाकर स्वस्थ रहो। early to bed early to rise, makes a man healthy wealthy and wise.अगर मुझे स्वस्थ रखना चाहते हो,तो मेरी ❤ ️रक्षा के लिए #पवनमुक्तासन, #ध्यान, #सर्वांगासन, #प्राणायाम तथा सुबह की #सैर आवश्यक है। 30 मिनट की कसरत ❤️ मेरी बीमारी का खतरा 50% #कम कर देता है। भरपूर नींदलें, अन्यथा #स्ट्रेस की वजह से ❤️मेरे अटैक का खतरा बढ़ जाता है। So #prevention is better than cure.
#लेकिन फिर भी मुझ ❤️ पर अटैक होने पर अपने तरीकों से निपटने की बजाय तुरंत #मेडिकल #हैल्प के लिए कॉल करें। या नजदीकी चिकित्सक के पास ले जांय। चिकित्सा सुविधा मिलने तक मुझे पीड़ित अवस्था में #सीधा लिटा दें। कपड़ों को ढ़ीला कर दें। हवा आने की जगह दें। मुझे❤️ #सफोकेशन पसंद नहीं है। गहरी सांस लेने दें। ये तो थी दिल❤️ की बात, इस पर न जाने कितने गाने लिख गए, कितने कुर्बान हो गए। अन्यथा फिर गाते रहना, इस दिल ❤️ के टुकड़े हजार हुए कोई यहां गिरा कोई वहां गिरा। और इस असल जिंदगी की पिक्चर में फिर कोई #समेटने नहीं आएगा, इसलिए इस दिल को सहेज कर रखिए। वरना गाना पड़ेगा ❤️दिल के अरमां आसूंओं में बह गए। ❤️दिल तो है दिल, दिल का ऐतबार क्या कीजिए, आ गया जो किसी पे... दिल❤️ तो बच्चा है जी! ❤️ love u दिल .



गुरुवार, 24 जनवरी 2019

पेरेंटिंग,एक पत्र युवा बच्चों के लिए


#पेरेंटिंग
#एक पत्र, युवा बच्चों के लिए______
जिसने भी ऊंचाइयां छूई हैं, उसमें परिवार का सहयोग, समयानुकुलता,भाग्य तो है ही, लेकिन सबसे #अहम है, आपके द्वारा लिए गए #निर्णय।
जीवन में हमेशा कुछ पान पाने की चाहत में हम भागते ही रहते हैं, उससे आगे... उससे आगे... उससे ज्यादा... और ज्यादा... और अपने जीवन का अधिकांश समय हम इसी थकान में लगा देते हैं। क्या कभी हमने सोचा है आखिर यह भागम-भाग किस लिए यह थकान किस लिए????? ज्यादातर लोग बस जिए जा रहे हैं।
#दुनिया के अधिकतर लोगों को अपनी जरूरतें पता होती हैं, लेकिन फिर भी वह जीना भूलकर, और पाने की चाहत में अपने को उलझाए रहता है, यह भी सही है कि कुछ चीजें जरूरी भी होती हैं, लेकिन फिर भी अंधी दौड़, का क्या फायदा????? और कई बार, जिंदगी की दौड़ कब पूरी होने के करीब होती है, और आपके पास समय नहीं होता। उस समय सिवाय अफसोस के कुछ नहीं!!!यहां तक कि आप अपने लिए भी समय नहीं निकाल पाए, कुछ बेहतर कर सकते थे, लेकिन नहीं कर सके। पीछे छूटे लोग आपको याद करें ना करें, आप अपने आप में भी तो संतुष्ट नहीं हो पाए। जिम्मेदार कौन है इन सब चीजों का?? अच्छा होगा समय रहते आप समझ जाएं, सांस थम जाने से पहले, कोई काश!!!!!!! कहने का अफसोस ना करें।
अपने ऊपर #डर (लोग क्या कहेंगे) को हावी ना होने दें। आप जितना इससे डरेंगे, लोग आपके ऊपर हावी होना जारी रखेंगे। उनको खेलने के लिए एक कठपुतली जो मिल जाती है। दूसरों की सोच की परवाह,आपको डरपोक, पंगु, मतिहीन कर देती है।आप दूसरों के हाथ का खिलौना बन कर, कितनी ऊंचाइयां हासिल कर सकते हैं, सोचिए!! आंखें बंद कर, मन की आवाज सुनें, उसे प्राथमिकता दें। सफलता मिले न मिले, जीने का जज़्बा, उत्साह बना रहेगा।
जो कार्य आपको पसंद नहीं उसमें अपनी #एनर्जी बर्बाद नहीं करें, उसमें सफलता संशययुक्त है, मिल भी सकती है, नहीं भी। क्योंकि उस कार्य में आप अपना पूरा #जुनून नहीं दे पाएंगे, इसलिए आप सफलता चाहते हैं, तो अपनी #पसंद का खयाल अवश्य रखें, और फिर जुट जाएं, पूर्ण धैर्य, लगन, समर्पण के साथ, सफलता निश्चित है, क्योंकि आप पूरे #जुनून के साथ करेंगे। सफलता नहीं भी मिली, मन #संतुष्ट होगा। आपने अपना बेहतर दिया, सपनों को पूरा करने के लिए, आगे प्रभु इच्छा।
#विवेकानंद हों, योगानंद जी, या अपने प्रधानमंत्री मोदी जी हों, या ऐसे ही और भी बहुत से व्यक्ति। पढ़ने का मतलब पैसा कमाने की मशीन बनना नहीं है। ज्ञानार्जन, स्व की खोज में सहायक है। मुझे अपने परिचितों में, एक ऐसे बच्चे का पता लगा, जो अपने माता का इकलौता पुत्र भी है, जिसने आई आई टी रेंकर होकर,अच्छे जॉब के बावजूद, आध्यात्मिक पथ को चुना। ये उसका चुना हुआ निर्णय था।स्व
का आनंद किसी पक्षी से पूछिए जो उड़ान भरता है खुले आसमान में।अपनी पसंद का करने में, #स्वतंत्रता और #निरंकुशता के बारीक अंतर को समझें। #स्वविवेक नितांत आवश्यक है। स्वस्थ जीवन शैली अपनाकर जीवन को सही दिशा दें। सही फैसले लेकर स्वस्थ जीवन जिएं, समय फिसलता जा रहा है। बाद में पछताने से अच्छा होगा, समय रहते जीवन पर नियंत्रण के साथ, उचित फैसले लें। और जो कुछ भी हो, उसकी जिम्मेदारी भी लेना सीखें। जिम्मेदारी की भावना आपको  #सफलता की ओर अग्रसर करती है, वहीं इससे बचना #पलायन सिखाती है।
#जीवन एक #यात्रा है, और हम सब  सहयात्री। सबसे सहयोग, प्यार, मित्रता बना कर रखें, लेकिन कोई भी किसी के साथ हमेशा के लिए नहीं होता, इसका ध्यान रखें।
#अफसोसों के बक्से के बोझ तले घुट कर मरने से अच्छा होगा समय पर सही निर्णय लेने की क्षमता विकसित की जाए। स्वास्थ्य हो या कैरियर, भविष्य को ध्यान रखें। अनिर्णय, या गलत निर्णय के बाद, आप हालात से समझौता करने वाली जिंदगी जीना चाहेंगे ????? शायद नहीं। तो फिर चुनिए भी और सुनिए भी अपने मन की आवाज़। और इसके लिए कभी कोई देरी नहीं हुई है, जब जागो तब सवेरा!!!
#जिंदगी को #अर्थपूर्ण बनाने की कोशिश करें, भरपूर आनंद के साथ जिओ और जीने दो। ताकि जब हम अपनी यात्रा पूरी कर रहे हों तो कोई काश!!! बाकी न  रहे। और लोगों के दिलों में भी एक हस्ताक्षर तो छोड़ ही जाएं। सब सोचने पर मजबूर हो जाएं, बंदे में कुछ तो बात थी। किसी ने क्या खूब लिखा है____
#कर्म करे किस्मत बने, जीवन का ये मर्म।
#प्राणी तेरे भाग्य में, तेरा अपना कर्म।।